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किशनगंज : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पोठिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आशा को दी गई सुरक्षित गर्भपात की जानकारी।

आईपास डेवलपमेन्ट फाउंडेशन के सहयोग से बैठक का आयोजन

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले के पोठिया प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मंगलवार को आशा दीदियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इस अवसर पर बताया गया कि सुरक्षित गर्भपात से महिलाओं में महिला की ताकत को भरने का मौका मिलता और महिलाओं को मजबूरी बस कोई काम करने की जरूरत नहीं पड़ती है। सुरक्षित गर्भ समापन के लिए सही समय पर सही जगह पर और सही स्थिति में गर्भ समापन किया जाए तो सुरक्षित रहता और उसे महिलाओं को कोई परेशानी नहीं होती। इसके लिए हमेशा सरकारी अस्पताल में ही जाना चाहिए। लिंग जाच के आधार पर गर्भपात कानूनन अपराध है। आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन की ट्रेनिंग एंड रिसर्च आफिसर हीना कौसर ने यह बातें कही। प्रशिक्षण के दौरान बीसीएम कौशल कुमार उपस्थित रहे। जिसमें सुरक्षित गर्भपात के तमाम तकनीकी पहलुओं पर आईपास के प्रतिनिधि के द्वारा विस्तारपूर्वक सेविका को जानकारी दी गई। आशाओं की बैठक को सम्बोधित करते हुए बीसीएम कौशल कुमार ने बताया कि सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर पूरी तरह से वैध है।इस बात की जानकारी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है। जिसके कारण आज भी वो गांव-देहात के नीम-हकीम और झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर अपने प्राण तक गंवा रही हैं। सुरक्षित गर्भपात के बारे में ग्रामीण स्तर पर महिलाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से आईपास डेवलपमेन्ट फाउंडेशन के सहयोग से प्रखंड क्षेत्र से आई सभी आशा को सुरक्षित गर्भपात के तमाम तकनीकी और वैधानिक पहलुओं के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर इस विषय पर विस्तार से जानकारी देते हुए आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन की रिसर्च एंड ट्रेनिंग को- ऑर्डिनेटर हीना कौसर ने बताया कि 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध है। बावजूद इसके 12 सप्ताह के अंदर एक प्रशिक्षित डॉक्टर एवं 12 सप्ताह से ऊपर तथा 20 सप्ताह तक में दो प्रशिक्षित डॉक्टर की उपस्थिति में सदर अस्पताल या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में ही प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में सुरक्षित गर्भपात कराया जाना चाहिये। उन्होंने बताया कि इस विषय पर समाज को जागरूक करने की बहुत जरूरत है। हमारे प्रखण्ड संग्रामपुर के अस्पताल में प्रशिक्षित डॉक्टर एवं नर्स उपलब्ध हैं। फिर भी महिलाएं नीम-हकीम और झोला छाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर अपनी जान गंवा रही हैं। एक कहावत भी है कि ” नीम-हकीम खतरे जान” इसलिए महिलाओं को इस चक्कर में पड़ने से बचाने के लिए उन्हें आशा के सहयोग से सुरक्षित गर्भपात के बारे में जागरूक किया जाना आवश्यक है।

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