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किशनगंज : जीविका दीदियों को दी गयी सुरक्षित गर्भपात सुविधा की जानकारी।

सुरक्षित गर्भपात, प्रशिक्षित चिकित्सक से 12 सप्ताह तक करा सकते हैं, सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है गर्भपात की सुविधा।

  • सुरक्षित गर्भपात को लेकर परिजनों को ध्यान देने की जरूरत।
  • 12 सप्ताह से 20 सप्ताह तक कानूनन वैध है गर्भपात की सुविधा।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर वैध है। इस बात की जानकारी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है। जिसके कारण आज भी वह गांव देहात के नीम हकीम के चक्कर में पड़कर अपना प्राण तक गंवा रही हैं। सुरक्षित गर्भपात के लिए लोगों को सही समय एवं योग्य चिकित्सक की जानकारी का होना आवश्यक है। अनचाहा गर्भ किसी भी दम्पति को मानसिक तनाव एवं परेशानी में डाल देता है। ऐसे में दंपत्तियों द्वारा अचानक से गर्भपात का जोखिम भरा फैसला लिया जाता और आनन-फानन में किसी भी चिकित्सक से जल्द ही गर्भपात करा दी जाती है। जो भविष्य में महिला के स्वास्थ्य में परेशानी का सबब बनती है। इसे दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष तैयारी की गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी अस्पतालों में योग्य चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। जिसके द्वारा सुरक्षित गर्भपात कराया जा सकता है। जिससे सम्बंधित महिला को भविष्य में किसी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। लोगों तक इसी स्वास्थ्य सुविधा की जानकारी आई पास की रिसर्च एंड ट्रेनिंग आफिसर हीना कौसर ने पोठिया प्रखंड के बाबनगाछ गाँव में 35 जीविका दीदी को प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी।वहीं जिले के सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट -1971 के तहत 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की कानूनी तौर पर इजाजत है। 1971 में बने इस कानून को लेकर हालांकि कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। इसे लेकर परिजनों को खास ध्यान देने की आवश्यकता है। बिचौलिये के संपर्क में नहीं पड़ना चाहिए। समस्या होने पर पास के सरकारी अस्पताल से संपर्क करना चाहिए। जिले के सरकारी अस्पतालों में कानूनी तौर पर निःशुल्क गर्भपात की सुविधा है। विशेष परिस्थिति पैदा होने पर एंबुलेंस के जरिये महिला मरीज को अच्छी जगह भेजने की व्यवस्था मौजूद है। 12 सप्ताह तक एक प्रशिक्षित डॉक्टर और 13 से 20 सप्ताह के अंदर तक दो प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में सरकारी अस्पताल या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में गर्भपात होनी चाहिए। आई पास की रिसर्च एंड ट्रेनिंग आफिसर हीना कौसर ने गाछ्पारा ग्राम में जीविका दीदी को प्रशिक्षण देते हुए कहा अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य पत्रिका लैंसेट में छपे एक लेख के अनुसार भारत में होने वाले कुल गर्भ समापन में लगभग दो-तिहाई स्वास्थ्य केंद्र के बाहर होते हैं। बिहार में 1 वर्ष में होने वाले 12.5 लाख गर्भ समापन में से 84% स्वास्थ्य केंद्र के बाहर होते तथा 5% गर्भ समापन अप्रशिक्षित सेवा प्रदाता द्वारा किए जाते हैं। असुरक्षित गर्भ समापन मातृ मृत्यु का एक मुख्य कारण है। इसलिए इस विषय पर कार्य करने की आवश्यकता है। पिछले 5 दशकों के दौरान महिलाओं की यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य विशेषकर सुरक्षित गर्भपात के क्षेत्र में काफी बदलाव देखा गया है। 13 से 20 सप्ताह तक सुरक्षित गर्भपात की सुविधा कानूनन वैध है। इसके लिए लोगों को किसी भी अप्रशिक्षित चिकित्सक से गर्भपात कराने की जरूरत नहीं है। अप्रशिक्षित चिकित्सक से कराया गया गर्भपात भविष्य में महिला के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर दिखा सकता है। जिले के सभी प्राथमिक अस्पताल में गर्भपात के लिए प्रशिक्षित चिकित्सक उपलब्ध हैं। कोई भी गर्भवती महिला प्रथम तिमाही यानी 12 सप्ताह में अपना गर्भपात करवा सकती है। अगर किसी कारणवश दम्पति प्रथम तिमाही में गर्भपात नहीं करा पाए तो उन्हें परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। एमटीपी एक्ट के अनुसार कोई भी दम्पति गर्भधारण के दूसरी तिमाही यानी 20 सप्ताह तक में गर्भपात करवा सकती हैं। लेकिन दूसरी तिमाही में गर्भपात थोड़ा कठिन होता है इसलिए इसके लिए अतिरिक्त चिकित्सकों की आवश्यकता होती है। जिले में यह सुविधा सदर अस्पताल, में उपलब्ध है।

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