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किशनगंज : गंगा नदी तंत्र पर मत्स्य अंगुलिका का पुनर्स्थापन हेतु किसान गोष्ठी एवं रिवर रैंकिंग कार्यक्रम का शुभारंभ

जिलाधिकारी, विशाल राज के द्वारा उपस्थित मछुआरों को संबोधित किया गया कि जिले के जलकारों, तालाबों में बेहतर मत्स्य पालन कर मत्स्य उत्पादकता में बृद्वि लाये इस हेतु जिला मत्स्य पदाधिकारी को मत्स्य कृषकों को लगातार प्रशिक्षण आयोजित कर जागरूकता लाने हेतु दिशा निर्देश दिया गया

किशनगंज, 06 दिसंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिला के महानंदा नदी ओदरा घाट के नजदीक गंगा नदी पुर्नस्थापन योजना के तहत् रिभर रैंचिग कार्यक्रम अन्तर्गत गंगा नदी के सहायक महानंदा नदी में पाये जाने वाली देशी मछली यथा रोहू, कतला एवं मंगल प्रजाति के मछली का 3.80 लाख अंगुलिका पुनर्स्थापन कार्यक्रम का शुभारंभ जिलाधिकारी, विशाल राज, उप विकास आयुक्त स्पर्श गुप्ता, संयुक्त मत्स्य निर्देशक, प्रशिक्षण एवं प्रसार, मीठापुर पटना, गौरी शंकर, उप-मत्स्य निर्देशक, पूर्णिया परिक्षेत्र पूर्णिया, शंभू कुमार राय, जिला पशु पालन पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, के द्वारा दीप प्रजलित कर संयुक्त रूप से किया गया, एवं जिलाधिकारी, विशाल राज के द्वारा उपस्थित मछुआरों को संबोधित किया गया कि जिले के जलकारों, तालाबों में बेहतर मत्स्य पालन कर मत्स्य उत्पादकता में बृद्वि लाये इस हेतु जिला मत्स्य पदाधिकारी को मत्स्य कृषकों को लगातार प्रशिक्षण आयोजित कर जागरूकता लाने हेतु दिशा निर्देश दिया गया। कार्यक्रम के दौरान जिला मत्स्य पदाधिकारी के द्वारा उपस्थित सभी मछुआरे सदस्यों को योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। उनके द्वारा बताया गया गया कि नदियों से लगातार मछुआरों के द्वारा शिकारमाही किये जाने के कारण नदियों में देशी प्रजाति की मछली बिलुप्त होने के स्थिति में है। साथ ही नदियों में मछली कम होने के कारण मछुआरों को बेरोजगारी एवं दिन प्रतिदिन अमदनी में कमी हो रही है। इस कार्यक्रम के संचालन होने से नदियों में देशी प्रजाति की मछली पुनः स्थापित हो सकेगी साथ ही मछुआरों को शिकारमाही के क्रम में पर्याप्त मात्रा में मछली मिल सकेगा। जिला मत्स्य पदाधिकारी के द्वारा यह भी बताया गया कि पूर्व के वर्ष में उत्पादकता 1.5 किलोग्राम वर्तमान में नदी की उत्पादकता 2.4 किलाग्राम प्रति किलो मीटर से भी कम है योजना के माध्यम से नदियों में मत्स्य उत्पदकता बढ़ाने का एक प्रयास किया जा रहा है। मछुआरों से अनुरोध किया गया कि मछली पकड़ने के लिए चट्टी जाल एवं 10 एमएम से नीचे के फ़ांस जाल का प्रयोग नही करें। इस तरह के जाल का प्रयोग करना दण्डनीय अपराध भी है जाल का प्रयोग करते समय पकड़ाने पर सजा भी हो सकती है साथ ही मछुआरे के लिए भी आजीविका में खतरे की स्थिति भी होगी। कार्यक्रम में जिला मत्स्य कार्यालय के मत्स्य विकास पदाधिकारी, मत्स्य प्रसार पदाधिकारी, कोचाधामन, टेढ़ागाछ, ठाकुरगंज, एवं पोठिया मत्स्य जीवी सहयोग समिति के मंत्री एवं सदस्य, स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि एवं प्रगतिशील मत्स्य पालक भी उपस्थित थे।

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