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किशनगंज : सदर अस्पताल के एसएनसीयु में 24 घंटे मिल रही बेहतर स्वास्थ्य सेवा, इलाज के दौरान हर जरूरी बातों का रखा जा रहा ख्याल, वर्ष 2021-22 में 630 शिशुओं को मिला लाभ..

नवजातों को सुविधाजनक तरीके से उपलब्ध कराई जा रही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा।

  • इलाज के दौरान हर जरूरी बातों का रखा जा रहा ख्याल, मिल रही समुचित स्वास्थ्य सेवा का लाभ।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, सही पोषण का अभाव, कम उम्र में शादी, एएनसी जांच में अनदेखी सहित कई अन्य वजहों से बच्चे बीमार ही जन्म लेते हैं। नवजात में किसी तरह के रोग का पता लगाना बेहद जटिल होता है। इसलिये जन्म के उपरांत बच्चे के वजन, आकार, आव-भाव, हरकतों व लक्षणों के आधार पर रोगग्रस्त बच्चों की पहचान की जाती है। प्रसव वार्ड में तैनात चिकित्सक ही नहीं बहुत सारी एएनएम व जीएनएम भी बाल रोग की पहचान में बेहद दक्ष होती हैं। उन्हें इसे लेकर प्रशिक्षित भी किया जाता है। रोगग्रस्त बच्चे की पहचान सुनिश्चित होते ही इसे अस्पताल परिसर में बने स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में भेजा जाता है। जो नवजात रोगों के उपचार के लिये खासतौर पर बनाया गया है। सभी जरूरी संसाधन से इसे सुसज्जित किया गया है। बावजूद आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता का अभाव है। लिहाजा बीमार नवजात के इलाज के चक्कर में वे बड़ी आसानी से किसी निजी क्लिनिक में जा कर इलाज में हजारों खर्च करते हैं। इसलिए कार्य को बेहतर ढंग से करने के लिए सदर अस्पताल परिसर में संचालित एसएनसीयू प्रयासरत है। आपको बताते चलें कि एसएनसीयू प्रभारी डॉ अंकिता कुमारी ने बताया, यहाँ आने वाले सभी नवजातों को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जा सके, इसके लिए हर जरूरी बातों का ख्याल रखा जाता है। साथ ही भर्ती नवजातों के स्वास्थ्य का नियमित तौर पर फॉलोअप किया जाता और इलाज के दौरान सुरक्षा के हर मानकों का ख्याल रखा जाता है। ताकि नवजात को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिल सके और किसी अनावश्यक परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। इसके अलावा नवजात के स्वस्थ्य शरीर निर्माण को लेकर इलाज के पश्चात की जाने वाली आवश्यक देखरेख की भी जानकारी नवजात के परिजनों को दी जाती और उचित देखरेख के लिए प्रेरित भी किया जाता है। वही एसएनसीयू में भर्ती एक नवजात की परिजन व कोचाधामन के परिहालपुर निवासी गुलचमन ने बताया कि उसका 03 दिन का बच्चा जोंडिस से पीड़ित था। उन्होंने आगे बताया कि मुझे सदर अस्पताल में ही प्रसव हुआ था। जन्म के बाद ही मुझे अपने बेटे को जोंडिस होने की जानकारी मिली। जिसके बाद मैंने चिकित्सकों की सलाहानुसार अपने नवजात को एसएनसीयू में एडमिट कराया। दोनों जगह मुझे अच्छी सुविधा मिली। जिसके कारण मेरा बच्चा बहुत जल्द स्वस्थ्य हो गया। जिसके बाद मुझे यहाँ से डिस्चार्ज किया गया और मैं अपने स्वस्थ्य बच्चे के साथ घर जा रही हूँ।

जरूरी आधुनिक सुविधाओं से लैस है एसएनसीयू :

जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि नवजात के रोग ग्रस्त होने पर उसे एसएनसीयू में भर्ती कराया जाता है। जहां कम से कम 24 से 48 घंटों तक प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी व चिकित्सक की देखरेख में बच्चों का रहना जरूरी है। इस दौरान बच्चों की हालत पर पूरी निगरानी रखी जाती है। उन्होंने बताया कि एसएनसीयू में रेडियो वॉर्मर, ऑक्सीजन की सुविधा, फोटो थैरेपी जो जोंडिस पीड़ित बच्चों के लिये महत्वपूर्ण है। नवजात के लिये डाइपर, सेक्शन मशीन सहित अन्य सुविधाएं मौजूद हैं। एसएनसीयू में अपने बच्चे का इलाज करा रही जिले के हलीम चौक निवासी बुसरा ने बताया उनका 9 दिन का बेटा जन्म लेने के बाद रोया तक नहीं। शरीर में कोई हलचल भी नहीं थी। हम तो हताश हो चुके थे। बच्चे को एसएनसीयू ले जाया गया। जहां महज एक घंटे के बाद बच्चा रो भी रहा था और मां का दूध पीने की कोशिश भी करने लगा था।

नवजात का 24 से 48 घंटे तक विशेष निगरानी में रहना जरूरी :

सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि एसएनसीयू बीमार नवजात को जीवनदान देने में सक्षम है। बहुत से लोग इसका लाभ भी उठा रहे हैं। लेकिन कुछ लोग हैं जो नवजात की बीमारी से परेशान होकर इधर-उधर भटक कर अपना व अपने नवजात को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि एसएनसीयू में सारी सेवाएं नि:शुल्क हैं। इलाजरत नवजात के माता पिता को थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है। अक्सर अभिभावक नवजात की तबीयत में थोड़ा सुधार होने पर उसे घर ले जाने की जिद करते हैं। उन्हें समझना चाहिये कि बीमार नवजात का एसएनसीयू में 24 से 48 घंटे तक विशेष चिकित्सकीय देखरेख में रहना जरूरी है। एसएनसीयू प्रभारी डॉ अंकिता कुमारी ने बताया कि 01 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक कुल 630 बच्चों को यहाँ एडमिट कराया गया है। जिसमें 384 बच्चे ठीक होकर सकुशल अपने घर गये। वहीं 151 बच्चो को बेहतर इलाज के लिए उच्चतर अस्पताल रेफर किया गया है। 29 बच्चे के परिजन बिना इलाज पूर्ण किये एसएनसीयू छोड़कर चले गये एवं 63 बच्चो की मृत्यु हो गयी।

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