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घर मे शंख हो तो ध्यान रखें इन 8 बातों का

हिंदू धर्म में शंख को घर में रखना बहुत शुभ माना गया है। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है। घर में रखे शंख के विषय में ये 8 बातें ध्यान रखने पर उससे प्राप्त होने वाली शुभता में वृद्धि होती है

जानते हैं शंख के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें-

1- शंख को पानी में नहीं रखना चाहिए।

2- शंख को धरती पर भी नहीं रखना चाहिए। शंख हमेशा एक साफ कपड़ा बिछाकर रखना चाहिए।

3- शंख के अंदर जल भरकर नहीं रखना चाहिए। पूजन के समय शंख में जल भरकर रखा जा सकता है। आरती के बाद इस जल का छिड़काव करने से शारीरिक व मानसिक विकारों से मुक्ति मिलता है। साथ ही, जीवन में सौभाग्य का उदय होने लगता है।

4- शंख को पूजा के स्थान पर रखते समय खुला हुआ भाग ऊपर की ओर होना चाहिए।

5- शंख को भगवान विष्णु, लक्ष्मी या बालगोपाल की मूर्ति के दाहिनी ओर रखा जाना चाहिए।

6- शंख को माता लक्ष्मी का रूप माना गया है। इसलिए शंख को पूूजन स्थान में उसी आदर के साथ पूजा जाना चाहिए। जिस आदर के साथ भगवान का पूजन किया जाता है।

7- आसानी से धन की प्राप्ति के लिए शंख को 108 चावल के दानों के साथ लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में स्थापित करें।

8- घर में शंख ध्वनि का गुंजन सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने वाला माना गया है। पूजन के समय रोजाना घर में शंख बजाना चाहिए।

9. शंख-अति चमत्कारिक–

शास्त्रों में इसे अति चमत्कारिक बताया गया है। इन तीन प्रकार के शंखों के अलावा और भी अनेक प्रकार के शंख पाए जाते हैं जैसे लक्ष्मी शंख, गरुड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, गोमुखी शंख, देव शंख, राक्षस शंख, विष्णु शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, शनि शंख, राहु एवं केतु शंख।

10. शंख से वास्तु दोष मुक्ति का तरीका–

शंख किसी भी दिन घर में लाकर पूजा स्थल में रखा जा सकता है। लेकिन शुभ मुहूर्त विशेष तौर पर होली, रामनवमी, जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा, दीपावली के दिन अथवा रवि पुष्य योग या गुरू पुष्य योग में इसे पूजा स्थल में रखकर इसकी धूप-दीप से पूजा की जाए घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है। शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।

11. क्या रहस्य है शंख बजाने का–

मंदिर में आरती के समय शंख बजते सभी ने सुना होगा परंतु शंख क्यों बजाते हैं? इसके पीछे क्या कारण है यह बहुत कम ही लोग जानते हैं। शंख बजाने के पीछे धार्मिक कारण तो है साथ ही इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है और शंख बजाने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।

12. शंख की उत्पत्ति कैसे हुई

इस संबंध में हमारे धर्म ग्रंथ कहते हैं सृष्टी आत्मा से, आत्मा आकाश से, आकाश वायु से, वायु अग्रि से, आग जल से और जल पृथ्वी से उत्पन्न हुआ है और इन सभी तत्व से मिलकर शंख की उत्पत्ति मानी जाती है। शंख की पवित्रता और महत्व को देखते हुए हमारे यहां सुबह और शाम शंख बजाने की प्रथा शुरू की गई है।

13. शंख बजाने का स्वास्थ्य लाभ-

शंख बजाने का स्वास्थ्य लाभ यह है कि यदि कोई बोलने में असमर्थ है या उसे हकलेपन का दोष है तो शंख बजाने से ये दोष दूर होते हैं। शंख बजाने से कई तरह के फेफड़ों के रोग दूर होते हैं जैसे दमा, कास प्लीहा यकृत और इन्फ्लून्जा आदि रोगों में शंख ध्वनि फायदा पहुंचाती है।

शंख बजाइये और रोगों से छुटकारा पाइये!!

14. समुद्र मंथन और शंख–

समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में एक रत्न शंख है। माता लक्ष्मी के समान शंख भी सागर से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे माता लक्ष्मी का भाई भी कहा जाता है।

15. हिन्दू धर्म और शंख–

हिन्दू धर्म में शंख को बहुत ही शुभ माना गया है, इसका कारण यह है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही अपने हाथों में शंख धारण करते हैं। जन सामान्य में ऐसी धारणा है कि, जिस घर में शंख होता है उस घर में सुख-समृद्धि आती है।

16. वास्तु विज्ञान और शंख–

वास्तु विज्ञान भी इस तथ्य को मानता है कि शंख में ऐसी खूबियां है जो वास्तु संबंधी कई समस्याओं को दूर करके घर में सकारात्मक उर्जा को आकर्षित करता है जिससे घर में खुशहाली आती है।

17. शंख की ध्वनि–

शंख की ध्वनि जहां तक पहुंचती हैं वहां तक की वायु शुद्ध और उर्जावान हो जाती है। वास्तु विज्ञान के अनुसार सोयी हुई भूमि भी नियमित शंखनाद से जग जाती है।

18. रोग-कष्ट और शंख-

भूमि के जागृत होने से रोग और कष्ट में कमी आती है तथा घर में रहने वाले लोग उन्नति की ओर बढते रहते हैं। भगवान की पूजा में शंख बजाने के पीछे भी यह उद्देश्य होता है कि आस-पास का वातावरण शुद्ध पवित्र रहे।

19. शंख के प्रकार-

शंख मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-दक्षिणावर्ती, मध्यावर्ती और वामावर्ती। इनमें दक्षिणावर्ती शंख दाईं तरफ से खुलता है, मध्यावर्ती बीच से और वामावर्ती बाईं तरफ से खुलता है। मध्यावर्ती शंख बहुत ही कम मिलते हैं।

20. शंख के जल से शालीग्राम–

शंख के जल से शालीग्राम को स्नान कराएं और फिर उस जल को यदि गर्भवती स्त्री को पिलाया जाए तो पैदा होने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ होता है। साथ ही बच्चा कभी मूक या हकला नहीं होता।यदि शंखों में भी विशेष शंख जिसे दक्षिणावर्ती शंख कहते हैं इस शंख में दूध भरकर शालीग्राम का अभिषेक करें। फिर इस दूध को नि:संतान महिला को पिलाएं। इससे उसे शीघ्र ही संतान का सुख मिलता है।

21. शंख और लाभ–

लाभ अनेक रोज सुबह दक्षिणावर्ती शंख में थोड़ा सा गंगा-जल डालकर सारे घर में छिड़कें भूत-प्रेत व दुरात्माओं से मुक्ति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती हैं। एक कांच के कटोरे में लघु मोती शंख रखकर उसे अपने बिस्तर के नजदीक रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर प्रगाढ़ दाम्पत्य-सुख की अनुभूति होगी। पति-पत्नी इससे जल आचमन करके अपने माथे पर अभिषेक करे तो परस्पर वैमनस्य दूर होता है।

22. घर में दक्षिणावर्ती शंख–

घर में दक्षिणावर्ती शंख का वास होने से लक्ष्मी का स्थायी वास होता है। दक्षिणावर्ती शंख का विधिपूर्वक पूजन करें तथा अपने व्यवसाय-स्थल पर रखें तो आप सदैव ऋण मुक्त रहेंगे। आप अपनी माता से चावल से भरा एक मोती शंख प्राप्त करें तथा उसे विदेश यात्रा संबंधी कागजात के स्थान पर रखे तो आपके समस्त विघ्न दूर हो जायेंगे। व्यापार स्थान में भगवान विष्णु की मूर्ति के नीचे एक दक्षिणावर्ती शंख रख कर इससे रोज पूजन करके गंगा जल अपने कार्यालय में छिड़कें तो समस्त बाधाएं समाप्त होकर व्यापार में उन्नति होने लगेगी। रात भर शंख में रखे जल का रोज सेवन करने से रोगों से स्वतः मुक्ति मिल जाती है। वह इस बात पर निर्भर है कि शंख कितनी शुद्धता व गुणवत्ता का है।

23. दिक्कते और शंख–

शंख घिस कर नेत्र में लगाने से आंख की सूजन दूर होती है। शंख भस्म उचित अनुपात में सेवन करने से गुल्म शूल, पित्त, कफ, रूधिर प्लीहा आदि विकार नष्ट हो जाते हैं। फसलों को पानी देते समय किसी शुभ मुहूर्त में 108 शंखोदक भी मिला लें, फसल बढ़ेगी, अनाज बढ़ेगा। अनाज भंडार में कीड़ें-मकोड़ों से बचाने के लिए मंगलवार को शंखनाद करना चाहिए। त्वचा रोगों में शंख की भस्म को नारियल तेल में मिलाकर आक्रांत जगह पर नित्य लगा दें। स्नान करने के पश्चात थोड़ा पानी वहीं लगाकर पोछ दें।

24. दिन, रात और शंख–

रात को शंख भस्म लगायें और सुबह स्नान के पश्चात् शंखोदक से साफ करें। शुद्ध शिलाजीत को गर्म दूध में अच्छी तरह मिलाकर इस मिश्रण को रोज रात को सोने के पूर्व शंख के जरिये पीने से स्मरण शक्ति व शारीरिक क्षमता में वृद्धि होगी। यदि शंख-भस्म के साथ करेले के रस में गाय का दूध सुबह सेवन किया जाए तो मधुमेह का रोग ठीक होता है। एक शंख में पानी भरकर रखें। रात्रि को भोजनोपरांत आधे घंटे बाद उस पानी को ग्रहण कर लें। 3 दिन ऐसा करने से पुराने कब्ज से भी मुक्ति प्राप्त होती है।

25. शंख के फायदे–

यदि विष्णु शंख में गंगा जल भरकर रोहिणी, चित्रा व स्वाती नक्षत्रों में गर्भवती को पान करायें तो प्रसव में कोई कष्ट नहीं होगा। संतान भी स्वस्थ व पुष्ट होगी। अन्नपूर्णा शंख में गंगा जल भरकर सुबह-सबेरे पीने से स्वास्थ्य के विकार दूर होते हैं। वास्तव में शंख एक बहुत गुणी यंत्र है, उसे सदा घर में रखें। यदि शंख की पूजा नित्य तुलसी से ही करें तो घर में क्लेश, दुख-दारिद्रय तथा रोगों का प्रवेश नहीं होता। शंख का पानी यदि थोड़ा-थोड़ा पिया जाये तो हकलाना दूर होता है।

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