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अस्पताल बना स्टैण्ड ,कैसे निकले एम्बुलेंस……

गुड्डू कुमार सिंह-आरा/पीरो।भोजपुर जिले के पीरो अनुमंडल के सरकारी अस्पताल तक मरीजों को लाने व ले जाने के लिए तो सरकार ने दो एंबुलेंस सेवा की व्यवस्था कर रखी है।लेकिन पूर्व चिकित्सा पदाधिकारियों कें कमी के कारण अस्पताल परिसर स्टैण्ड में तब्दील हो गया है ।जिसके कारणा मरीजों ओर उनके स्वजनों को संडक दुघर्टना या गम्भीर मरीज एंबुलेंस नही निकलने कि स्थिति में काफी देरं हो जाने के कारण रास्ते में ही दम तोड देते है।अनुमंडल अस्पताल पहुँचने के लिए जरूतमंद मरीजों को एंबुलेसं स्थल तक नही पहुंचने पर काफी परेसानियो का सामना करना पडता है। लाखों की आंबादी स्वास्थय सेवाओं के लिए इस अस्पताल पर निर्भर करती है ।लेकिन यहां गंभीर मरीजों को घर से लाने या वापस पहुंचाने कें लिए काफी इन्तजार करना पडता है।जब तक बाईक स्वामी नही पहुंचते तब तक एंबुलेंस का चालक निकलने तक इंतजार करता है।स्थिति यह की अस्पताल परिसर स्टैण्ड के साथ साथ हाट व कुडे दान व गदें पानी का आश्रय बन चुका है ,।जिससे आने जानेवाले मरीजों को नाक बंद कर अस्पताल परिसर जाने को मजबूर है।यही नही बरसात के दिनो में एंबुलेस घुमाने में भी काफी असुबिधा होती ह्रै साथ ही बरसात में पानी में खडा करना पडता है एंबुलेस ।

स्थिति यह ह्रै कि प्रत्येक दिन किसी न किसी थाने के पदाधिकारी संडक दुघर्टना या मारपीट के मामलें में गम्भीर मरीज लेकर अस्पताल आते जाते है ,लेकिन इस समस्या की ओर किसी का ध्यान आकृष्ट नही होता है ।दुर्भाग्य वश एक सप्ताह पहले सिविल सर्जन डा० सुरेश प्रसाद सिह ने पीरो अस्पताल का निरीक्षण किया गया था ।लेकिन इस समस्या का उनके द्वारा अवलोकन नही किया गया । ना ही किसी स्वास्थय कर्मी द्वारा इस समस्या सें अवगत कराया गया ,ना ही सविल सर्जन महोदय देख पाय ।

इसं संबध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा० रबि कुमार सें इस बारे में जानकारी ली गई तो सबसे पहले उन्होने कहा की अभी हम नये है पूर्ण प्रभार भी नही मिला है।मुझे अभी इस क्षेत्र में केवल डेढ़ से दो साल का अनुभव है सुरक्षा कर्मीयो को संख्त आदेश दिया गया ह्रै कि अस्पताल परिसर के अगल बगल गाडी नही लगने दें ,और जहाँ तक मेरा अपना राय है कि जब तक चारदिवारी की व्यवस्था नही हो पाती तब तक झ्स समस्या का कोई स्थाई निदान नही है।क्योकी ज्यादा जोर देने पर मारपीट की नौबत उत्पन्न हो जाती है ,जिसके चलते सुरक्षा कर्मी भी मैनेज कर चलते है चूकि बाहरी व्यक्ति काम करने आया है मारपीट करने नही ।इसलिए इसका स्थाई ईलाज चाहरदिवारी सें सम्भव है ।इसके लिए वरिये पदाधिकारियों को लिखित आवेदन दिया गया ह्रै ।मार्गदर्शन मिलने के बाद उचित कारवाई की जायेगी।

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