आरोग्य दिवस :- सर्दियों में बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी।

जिले के सभी प्रखंडो के आंगनबाड़ी केन्द्रों आरोग्य दिवस का किया गया आयोजन, बच्चों के लिए जरूरी है न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन, रोग प्रतिरोध्क क्षमता का होता है विकास।
ये है जरूरी टिके।
- जन्म होते ही-ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी।
- डेढ़ महीने बाद-ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1
- ढाई महीने बाद-ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2।
- साढ़े तीन महीने बाद-ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2
- नौ से 12 माह में – मीजल्स 1, मीजल्स रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए
- 16 से 24 माह में – मीजल्स 2, मीजल्स रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2
ये भी हैं जरूरी:
- 5 से 6 साल में-डीपीटी बूस्टर 2
- 10 साल में-टेटनेस
- 15 साल में-टेटनेस
गर्भवती महिला को-टेटनेस 1 या टेटनेस बूस्टर, साथ ही बच्चा छह महीने से कम का है, तो 6 महीने तक नियमित रूप से केवल स्तनपान कराएं। स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है।
- टीकाकरण केंद्र जाने के लिए बिना मास्क के घर से बाहर न निकले।
- टीका दिलाते समय बच्चों को अपनी गोद में रखें।
- छोटे बच्चों को नियमित रूप से समय समय पर हाथ धोने के लिए प्रेरित करें।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, पिछले दो तीन दिनों से रुक रुक कर बारिश होने से जिले में ठंड की सुगबुगाहट होने लगी है। अमूमन अक्टूबर माह से जिले में सर्दियों का मौसम शुरू हो जाता है। लेकिन, इस बीच अधिकतम व न्यूनतम तापमान में काफी अंतर रहता है। ऐसे में शिशुओं, बच्चों व बुजुर्गों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। वहीं, सर्दियों के साथ संक्रमित बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। जिनमें से एक निमोनिया भी है। एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार मलेरिया, दस्त एवं खसरा को मिलाकर होने वाली बच्चों की कुल मौत से अधिक निमोनिया की वजह से बच्चों की मौत हो जाती है। ऐसे में सर्दियों के आगमन के साथ ही, बच्चों की उचित देखभाल के साथ-साथ सम्पूर्ण टीकाकरण बहुत जरूरी है। वही जिले में सभी प्रखंडों के आंगनबाड़ी केंद्रों पर आरोग्य दिवस के उपलक्ष्य में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) सत्र का आयोजन कर गर्भवती व धात्री महिलाओं, किशोरियों एवं बच्चों को नियमित टीकाकरण किया गया। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेन्द्र ने सदर अस्पताल परिसर में बुधवार को जानकारी देते हुए बताया की निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। बैक्टीरिया, वायरस या फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। आम तौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह 10 दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन पांच साल से छोटे बच्चों व 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इसलिए निमोनिया का असर जल्द होता है। बैक्टीरिया से बच्चों को होने वाले जानलेवा निमोनिया को टीकाकरण कर रोका जा सकता है। बच्चों को न्यूमोकोकल कॉन्जुंगेट वैक्सीन यानी पीसीवी का टीका दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल में आवश्यक टीकाकरण की सुविधा मौजूद है तथा जिले में सम्पूर्ण टीकाकरण के लिए एएनएम के द्वारा संपूर्ण टीकाकरण का कार्यक्रम आंगनबाड़ी केंद्रों में भी किया जाता है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेन्द्र ने बताया की जिले में प्रत्येक बुधवार एवं शुक्रवार को आरोग्य दिवस में बच्चो का नियमित टीकाकरण किया जाता है उसमे बच्चे को निमोनिया से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी है।न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंगजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है।