आम हड़ताल एवं ग्रामीण भारत बंद ऐतिहासिक रहा: भाकपा।…
कुणाल कुमार :-पटना। 16 फरवरी 2024, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा कि केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 16 फरवरी को आयोजित आम हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद ऐतिहासिक रहा। केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा दिल्ली सहित पूरे देश में किसानों के आन्दोलन पर किये गये दमन व अत्याचार का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी पुरजोर निंदा करती है। भाकपा किसान आन्दोलन के साथ खड़ी है और उनके संघर्षो का समर्थन करती है। पूरे राज्य में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं, किसान, मजदूरों ने हड़ताल में बढ़ चढ़कर भाग लिया। हड़ताल को सफल बनाने के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्य की जनता को बधाई दी और लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाने का आह्वान किया। बिहार में चल रही मैट्रिक परीक्षा के कारण बंद में कुछ छूट दी गई थी, इसके बावजूद पूरे बिहार में लाखों लोगों ने बंद में भाग लिया। बिहार के सभी पोस्ट ऑफिस बंद रहे, ट्रक और बस के चालक भी हड़ताल पर रहे। यातायात बाधित रहा।
भाकपा राज्य सचिव ने बयान जारी कर कहा कि केंद्रीय श्रम संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र की भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ औद्योगिक क्षेत्रों में आम हड़ताल और ग्रामीण बंद का आह्वान किया था। केंद्र सरकार लगातार मेहनतकश लोगों के जीवन और आजीविका पर बर्बर हमला कर रही है। विभिन्न कानूनों, कार्यकारी आदेशों के माध्यम से आक्रामक रूप से श्रमिक-विरोधी, किसान-विरोधी और जन-विरोधी कदम उठा रही है। सभी लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला कर रही है। संवैधानिक संस्थानों को सांप्रदायिक बनाने, मंत्रालय के पदाधिकारियों और केंद्रीय एजेंसियों का पूरी तरह से दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि सभी फसलों के लिए एमएसपी सी 2 प्लस 50 की गारंटी वाली खरीद, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और उन पर मामला दर्ज करने, छोटे व मध्यम किसान परिवारों को व्यापक ऋण से मुक्ति दिलाने को लेकर बंद का आह्वान किया गया था। साथ हीं श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह, 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करने, आईपीसी, आरपीसी में किए गए कठोर संशोधनों को निरस्त करने, मौलिक अधिकार के रूप में रोजगार की गारंटी, रेलवे, रक्षा सहित सार्वजनिक उपक्रमों, बिजली, कोयला, तेल, इस्पात, दूरसंचार, डाक, परिवहन, हवाई अड्डे, बंदरगाह और बैंक, बीमा कंपनियों, शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण के खिलाफ बंद आयोजित किये गये थे। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत मजदूरों को साल में दो सौ दिन रोजगार और 600 रुपये दैनिक मजदूरी और पुरानी पेंशन योजना की बहाली आदि सवालों को लेकर हड़ताल आयोजित की गई, जिसका सभी तबकों ने समर्थन किया।



