*गंग कला आरती मंच ने किया अर्पणा बाला को सम्मानित*

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, ::पवित्र गंगा तट कंगन घाट पर 05 जून से 16 जून 2025 तक आयोजित बिहार सांस्कृतिक गौरव गंग कला आरती कार्यक्रम ने न केवल गंगा आराधना को जीवंत किया है, बल्कि समाजसेवा, संस्कृति और नारी शक्ति के प्रतीकों को भी मंच पर सम्मानित किया है। इस गरिमामयी अवसर पर राम जानकी प्रगति सेवा संस्थान एवं संभव संस्था की संस्थापिका-सह-सचिव अर्पणा बाला को उनके सामाजिक योगदान के लिए अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। उक्त जानकारी संस्था के मीडिया प्रभारी शिवम् जी सहाय ने दी।
उन्होंने बताया कि इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन सनातनी गंगा फाउंडेशन एवं आईडीपीटीएस (IDPTS) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। कार्यक्रम में बिहार की संस्कृति, कला और लोक परंपराओं को नए रंग और मंच मिला। गंगा आरती की स्वर लहरियों और दीपों की रोशनी में जब सम्मान समारोह आरंभ हुआ, तो पूरा वातावरण श्रद्धा और गौरव से भर उठा।
मीडिया प्रभारी शिवम् जी सहाय ने बताया कि अर्पणा बाला का नाम बिहार में सामाजिक जागरूकता, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में एक भरोसे का प्रतीक बन चुका है। उन्होंने “राम जानकी प्रगति सेवा संस्थान” के माध्यम से नारी शिक्षा, स्वावलंबन और ग्रामीण उत्थान पर निरंतर काम किया है। वहीं “संभव” संस्था के जरिए वे विशेष रूप से वंचित वर्ग की महिलाओं और बच्चों के लिए कार्य कर रही हैं। उनका मानना है कि “संस्कार और शिक्षा जब साथ हों, तो समाज का उत्थान निश्चित है।”
उन्होंने बताया कि पटना नगर निगम की महापौर सीता साहू ने स्वयं अपने करकमलों से अर्पणा बाला को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि “गंगा केवल नदी नहीं है, संस्कृति की धारा है। और जब उसमें अर्पणा बाला जैसी सेवाभावी महिलाएं दीप बनकर जलती हैं, तो बिहार का सांस्कृतिक स्वरूप और अधिक उज्ज्वल होता है।”
गंग कला आरती कार्यक्रम बिहार की प्राचीन गंगा-पूजन परंपरा को आधुनिक मंच पर पुनः स्थापित करने का एक प्रशंसनीय प्रयास है। लोक कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी ने इसे बिहार के सांस्कृतिक कैलेंडर का एक प्रमुख आयोजन बना दिया है।
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