राज्यविचार

चुप रह कर जो अपने मन की बात समझाए वह है पिता – कुमार कार्तिकेय

कुमार कार्तिकेय के कलम से..

आज पिताजी के साथ ऑफिस गया ऑफिस में उनकी दिनचर्या को देखकर पिताजी के बारे में कुछ लिखने का दिल किया पिता का स्थान हमारे जीवन में बहुत खास होता है हमारे पिताजी हमारे आदर्श हैं उन्हीं से हम अपने व्यक्तित्व को मानस का विकास के रास्ते पर चलकर हम जीवन में आगे बढ़ रहे हैं
मेरे पिताजी का जीवन शैली
मेरे पिताजी बहुत ही सुन्दर है और समय पालक है, वह हर काम समय पर करते हैं और हमें बिल्कुल सही समय पर स्कूल जाने सिखाते हैं और हर काम जीवन में समय पर करने के बारे में बताते हैं वह हमें जीवन में समय का मूल सिखाते हैं और कहते हैं कि अगर कोई अपना समय खराब करता है तो समय उसका जीवन में बहुत ही दुख देता है, वह मेरे सच्चे हीरो,पक्के दोस्त,मेरी प्रेरणा और मेरे जीवन के सबसे अच्छे इंसान हैं वह हमेशा मेरा ध्यान रखते हैं,वह में कहते हैं कि अपनी स्थिति के अनुसार पूरे जीवन भर सभी आयु वर्ग के लोगों की हमेशा मदद करनी चाहिए वह हर दिन हमें घंटे भर अच्छी बातें और नैतिक के बारे में बताते हैं मुझे मेरे पिता पर गर्व है, जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए वह कभी पीछे नहीं हटते और हमेशा उनकी मदद के लिए तैयार रहते हैं खासतौर पर गरीबों के लिए वह मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं पिताजी मेरे सभी समस्याओं की चर्चा करते हैं जब भी कभी मैं परेशान होता हूं वह मुझे बहुत शांतिपूर्ण कारण बताते हैं मुझे अपने पास बैठाते हैं और अपना हाथ मेरे कंधे पर रखते हैं और अपने जीवन का अनुभव को साझा करते हैं मुझे एहसास कराने के लिए अपनी गलतियां और सफलता सहित कमियां बताते हैं कि मैं क्या सही और क्या गलत करता हूं वह जीवन में नैतिक के बारे में बताते हैं और बड़ों के महत्व को समझाते हैं वह हमें सिखाते हैं कि हमें जीवन भर किसी इंसान की दुखी नहीं करना चाहिए और हमेशा मदद करनी चाहिए नीति जिसका मैं अपने जीवन में सदा प्रशंसा करता हूं वह केवल मेरे प्यारे पिता जी हैं मैं आज भी अपने पिता के साथ सही बचपन के पलों को याद करता हूं वह मेरी खुशी और आनंद के वास्तविक कारण है मैं जो भी हूं उन्हीं की वजह से हूं अपने जीवन में ऐसे पिता को पाकर खुद को बहुत धन्य मानता हूं मैं हमेशा ईश्वर को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे ऐसे अच्छे पिता के परिवार में जन्म लेने का अवसर दिया।

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