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किसानों को भी अब समझ आने लगा है कि उन्हें कौन भरमा रहा है?

रंजीत कुमार सिन्हाकिसान आन्दोलन के 22 दिन हो चुके हैं और अब धीरे-धीरे किसान शहरों को भी यह समझ में आ गया है कि उनके आन्दोलन में कुछ ऐसे तत्व घुस गए हैं जो उन्हें नफ़रत गुमराह कर रहे हैं और आन्दोलन को मोदी विरोध की दिशा में ले जा रहे हैं। का प्रयास कर रहे हैं।

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पिछले कुछ दिनों में किसानों ने इस बात को अच्छी तरह से समझा है और वास्तविकता समझने के बाद अब उनका बिलकुल स्पष्ट मत सामने आ गया है कि यह आन्दोलन मोदी सरकार की नीतियों और मोदी सरकार के विरोध में नहीं है। यह आन्दोलन उनकी अपनी मांगों के बारे में है जिस पर सरकार से सार्थक बातचीत चल रही है। किस तरह से अब किसानों को यह बात समझने में आ गयी है, इसका एक ताजा उदाहरण दे रहा हूँ कि दिल्ली से गाजीपुर बार्डर पर जामिया मिलिया इस्लामिया के कुछ तथाकथित छात्र नेता 15-20 की संख्या में पहुँचना स्थल पर परसों पहुंचे और उन्होंने वहाँ किसानों को नु ने कहा कि हम यहां कुछ नुक्कड़ नाटक करेंगे, कुछ क्रांतिकारी गीत गायेंगे। तब किसानों ने पूछा था कि आप कहां से हैं? उन्होंने जैसे ही कहा कि हम जामिया से हैं, तो किसानों ने कहा कि तुरंत भागों से यहाँ। आपकी तरह जैसे लोग सब नकारात्मकता को फैला रहें हो जिसके कारण हमारा आन्दोलन बदनाम हो रहा है। किसानों के पक्ष से यह एक अच्छा संकेत है और मुझे लगता है कि अब जल्दी ही इसका सर्वमान्य सकारात्मक हल भी निकलेगा।

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