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मोदी सरकार से किसान लड़ रहे हैं, लड़ाई को और तेज करना है।…

कुणाल कुमार/पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के किसान मोर्चे पर कार्यरत कार्यकर्ताओं की जीबी बैठक गुरुवार को पटना में हुई। बैठक में किसान आंदोलन को तेज करने, बाढ़-सूखा के स्थाई निदान, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल की गारंटी, किसानों को उपज का लाभ दिलाने, किसानों को प्रत्येक महीने में 6000 रुपये पेंशन देने, गुणवत्ता पूर्ण खाद-बीज उपलब्ध कराने की गारंटी करने,भूमि सर्वेक्षण के नाम पर रैयतों से हो रही लूट आदि पर रोक लगाने आदि सवालों को लेकर आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया। 15 अक्टूबर 2024 को बिहार के सभी सर्वे शिविरों पर धरना देने का फैसला लिया गया। बैठक को भाकपा के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व सांसद नागेंद्रनाथ ओझा, राष्ट्रीय सचिव रामकृष्ण पांडा, राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय, किसान नेता रामचंद्र महतो, मिथिलेश कुमार झा, सीताराम शर्मा आदि ने संबोधित किया। बैठक की अध्यक्षता किसान नेता प्रभाशंकर सिंह ने की। बैठक को संबोधित करते हुए भाकपा के राष्ट्रीय सचिव रामकृष्ण पांडा ने कहा कि मोदी सरकार से देश के किसान लंबे समय से लड़ रहे हैं। इस लड़ाई को और तेज करने की जरूरत है। भाजपा सरकार में किसानों पर लगातार हमले हो रहे हैं। हजारों किसानों ने आत्महत्या की है। खेती घाटे का सौदा हो गया। किसान आंदोलन में एक हजार से अधिक किसानों ने अपनी शहादत दी है। किसान आंदोलन के डर से केंद्र की मोदी सरकार ने तीन काले कृषि कानून को वापस लिया। इस सरकार में खाद, बीज और कीटनाशक दवाएँ की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार खेती को कॉरपोरेट को सौंप रही है। विशेष आर्थिक जोन(सेज) के नाम पर किसानों से जमीन छीन कर पूंजीपतियों को सौंप रही है।

भाकपा राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने किसान मोर्चे पर कार्य करने वाले साथियों से किसानों के सवालों को लेकर संघर्ष तेज करने का आह्वान किया। बैठक में सूखा और भूमि सर्वे पर प्रस्ताव पारित किया गया। भूमि सर्वे में ग्रष्टाचार और प्रशासनिक मनमाना ब्याप्त है। भूमि सर्वे पर पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि भू-अभिलेखन का कम्प्युटरीकरण (डिजिटलाईजेशन) में बड़े पैमाने पर अशुद्धियाँ है और अधूरा भी है। ऐसी परिस्थिति में भू-सर्वे का काम भ्रष्टाचार तथा प्रशासनिक मनमानी की भेंट न चढ़ जाय, यह खतरा बना हुआ है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मांग करती है कि भू-सर्वे से पूर्व भूमि की लंबित समस्याओं का भ्रष्टाचारमुक्त निदान किया जाय। भू-सर्वे को पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त बनाया जाय। भू-सर्वे के दौरान सुयोग्य श्रेणी के गरीबों और किसानों के हको की सुरक्षा की जाय। उर्दू-फारसी-कैथी लिपि के अनुवादकों सहित सक्षमकर्मियों का एक हेल्प डेस्क सभी पंचयतों में बनाया जाय। टोपोलैण्ड के कब्जाधारियों का खाता खोला जाय। बैठक में उपरोक्त मांगों को लेकर 15 अक्टुबर, 2024 को बिहार के सभी सर्वे शिविरों पर धरना-प्रर्दशन आयोजित करने का निर्णय लिया। सूखे पर पारित प्रस्ताव में बिहार को सूखाग्रस्त राज्य घोषित करने, बिहार में फसल बीमा योजना लागू करने, सूखे की स्थिति में तत्काल फसल सहायता राशि मुहैया किया जाय और इसे सुलभ बनाने की मांग की गई। प्रस्ताव में डीजल अनुदान में अद्यतन रसीद की अनिवार्यता समाप्त करने मांग की गयी है। नदियों पर प्रस्तावित हाई डैम निर्माण कर बाढ़, सूखाड़ और बिजली संकट का स्थायी समाधान किया जाय। रवि फसल हेतु खाद, बीज, ऋण की व्यवस्था करें।

बैठक के दौरान ही दूखद सूचना प्राप्त हुयी कि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव का॰ सीताराम यचूरी का आकस्मिक निधन हो गया जिसपर बैठक में उपस्थित साथियों ने दो मीनट मौन रहकर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।

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