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एनडीए के 15 वर्षों में शैक्षिक -सामाजिक सशक्तिकरण के कारण बीपीएससी की परीक्षा में आरक्षित श्रेणी के 152 छात्र अनारक्षित श्रेणी में हुए उतीर्ण- सुशील मोदी

अपने को आरक्षण का मसीहा समझने वालों ने तो पंचायत चुनाव में एससी, एसटी, ओबीसी का छीन लिया था आरक्षण, सवर्णों के आरक्षण का किया था विरोध

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि 15 वर्षों के एनडीए के शासनकाल में एससी,एसटी,बीसी व ओबीसी के सामाजिक,शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए जो विभिन्न योजनाएं चलाई गई,आज उसी का नतीजा है कि बीपीएससी की परीक्षा में आरक्षित श्रेणी के 152 छात्रों ने अपनी मेरिट से अनारक्षित श्रेणी में उतीर्णता प्राप्त की है। ऐसे छात्रों में बैकवार्ड कैटोगरी के 130, ईबीसी के 18, एससी के 3 और एसटी के 1 छात्र सामान्य श्रेणी में उतीर्ण होने में सफल रहे हैं।

बीजेपी को सीख देने वाले राजद को अगर आरक्षण के क, ख, ग…का भी ज्ञान होता तो अपने शासनकाल में 23 वर्षों बाद हुए पंचायत चुनाव न तो एससी, एसटी,ओबीसी को आरक्षण से वंचित करते और न ही बीपीएससी के हालिया परीक्षा परिणाम पर बेतुका सवाल उठाते।

बीपीएससी के हाल में आए परिणाम से यह स्पष्ट है कि आरक्षित वर्ग की कोई हकमारी नहीं हुई है बल्कि 710 आरक्षित सीट के अलावा उन्हें 152 अतिरिक्त सीटों पर नियुक्ति मिली है। राजद देश की एकमात्र पार्टी है जिसने केंद्र सरकार द्वारा सवर्णों को दिए गए आरक्षण का संसद में विरोध किया था।

उन्होंने कहा कि काफी वर्षों बाद बीपीएससी के जरिये हुई 1465 पदों की नियुक्ति में आरक्षित श्रेणी में ईबीसी के 270, एससी के 248, बीसी के 133, एसटी के 10 व बीसी महिला के 49 यानी कुल 710 पदों के अतिरिक्त 152 छात्रों को सामान्य श्रेणी में मिली सफलता वाकई बड़ी उपलब्धि है।

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