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:-: कढ़ाई न रखना :-:

पटना डेस्क:-सनातन संस्कृति में परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर, उस व्यक्ति के कुटुंब के लोगों द्वारा, घर में कढ़ाई न रखने का नियम बना, जिसे पाखण्ड मानकर, वर्तमान लोगों ने अस्वीकार कर दिया। मनुष्य के मन में कुटुंब, समाज, परिवार आदि को लेकर, प्रेम, सद्भाव, संवेदनशीलता जैसे गुणों का विकास हो, उसके लिए इस प्रकार के नियम बने। मृत्यु होने पर, परिवार के साथ साथ समाज व कुटुंब के लोग भी, आपस में सहभागिता निभाए, इसलिए रसोई में कढ़ाई न रखकर, मतलब कुछ दिनों तक, सामान्य बिना तेल भुना, वाला भोजन ले, जिसका शारीरिक, मानसिक, सामाजिक लाभ मनुष्य को प्राप्त हो। परंपराए ही मनुष्य के अंदर नैतिक विकास कर सकती हैं, कानूनों से ऐसा करना सम्भव ही नहीं हैं। प्रत्येक सनातनी परम्परा के पीछे सामाजिक, आर्थिक, मानसिक, शारीरिक विज्ञान छुपा हुआ हैं, इसलिए जब हम इन बातों को मानते थे, तब प्रेम स्नेह के साथ रहते थे, लेकिन वर्तमान हालात किसी से छुपे नहीं हैं। विजय सत्य की होगी।

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