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जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी औरंगाबाद के कार्यशैली व मनमानी में हस्तक्षेप करें जिलाधिकारी, पत्रकार।

आनिल कुमार मिश्र,औरंगाबाद (बिहार ) – प्रभारी जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी, कृष्णा कुमार के कार्यशैली शैली व मनमानी से औरंगाबाद के कई मीडियाकर्मी काफी क्षुब्ध है और इनके कार्यशैली के कारण बिहार सरकार के संदेश,आदेश व दिशानिर्देश तथा सरकार प्रायोजित योजनाओं की सूचना आम जनता तक नहीं पहुँच पा रहा है।सरकार के नीतियों एवं सरकार प्रायोजित योजनाओं को कुछ पत्रकारों तक सीमट कर रख दिया है।

बताते चलें कि औरंगाबाद जिला के सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी कृष्णा कुमार को जब से प्रतिनियुक्ति किया गया है! तब से मीडियाकर्मियों के साथ समन्वय की जगह मनमानी रवैया ही अपनाते आ रहे हैं l चाहे सरकारी – स्तर की संवाद हो,या फिर सरकार की योजनाओं की जानकारी देने की बात हो, अथवा चुनाव व मतदान तथा मतगणना को लेकर पत्रकारो के साथ जुड़ी समस्याएं हों। जहाँ तक चुनाव में मीडियाकर्मियों को प्राधिकार परिचय पत्र देने की बात होता है । किसी भी कार्यों मे कुछ पत्रकारों को छोड़कर अन्य पत्रकारों के साथ इनके कार्यशैली भी बेहद गैर जीम्मेदराना है और अधिकांश पत्रकारों के साथ मनमानी ही करते आ रहे है।

पत्रकार अजय पाण्डेय ने बताया कि प्रभारी सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी औरंगाबाद कृष्णा कुमार के कार्यशैली की खामियाजा का शिकार विगत बिहार – विधानसभा – चुनाव के दौरान जिला – निर्वाचन – पदाधिकारी सह जिला दंडाधिकारी को भी भुगतना भी पड़ा है और विवश होकर जिला – निर्वाचन – पदाधिकारी, सौरभ जोरवाल ने विगत संपन्न बिहार – विधानसभा – चुनाव 2020 में चुनाव संपन्न होने के बाद समाहरणालय स्थित सभागार में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित किया था! आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों ने जिलापदाधिकारी से सवाल पूछा था कि प्राधिकार पत्र निर्गत करने का मापदंड क्या है? पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए जिला पदाधिकारी ने कहा था किसी भी समाचार का संपादक, लिखित रूप से पत्र निर्गत करते हैं, वैसे पत्रकार को प्राधिकार, परिचय पत्र अवश्य बनेगे! लेकिन इस चुनाव में जिनका भी प्राधिकार, परिचय – पत्र नहीं बन पाया है! उन्हें भी मतगणना में कोई परेशानी नहीं होगी!

मतगणना के दिन प्रशासन के सहयोग से प्राधिकार, परिचय – पत्र से वंचित मीडियाकर्मी भी मतगणना स्थल पर जाकर न्यूज़ कवरेज किया था और किसी तरह का कोई दिकत नहीं हुआ था।

ताज्जुब की बात तो यह है कि अब जब बिहार में पंचायत – चुनाव होते हैं! तब पूर्व की भांति ही प्रभारी, जिला – सूचना एवं जनसंपर्क – पदाधिकारी, कृष्णा कुमार घिसीपिटी पुर्व रवैया को अपनाते है! जो पत्रकारों के साथ भेदभाव के अलावे कई सवालों को जन्म देता है! क्या बिहार -सरकार के सुशासन ब्यवस्था के अफसरशाही* रवैया चरते रहेंगे ,क्या ऐसे पदाधिकारियों के बदौलत बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार का सपना साकार हो पाएगा? ऐसे कई सवाल हैं जो औरंगाबाद वासी एवं मीडियाकर्मियों के जेहन में अनेको तरह के सवाल उत्पन्न करते है और ऐसे पदाधिकारियों की मनमानी आम चर्चा का विषय बन चूका है ।

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