दंगल गर्ल बबीता और गीता फोगाट जैसी है नैना की कहानी, पिता ने छोड़ दी नौकरी, बेटी ने विश्व चैंपियन को पटखनी देकर जीता लगातार दूसरा स्वर्ण पदक
त्रिलोकी नाथ प्रसाद। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीतने वाली हरियाणा की पहलवान नैना की कहानी भी दंगल गर्ल बबीता और गीता फोगाट जैसी ही है। नैना ने लड़कियों की अंडर-17 के 49 किग्रा वर्ग में धमाकेदार शुरुआत करते हुए महाराष्ट्र की प्रतीक्षा धनाजी कोली को एकतरफा अंदाज में 10-0 से मात दे दी। इसके बाद उन्होंने फाइनल में पूर्व अंडर-17 विश्व चैंपियन दिल्ली की अदिति कुमारी को हराकर खेलो इंडिया यूथ गेम्स में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीता।
17 साल की नैना ने इससे पहले, तमिलनाडु में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2024 में भी स्वर्ण पदक जीता था, जहां उन्होंने पूर्व विश्व चैंपियन रितिका को चित किया था। इसके अलावा वह स्कूल नेशनल गेम्स में भी अंडर-19 आयु वर्ग में कांस्य पदक भी जीत चुकी हैं।
लगातार दूसरा स्वर्ण जीतने के बाद नैना ने कहा, ” फाइनल के दौरान मैं थोड़ी नर्वस थी क्योंकि पहले ही राउंड में मैंने दो अंक गंवा दिए थे। लेकिन मुझे विश्वास था कि मैं इसे वापसी कर सकती हूं। मैं आखिरी के दो मिनटों में दो अंकों से पीछे थी और फिर मेरे लिए वापसी करना जरूरी था। अगले राउंड में मैंने अपनी गलतियों में सुधार कर ली। शुरुआत में मैं तैयारी नहीं थी और फिर धीरे-धीरे लय हासिल की।”
उन्होंने कहा, ” लगातार दो बार स्वर्ण पदक जीतने के बाद आत्मविश्वास बढ़ गया है। इससे पता चल रहा है मेरी मेहनत रंग ला रही है। मेरे प्रदर्शन में सुधार जारी है।”
हरियाणा के पलवल जिले में ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली नैना को कुश्ती में यहां तक पहुंचने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है। नैना के पिता वीरेंद्र कौशिक को भी दंगल गर्ल बबीता और गीता फोगाट के पिता की तरह ही ग्रामीणों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा था। अपने बच्चों को ट्रेनिंग के लिए अधिक समय दे सके, इसके लिए नैना के पिता परिवार सहित दूसरी जगह शिफ्ट हो गए।
पिता वीरेंद्र कौशिक दो साल पहले तक फरीदाबाद में एक अपनी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। लेकिन अपनी बेटी की मदद करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अब उनकी मेहनत रंग ला रही है।
नैना ने कहा, ” पापा दो साल पहले तक एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। लेकिन फिर मुझे ट्रेनिंग के लिए लाने और ले जाने के लिए उन्हें प्राइवेट जॉब में ज्यादा छुट्टी नहीं मिलती थी। इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि मेरे साथ आ-जा सके। पापा अब किसानी ही करते हैं और इसी से घर चलता है।”
दो बार की खेलो इंडिया यूथ गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता नैना हरियाणा के फरीदाबाद में अपनी ट्रेनिंग करती हैं। उनकी अब तक की सफलता में उनके निजी कोच अक्ष राठी का भी अहम योगदान रहा है, जिनसे वो कुश्ती के दांव पेंच व बारीकियां सीख रही हैं।
उन्होंने कहा, ” जब से मैंने सर (अक्ष राठी) से ट्रेनिंग लेनी शुरू की है तब से मैं लगातार जीतती ही जा रही हूं। सर, मुझे हमेशा कहते हैं कि तुझे ओलंपिक खेलना है। सर का और मेरा सपना है कि मैं ओलंपिक में खेलूं और अपने देश के लिए पदक जीत सकूं।”
कोच अक्ष राठी भी नैना को ओलंपिक पदक का प्रबल दावेदार मानते हैं। इस युवा पहलवान की मेहनत और लगन को देखकर कोच को लगता है कि नैना में ओलंपिक में जाने का दम है। हालांकि वह अब तक राष्ट्रीय चैंपियनशिप में नहीं खेल पाई है।
अक्ष राठी ने कहा, ” नैना ओलंपिक में पदक जीतने की दावेदार है। उसने पिछली बार भी खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2024 में दो बार की विश्व चैंपियन और एशियन चैंपियन रितिका को हराया था। इस बार भी उसने अंडर-17 की वर्ल्ड चैंपियन और एशिया की रजत पदक विजेता को हरा चुकी है। इसकी मेहनत और लगन को देखकर मुझे विश्वास है कि अगर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर जाती है तो देश के लिए पदक जरूर जीतेंगी।”
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खेलो इंडिया यूथ गेम्स के बारे में –
खेलो इंडिया यूथ गेम्स, खेलो इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिसे 14 अक्टूबर, 2017 को लॉन्च किया गया था। खेलो इंडिया का उद्देश्य खेलों में व्यापक भागीदारी और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करना है। इस कार्यक्रम ने भारत की खेल सफलता में बहुत योगदान दिया है, जिसमें कई खेलो इंडिया एथलीट ओलंपिक और एशियाई खेलों सहित वैश्विक आयोजनों में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। बिहार 4-15 मई तक राज्य के पांच अलग-अलग शहरों और दिल्ली में खेलो इंडिया यूथ गेम्स के सातवें संस्करण की मेजबानी कर रहा है। KIYG 2025 में 27 खेल शामिल होंगे और पहली बार ईस्पोर्ट्स को एक प्रदर्शन खेल के रूप में शामिल किया गया है।
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