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बिहार के किस जिले में गलत शिक्षक नियोजन का जाँच हुआ है बड़े भाई ,बिहार का बकसर जिला, कहीं जाँच में फर्जीवाड़े शिक्षक नेता नहीं निकल जायें, फिर कहीं वही न हो जो हमलोग के साथ हुआ और आज भी झेलते आ रहे है।

बिहार में कितने देश हैं बच्चों की पढ़ाई सरकारी विद्यालयों में शिक्षा मित्र (शिक्षा शत्रू) पढ़ाते है और स्वयं क से कबूत्तर पढ़कर बच्चों को पढ़ाने घर से सरकारी विद्यालयों में भी आते थे। हलात आज भी वहीं हैं जो कल था।

अनिल कुमार मिश्र बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला में भी सुअर व भैस चराने वाले गलत तरीकों से रिश्वत देकर शिक्षा मित्र व पंचायत शिक्षक बन चूके है। लालू जी के हारते सभी बीजेपी में आ गये है और बीजेपी और जदयू की गठबंधन से बिहार में है, इस लिए इनके गलत नियोजन की ओर जिले के अधिकारी झांकते भी नहीं हैं।
यह सर्वविदित सत्य हैं कि औरंगाबाद जिला में सुअर और भैंस के चरवाहे लोग शिक्षा का मित्र, फिर पंचायत शिक्षक बन कर बच्चों के भविष्य को चौपठ कर रहे है।

पत्रकार आवाज उठाता है तो एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमों की झड़ी लग जाता है, चरवाहे स्कूल में जाते है और हाजरी बनाकर वेतन उठाते हैं। वही इनके जगह योग्य व मेधावी अभ्यर्थी सड़क छाप बने फिर रहे है अथवा किसी नीजी विधालयों में बच्चों को अच्छे से अच्छे शिक्षा दे रहे हैं।

अनैतिक रूप से शिक्षा मित्रों/ पंचायत शिक्षक का पद प्राप्त कर चूके कई ऐसे शिक्षक भी हैं जो बिहार में कितने देश हैं बच्चों की पढ़ाई भी पढ़ाते है और स्वयं क से कबूत्तर पढ़कर बच्चों को पढ़ाने घर से सरकारी विद्यालयों में भी आते थे।

बताया जाता है कि आज भी हलात वैसा ही हैं जैसे कल था क्योकि सुअर व भैस की चरवाहे, शिक्षा शत्रू के साथ बेजेपी नेता बन चूके है और इनके साथ एससीएसटी एक्ट जैसे हथियार भी साथ में है।

एससीएसटी एक्ट का दुरूपयोग करने वाले को थोड़ा पैसा तो खर्च होता ही परन्तू आवाज उठाने वाले जनता, पीड़ितों एव पत्रकारों को हमारे यहाँ भ्रष्ट थानेदार, अनुसंधान व पर्यवेक्षण कर्ता जनाजा तक निकाल देते है, भले ही न्याय की मांग करने वाले अभ्यर्थी, पीड़ित जनता पत्रकार तथा इनके परिवार बच क्यों न जायें।

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