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ठाकुरगंज के पौआखाली में पीडब्ल्यूडी की भूमि पर बड़ा खेल, हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई से उठा विवाद

करोड़ों की सरकारी जमीन पर भूमाफिया की नजर, विभागीय लापरवाही से खुला ‘हड़प’ का रास्ता

किशनगंज,26मई(के.स.)। विशेष रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह, ठाकुरगंज प्रखंड के पौआखाली थाना के ठीक सामने वर्षों से मौजूद पीडब्ल्यूडी कार्यालय परिसर की जमीन एक बार फिर सुर्खियों में है। सरकारी भूमि पर अवैध रूप से लगे वर्षों पुराने आम के पेड़ों की कटाई और जमीन के निजी स्वामित्व में नामांतरण की कोशिश ने एक बड़े भू-अधिग्रहण घोटाले की आशंका को जन्म दे दिया है।

पेड़ों की अवैध कटाई: प्रशासन और पर्यावरण दोनों पर हमला

1 मई को स्थानीय पुलिस को सूचना मिली कि पौआखाली में पथ निर्माण विभाग द्वारा अधिग्रहित भूमि पर अवैध रूप से तीन बड़े आम के पेड़ काटे जा रहे हैं। सहायक अभियंता गोपाल मंडल ने तीन चतुर्थवर्गीय कर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर देखा कि पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं। पूछताछ में पकड़े गए मजदूरों ने बताया कि उन्हें इश्तखार नामक व्यक्ति द्वारा कटाई के लिए लाया गया और कहा गया कि यदि कोई पूछे तो ‘मुखिया अहमद हुसैन उर्फ लल्लू’ का नाम लेना।

पेड़ काटने वाले गिरफ्तार, पर पुलिस ने छोड़ा पीआर बाउंड पर

घटनास्थल से पकड़े गए तीनों व्यक्ति – मंजूर आलम (इकड़ा कुम्हिया), मो. इद्रीस (लोहागाड़ा), व मो. सरफराज आलम (समेशर तालबाड़ी) – ने खुद को मजदूर बताया और सारा आरोप इश्तखार पर डाल दिया। पुलिस ने इन सभी को पीआर बाउंड पर छोड़ दिया, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी और संदेह दोनों गहराए हैं।

सरकारी जमीन का निजी नाम पर नामांतरण: गहरी साजिश की बू

अंचलाधिकारी ठाकुरगंज के अनुसार, जिस जमीन पर पीडब्ल्यूडी का कार्यालय बना है, उसका खाता सं. 188 और खेसरा सं. 3854, रकवा 30.4 डिसमिल, अब कुछ व्यक्तियों – तौफिक आलम, अलियारा खातुन, सलमा खातुन, जफर हुसैन और इश्तेखातुन – के नाम पर दर्ज है। सूत्र बताते हैं कि उक्त भूमि 1965 में ही मुआवजा देकर पीडब्ल्यूडी को अधिग्रहित कर दी गई थी, लेकिन विभाग द्वारा जमाबंदी और म्यूटेशन की प्रक्रिया नहीं की गई, जिससे जमीन का मालिकाना भ्रम बना रहा और वर्तमान में उसे निजी हाथों में ट्रांसफर करने का प्रयास हो रहा है।

लापरवाही या मिलीभगत?

इस पूरे मामले में पीडब्ल्यूडी विभाग की निष्क्रियता और प्रशासन की ढिलाई सवालों के घेरे में है। वर्षों पुरानी सरकारी भूमि पर न सिर्फ निजी कब्जे की कोशिश हो रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अमूल्य पेड़ों को भी काटा जा रहा है – वो भी बिना किसी वैध आदेश या अनुमति के।

जांच और एफआईआर की मांग

पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में संलिप्त सभी व्यक्तियों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। साथ ही स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस भूमि हड़प घोटाले और पर्यावरणीय अपराध पर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

स्थानीय आवाजें: “यह पीडब्ल्यूडी की ही जमीन है”

एक बुजुर्ग ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “जब हम छोटे थे, तब इस जमीन पर पीडब्ल्यूडी का कब्जा हो गया था और मुआवजा भी दिया गया था। अब यह कैसे किसी और के नाम पर हो गया, समझ से बाहर है।”

गौर करे कि पौआखाली में हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई और सरकारी जमीन के निजीकरण की कोशिश एक गंभीर मामला है, जो न सिर्फ पर्यावरणीय क्षति का कारण बना, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोरियों को भी उजागर करता है। यदि समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह किशनगंज में एक बड़े भूमि घोटाले का कारण बन सकता है।

सरकार, प्रशासन और समाज – सभी को अब सजग होकर सख्त कार्रवाई करनी होगी।

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