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किशनगंज : ब्लड के द्वारा अन्य अंगों में फैलता है टीबी का बैक्टीरिया, हर समय चक्कर आना हो सकता है ब्रेन टीबी का शुरुआती लक्षण।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, टीबी को लेकर अभी लोगों में जानकारी का अभाव देखने को मिलता है। अनुमन लोगों में यह धारणा है कि टीबी सिर्फ सांस से जुड़ी बीमारी है। लेकिन, लोगों को यह समझना होगा कि फेफड़ों के अलावा भी टीबी कई प्रकार की होती है। इसमें से ही एक होती है दिमाग की टीबी। ऐसे तो दिमाग की टीबी एक-दूसरे से नहीं फैलती लेकिन, जब फेफड़ों की टीबी से संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता है तो उसके मुंह से निकली बूंदें दूसरे व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाती हैं। ये बूंदें यदि दिमाग में प्रवेश कर जाती हैं तो व्यक्ति के दिमाग में टीबी या ब्रेन टीबी होने की संभावना होती है। दिमाग में होने वाली टीबी को मेनिनजाइटिस भी कहा जाता है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में लगभग 2.79 मिलियन लोग इस बीमारी के शिकार हैं। टीबी उन्मूलन को लेकर पूरे देश में युद्धस्तर पर प्रयास चल रहे हैं। वर्ष 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। गुरुवार को सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि इस दिशा में जिले में भी कई स्तर पर कार्य किये जा रहे हैं। टीबी रोगियों की ससमय पहचान, सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करना एवं टीबी रोगियों को निःशुल्क चिकित्सकीय सेवा प्रदान करने जैसे कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। अधिक से अधिक टीबी रोगियों की पहचान करने के लिए निजी अस्पताल एवं चिकित्सकों की भी मदद ली जा रही है। टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों को एकजुट होने की जरूरत है। सभी की सहभागिता से ही टीबी को हराया जा सकता है।सिविल सर्जन ने बताया कि टीबी के बारे में तो हम सब ही जानते हैं कि, यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। चिकित्सकों के अनुसार टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इस संक्रमण का यदि सही समय और ढंग से इलाज न कराया जाए तो यह बैक्टीरिया ब्लड के द्वारा अन्य अंगों में भी फैल सकता है। कई बार यह बैक्टीरिया ब्रेन और रीढ़ की हड्डी पर भी अटैक कर देता है जिस वजह से ब्रेन टीबी हो जाती है। टीबी मेनिनजाइटिस के लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे दिखाई देते हैं। जो हफ्ते दर हफ्ते गंभीर होते जाते हैं। शुरुआत में यह लक्षण सामान्य लगते हैं, जिन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना, हल्का फीवर रहना, बीमारी बढ़ने पर गर्दन में अकड़न, लगातार सिरदर्द होना, उलझन महसूस होना, अधिक गुस्सा करना, लक्षणों को मरीज मामूली न समझें। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया, ब्रेन टीबी के मरीजों को प्रारंभिक दौर में सुबह उठकर चक्कर और उल्टी आने जैसा लगता है। हमेशा सिर दर्द बना रहता है और यह दर्द दवाइयां खाने के बाद भी नहीं जाता। इन लक्षणों को मरीज मामूली न समझें। ऐसे लक्षण ब्रेन टीबी के भी हैं। ब्रेन टीबी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। यह बच्चों में भी विकसित हो जाती है। इसके बारे में पता लगते ही व्यक्ति को इसे तुरंत दिखा लेना चाहिए, क्योंकि इसमें लापरवाही से जान का खतरा हो सकता है। जैसे ही मरीज को ब्रेन टीबी के लक्षण दिखाई देते हैं, उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ब्रेन टीबी में लापरवाही मरीज के लिए घातक हो सकती है। फेफड़ों के टीबी वाले मरीजों में इसके फैलने की संभावना, समय पर टीबी का इलाज और कोर्स पूरा ना करने वाले लोगों में ब्रेन टीबी का खतरा, एचआईवी/एड्स से संक्रमित लोग, धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन करने वाले लोग, डायबिटीज रोगियों को भी ब्रेन टीबी का खतरा अधिक कमजोर इम्यूनिटी वाले रोगियों को भी इसका खतरा, किडनी फेल्योर। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि टीबी रोगियों को इलाज के दौरान बेहतर पोषण की जरूरत होती है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों को प्रति माह 500 रूपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है। इसके लिए सबसे जरूरी है कि मरीज का पंजीकरण निक्षय पोर्टल पर हो। यह राशि मरीज के बैंक एकाउंट में सीधे भेजी जाती है।

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