हड़ताल पर गए मुखिया पर कार्रवाई करने के बजाए उनकी मांगों पर विचार करे सरकार।…
पंचायत राज्य अधिनियम में किये गए बदलाव वापस ले सरकार
कुणाल कुमार:-भारीतय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने राज्य सरकार से हड़ताल पर गये मुखिया पर कार्रवाई करने के बजाए उनसे वार्ता कर उनकी मांगों पर न्यायोचित विचार विचार करने की मांग की है। बिहार राज्य पंचायती राज अधिनियम-2006 के तहत अगर ग्राम पंचायत के मुखिया 60 दिनों तक अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं करते हैं तो 61वें दिन स्वतः उप मुखिया ग्राम पंचायत के मुखिया के कर्तव्यों का निर्वहन करने लगेगे। परंतु राज्य सरकार ने हड़ताल पर गए मुखिया का अधिकार छिनने के उद्देश्य से इसे 60 दिन से घटाकर 30 दिन कर दिया है, यह उचित नहीं है। पंचायती राज अधिनियम में किये गए बदलाव राज्य सरकार तत्काल वापस ले।
भाकपा राज्य सचिव ने बयान जारी कर कहा कि पूरे राज्य में मुखिया अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है और 16 अगस्त से कार्य बहिष्कार किये हुए है, जिससे राज्य में विकास का कार्य ठप्प पड़ गया है। राज्य सरकार मुखिया महासंघ के प्रतिनिधियों से वार्ता कर हड़ताल को समाप्त कराये।
भाकपा राज्य सचिव ने कहा 73वें संविधान संशोधन द्वारा ग्राम पंचायतों को 29 अधिकार दिए गए हैं। इन अधिकारों में राज्य सरकार ने कटौती कर दी है जिसके खिलाफ मुखिया महासंघ आंदोलनरत है। राज्य सरकार जिन अधिकारों में कटौती की है, उसे वापस ले और ग्राम पंचायत को दिये गये सभी 29 अधिकारों को बहाल करे। संविधान के 73वें संशोधन की 11वीं अनुसूची के द्वारा सरकार के 20 विभागों के 79 कार्य ग्राम पंचायतों को, 60 कार्य पंचायत समिति को और 61 कार्य जिला परिषद को सौंपे गए हैं, लेकिन यह अधिकार कागज पर हीं है। राज्य सरकार मुखिया महासंघ के सभी मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए न्यायोचित फैसला ले और 73वें संविधान संशोधन के तहत ग्राम पंचायतों को मिले अधिकारों को बहाल करें ताकि सही मायने में राष्ट्रपति महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज का सपना साकार हो सके।