प्रमुख खबरें

“भाजपा–जेडीयू सरकार ने किया बिहार की आस्था पर आघात — छठ यात्रियों के साथ निर्मम कुठाराघात” : राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के महासचिव अविनाश पांडे ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए केंद्र की एनडीए सरकार द्वारा छठ व्रतियों के लिए किये गये ट्रेनों के इंतजाम को नाकाफी बताया और उन्होंने कहा कि देश में कुल 13,452 यात्री ट्रेनें ही हैं, तो फिर बिहार के लिए 12,000 ट्रेनों की झूठी ख़बर क्यों फैलाई गई?

आज अमित शाह जी बिहार ठाठ-बाट से उड़नखटोले में आ रहे हैं, और हमारे बिहारी भाई टॉयलेट में यातनाएँ पा रहे हैं।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने आज यहाँ आयोजित पत्रकार वार्ता में बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा–जेडीयू सरकार ने छठ महापर्व के पवित्र अवसर पर समूचे बिहार की धार्मिक भावनाओं को गहरी चोट पहुँचाई है।

देश के कोने-कोने से बिहार लौट रहे लाखों श्रद्धालु आज रेल की टॉयलेट में सोने को मजबूर हैं — यह दृश्य न केवल मानवता को तार-तार करता है, बल्कि बिहार की लोक-आस्था के साथ निर्मम कुठाराघात भी है।

किया पलायन को मजबूर — आस्था की चकनाचूर

भाजपा–जेडीयू सरकार ने बिहार के करोड़ों लोगों को पहले तो पलायन के लिए मजबूर किया।

ख़ुद केंद्र सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर बिहार से पलायन कर मजदूरी के लिए मजबूर किए गए लोगों की संख्या 3 करोड़ 18 लाख दर्ज है।

और जब वे अपनी पूरी आस्था के साथ घर लौट रहे हैं, तब

“केंद्र सरकार ने छठ पूजा जैसे महापर्व के दौरान बिहार की गरिमा और श्रद्धा को अपमानित किया है।

दिल्ली, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, हैदराबाद, लुधियाना, अमृतसर और बेंगलुरु जैसे कई शहरों से आने वाली विशेष ट्रेनों में यात्री फर्श पर और शौचालयों में रात गुज़ार रहे हैं।

यह दृश्य बिहार की आत्मा को झकझोर देने वाला है।”

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री ने ‘12 हज़ार स्पेशल ट्रेनों’ की घोषणा कर सुर्खियाँ बटोरीं,

लेकिन बिहार के हिस्से में आई केवल गिनती की ट्रेनें भी अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्था की शिकार हैं।

“यह आँकड़ा दिखाता है कि केंद्र सरकार के लिए बिहार के श्रद्धालु दूसरे दर्जे के नागरिक हैं।

जब बिहार के लाखों परिवार अपने घर लौटकर छठ मनाने निकलते हैं, तब रेलवे की अव्यवस्था उन्हें अपमान और पीड़ा का अनुभव कराती है।”

राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी माँग करती है कि

1. बिहार आने-जाने वाली सभी प्रमुख रूटों पर तत्काल अतिरिक्त ट्रेनें चलाई जाएँ —

दिल्ली, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, लुधियाना, हैदराबाद और बेंगलुरु इत्यादि शहरों से।

2. रेलवे स्टेशनों पर राहत शिविर, पेयजल और सुरक्षा की व्यवस्था की जाए।

3. बिहार के धार्मिक यात्रियों के साथ इस अमानवीय व्यवहार के लिए प्रधानमंत्री व रेल मंत्री सार्वजनिक माफ़ी माँगें।

“छठ केवल पर्व नहीं, यह बिहार की आत्मा है।

जिस सरकार की नीतियाँ आस्था को अपमानित करें और तीर्थ यात्रियों को यातनाएँ दें —

वह सरकार नैतिक रूप से बिहार की जनता के लिए दिवालिया हो चुकी है।”

“जिस विचारधारा ने कर्पूरी ठाकुर जी की सरकार गिराई, सत्ता की भूख के लिए नीतीश ने उसी के साथ सरकार बनाई।

राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया कि कर्पूरी ठाकुर जी ने 1978 में पिछड़ों को 26 प्रतिशत आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की नींव रखी थी।

क्या आपके गठबंधन पार्टी के वैचारिक पूर्वज — जनसंघ और आरएसएस — ने उसी आरक्षण नीति का खुलकर विरोध नहीं किया था?

क्या सड़कों पर उतरकर “ये आरक्षण कहाँ से आई, कर्पूरी के माई बियाई” जैसे अपमानजनक नारे नहीं लगाए थे?

और क्या कर्पूरी ठाकुर जी की सरकार नहीं गिराई थी?

क्या नीतीश जी यह मानेंगे कि वह विरोध कर्पूरी ठाकुर और पिछड़े समाज दोनों का अपमान था?

क्या नीतीश आज उस ऐतिहासिक गलती के लिए जनसंघ-भाजपा की ओर से माफ़ी माँगेंगे?

साथ ही उन्होंने सवाल किया कि क्या यह सही नहीं है कि बिहार की कर्पूरी ठाकुर की पिछड़ा वर्ग आरक्षण नीति (1978) के बाद आरएसएस-जनसंघ गुट के प्रमुख नेता कर्पूरी ठाकुर के खिलाफ़ खड़े नहीं हुए थे?

क्या सड़कों पर हिंसक तांडव नहीं किया था?

क्या कर्पूरी ठाकुर की सरकार नहीं गिराई थी?

क्या निम्न जनसंघ–आरएसएस के प्रमुख नेताओं की सरकार गिराने में अहम भूमिका नहीं थी?

• कैलाशपति मिश्रा:

बिहार जनसंघ के संस्थापक, कर्पूरी ठाकुर सरकार में वित्त मंत्री; मूल रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक रहे।

जनता पार्टी टूटने के बाद 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनी, वे बिहार के पहले प्रदेश अध्यक्ष बने।

• ताराकांत झा:

जनसंघ–जनता पार्टी–BJP के वरिष्ठ नेता, विधान परिषद के चेयरमैन।

• सुरजदेव सिंह:

जनसंघ के संगठन मंत्री और विधायक, आरएसएस प्रचारक।

अंत में उन्होंने कहा कि क्या नीतीश कुमार और पीएम मोदी ने कांग्रेस की ‘जाति-जनगणना’ की माँग को “अर्बन नक्सल एजेंडा” कहकर दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों और आदिवासियों के हक़ का अपमान नहीं किया था ?

नीतीश जी मोदी जी ने बिहार के जातिगत सर्वे के बाद पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के आरक्षण को 65% करने के विधानसभा प्रस्ताव को 9वीं अनुसूची में क्यों नहीं डाला यह सवाल आप जैसे उनसे पूछेंगे ?

उन्होंने आरक्षण में अड़चन क्यों डाली?

क्या नीतीश जी मोदी जी से पूछेंगे कि यूपीए सरकार के वक्त की गई जाति जनगणना के आँकड़े क्यों छुपाए?

अब तक जाति जनगणना क्यों नहीं कराई?

संवाददाता सम्मलेन में विधान परिषद में दल के नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा, मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़, संजीव सिंह, प्रेमचंद मिश्र, सुबोध सिंह, नागेन्द्र विकल, डॉ. स्नेहाशीष वर्धन, असित नाथ तिवारी सहित अन्य नेतागण मौजूद रहें।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!