किशनगंज : सदर अस्पताल में सुरक्षित प्रसव की गूंज: पांच माह में 2621 बच्चों का जन्म, बढ़ा संस्थागत प्रसव का रुझान

किशनगंज,03 जून(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य किसी भी समाज की बुनियादी ज़रूरत है, और किशनगंज जिला इस दिशा में एक अनुकरणीय उदाहरण पेश कर रहा है। जिले के सदर अस्पताल में जनवरी 2025 से मई 2025 के बीच 2621 बच्चों का सुरक्षित जन्म हुआ है, जो अस्पताल की बेहतरीन सेवाओं और जन-जागरूकता की सकारात्मक तस्वीर पेश करता है।
संस्थागत प्रसव बना पहली पसंद
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन के अनुसार, अस्पताल में जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या इस बात का संकेत है कि अब लोग घर की बजाय अस्पताल में प्रसव को तरजीह दे रहे हैं।
जनवरी में 669, फरवरी में 609, मार्च में 602, अप्रैल में 421 और मई में 320 बच्चों का जन्म हुआ। यह बदलाव मातृ और शिशु मृत्यु दर को घटाने में भी कारगर साबित हो रहा है।
सामान्य प्रसव को बढ़ावा, रेफरल केस न्यूनतम
डॉ. हुसैन ने बताया कि अधिकतर प्रसव सामान्य तरीके से सफलतापूर्वक संपन्न हुए। मात्र एक-दो जटिल मामलों में ही रेफरल की आवश्यकता पड़ी। जरूरत के मुताबिक 79 महिलाओं का सी-सेक्शन (ऑपरेशन से प्रसव) भी किया गया, जो अस्पताल की विशेषज्ञता को दर्शाता है।
24 घंटे सेवा, मुफ्त जांच और दवाएं
महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने बताया कि अस्पताल में 24 घंटे प्रसव से जुड़ी सभी सेवाएं उपलब्ध हैं। डॉक्टर, नर्स और सहायक स्टाफ हर समय आपात स्थितियों के लिए तैयार रहते हैं।
आशा कार्यकर्ताओं की मेहनत से गांव-गांव जाकर गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ अब महिलाएं स्वयं भी अस्पताल में प्रसव को प्राथमिकता देने लगी हैं।
कोविड काल में भी नहीं थमी सेवा
कोरोना महामारी के कठिन समय में भी सदर अस्पताल ने प्रसव सेवाओं को बिना रुके जारी रखा। डॉ. शबनम ने बताया कि संक्रमण की चुनौती के बावजूद पूरी टीम ने सुरक्षा के मानकों का पालन करते हुए जिम्मेदारी के साथ महिलाओं को सुरक्षित प्रसव सेवा दी।
नवजात देखभाल और टीकाकरण की समुचित व्यवस्था
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि मातृ-शिशु अस्पताल में जन्म के तुरंत बाद नवजात को बीसीजी, हेपेटाइटिस बी और ओपीवी जैसे टीके दिए जाते हैं। साथ ही, माताओं को आयरन, कैल्शियम और अन्य जरूरी दवाएं मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। प्रसवपूर्व जांचों की सुविधा जैसे अल्ट्रासाउंड, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन और शुगर टेस्ट भी नियमित रूप से की जाती हैं ताकि संभावित जोखिमों की पहले ही पहचान की जा सके।
एम्बुलेंस सेवा और परिवार नियोजन की पहल
डॉ. हुसैन ने बताया कि जिले में 24 घंटे एम्बुलेंस सेवा भी उपलब्ध है, जिससे गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल लाया जा सके। प्रसव के बाद महिलाओं को परिवार नियोजन के उपायों के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है, ताकि वे अपने स्वास्थ्य का समुचित ध्यान रख सकें।
जिला प्रशासन की अपील: संस्थागत प्रसव को दें प्राथमिकता
जिला पदाधिकारी विशाल राज ने कहा, “सदर अस्पताल की यह प्रगति सिर्फ आंकड़ों की नहीं, एक बदली सोच और नए आत्मविश्वास की कहानी है। यदि आपके आसपास कोई गर्भवती महिला है, तो उन्हें अस्पताल में प्रसव के लिए प्रोत्साहित करें। यही सुरक्षित मातृत्व और स्वस्थ शिशु का आधार है।”
स्वस्थ मां, सुरक्षित शिशु – समृद्ध समाज की नींव
संस्थागत प्रसव को अपनाकर हम हर घर में गूंजती किलकारियों को सुरक्षित और मजबूत बना सकते हैं। यह न सिर्फ मां और बच्चे की जिंदगी को सुरक्षित करता है, बल्कि पूरे समाज की सेहत को बेहतर बनाता है।