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बिहार चुनाव 2025: किशनगंज में कांग्रेस का बड़ा दांव — कमरुल हुदा बने प्रत्याशी, AIMIM से मुकाबले की नई रणनीति

किशनगंज,18अक्टूबर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए कांग्रेस ने किशनगंज सीट पर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। पार्टी ने मौजूदा विधायक इजहरुल हुसैन का टिकट काटकर पूर्व AIMIM विधायक मोहम्मद कमरुल हुदा पर भरोसा जताया है। यह निर्णय मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने और AIMIM के प्रभाव को सीमित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

कमरुल हुदा वही नेता हैं जिन्होंने 2019 के उपचुनाव में AIMIM के टिकट पर किशनगंज से ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। उस समय यह पहली बार था जब AIMIM ने इस क्षेत्र में अपनी राजनीतिक पकड़ बनाई। हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस के इजहरुल हुसैन से हार गए थे। अब कांग्रेस ने उन्हीं को अपने पाले में लेकर मैदान में उतार दिया है — यानी मुकाबला दिलचस्प और रणनीतिक दोनों होने जा रहा है।

ग्राम पंचायत से विधानसभा तक का सफर

कमरुल हुदा का राजनीतिक सफर ग्रामीण राजनीति से शुरू हुआ। वे टेउसा ग्राम पंचायत से मुखिया चुने गए, जहां उन्होंने स्थानीय मुद्दों पर मजबूत पकड़ बनाई। इसके बाद वर्ष 2006 में किशनगंज पंचायत समिति सदस्य चुने गए और प्रखंड प्रमुख बने। 2011 में जिला परिषद सदस्य निर्वाचित हुए और सर्वसम्मति से जिला परिषद अध्यक्ष चुने गए। 2012 में वे बिहार राज्य हज कमेटी के सदस्य बने। 2015 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से विधानसभा चुनाव लड़ा और लगभग 10,000 वोट हासिल किए। 2016 से 2019 तक वे किशनगंज जिला परिषद के उपाध्यक्ष रहे और लायंस क्लब के जिला उपाध्यक्ष पद पर भी सक्रिय रहे। 2019 में AIMIM के टिकट पर विधायक बने, लेकिन 2020 में हार का सामना करना पड़ा। वर्तमान में वे किशनगंज नागरिक एकता मंच सह शांति समिति के सचिव के रूप में सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं।

कांग्रेस की रणनीति और चुनावी समीकरण

किशनगंज विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। कांग्रेस ने कमरुल हुदा को उतारकर मुस्लिम मतों के बिखराव को रोकने का प्रयास किया है। BJP पारंपरिक रूप से इस सीट पर हिंदू वोटों के एकजुट होने की उम्मीद रखती है। AIMIM अब तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है, लेकिन पार्टी की जमीनी पकड़ को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि AIMIM अलग प्रत्याशी उतारती है, तो मुस्लिम वोटों में विभाजन से BJP को फायदा हो सकता है। वहीं, यदि कमरुल हुदा कांग्रेस के बैनर तले अपने पुराने वोट बैंक को वापस जोड़ने में सफल रहे, तो किशनगंज में समीकरण पूरी तरह पलट सकता है।

कौन हैं मोहम्मद कमरुल हुदा

  • नाम: मोहम्मद कमरुल हुदा
  • शैक्षणिक योग्यता: मैट्रिक
  • जाति/धर्म: सुरजापुरी मुस्लिम

राजनीतिक अनुभव: ग्राम पंचायत मुखिया से लेकर विधायक तक का लंबा सफर

मुख्य पहचान: जमीन से जुड़े, संगठनात्मक क्षमता वाले जननेता

गौर करे कि किशनगंज की राजनीति हमेशा से बिहार की मुस्लिम राजनीति का केंद्र रही है। कांग्रेस द्वारा कमरुल हुदा को प्रत्याशी बनाना केवल सीट जीतने की कोशिश नहीं, बल्कि AIMIM के बढ़ते प्रभाव को रोकने की रणनीतिक चाल भी है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस का यह ‘हुदा कार्ड’ किशनगंज में जीत की चाबी साबित होता है या नहीं।

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