औरंगाबाद : एसटीईटी परीक्षा रद्द करना बिहार शिक्षा नीति के लिए आत्मघाती, अभाविप ने आज मनाया काला दिवस..

औरंगाबाद/मयंक कुमार, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बिहार ने माध्यमिक शिक्षक पत्रता परीक्षा रद्द के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण व आत्मघाती कदम ठहराया।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने काला पट्टी लगाकर इस निर्णय का विरोध किया तथा राज्य स्तर पर मा राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व बिहार बोर्ड अध्यक्ष को पत्र लिखकर तुरंत पुनर्विचार का आग्रह किया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सहमंत्री आशिका कुमारी ने कहा STET परीक्षा की पूरे धटनाक्रम के अध्ययन हेतु अभाविप ने एक आंतरिक अध्ययन दल गठित किया था।अध्ययन दल के रिपोर्ट के अनुसार बिहार सरकार-BSEB के द्वारा रिजल्ट प्रकाशित होने के समय अचानक से परीक्षा रद्द किया जाना खुद BSEB, शिक्षा विभाग एवं बिहार सरकार को अपने ही ऊपर प्रश्नचिन्ह लगाती है।परीक्षा के लिए जब नोटिफिकेशन निकला तो लगभग चार पन्नों में सारी जानकारी, क्रमशः एवं वारिकी से लिखा हुआ था। इसके अतिरिक्त किसी भी तरह के कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए बोर्ड ने ईमेल एवं मोबाइल नम्बर जारी किये हुए थे ! 28 जनवरी को जब एग्जाम लिया गया तो सभी सेन्टर पर त्रीस्तरीय जांच की व्यवस्था की गई।प्रत्येक परीक्षा हॉल में जेमर (इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे फोन, ब्लूटूथ के प्रयोग को रोकने वाला यंत्र) लगाया गया।जूता चप्पल घड़ी एवं बेल्ट बच्चे को गेट के बाहर ही खुलवा दिया गया, एक बेंच पर केवल दो परीक्षार्थी को बैठाया गया, परीक्षा के संपूर्ण समय काल का वीडियो रिकॉर्डिंग किया गया, जिस सेंटर पर छात्र परीक्षा का बहिष्कार किए थे या फिर देर से जाने के कारण गेट लॉक कर दिया गया था उन सेंटरों पर पुनः परीक्षा फरवरी में ले ली गई, सभी विषय के प्रश्न सिलेबस से ही थे चुंकि बोर्ड ने पहले ही मुख्य विज्ञापन में सूचित कर दिया था कि निर्देश विषय से ही प्रश्न रहेंगे।जैसे सामाजिक विज्ञान का प्रश्न सामाजिक विज्ञान से ही था उसमें गणित या अंग्रेजी के प्रश्न नहीं थे।इसके अतिरिक्त सामाजिक विज्ञान सहित सभी विषय के प्रश्न का स्तर बिहार टेक्स्ट बुक या उसी पेटर्न पर आधारित ही थे, फरवरी के परीक्षा के बाद कभी भी किसी भी न्यूज़ पेपर में या किसी छात्र संगठन या किसी परीक्षार्थी के समूह द्वारा परीक्षा का निम्न स्तर पर भी, ना तो बहिष्कार किया गया और ना ही रद्द करने की मांग की गई, दोनों परीक्षा का बारी बारी से शिक्षा विभाग एवं परीक्षा समिति के द्वारा आंसर शीट जारी किया गया एवं आंसर पर आपत्ति की तिथियां निकाली गई।परीक्षा समिति के अध्यक्ष द्वारा 15 मई तक हर हाल में रिजल्ट घोषित करने की बात कही है फिर अचानक से 16 मई को 4 सदस्य टीम के बारे में जानकारी देते हुए परीक्षा को रद्द करने की बात कही गई।जबकि परीक्षा समाप्त होने के बाद बोर्ड अध्यक्ष के द्वारा यह साफ तौर पर कहां गया कि ना तो कहीं पर परीक्षा का पर्चा लीक हुआ था और ना ही परीक्षा में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार हुआ तो फिर क्या मजबूरी आई बिहार बोर्ड और बिहार सरकार को जो “अपरिहार्य कारणों” से परीक्षा को रद्द करना पड़ा।आखिर क्यों ? छात्रों ने कहा कि STET एग्जाम कैंसिल के मामले में माननीय हाई कोर्ट का डिसिशन जब 22 मई को आना था तो कोर्ट के डिसिशन से पहले एग्जाम कैंसिल का डिसिशन बोर्ड़ के द्वारा क्यों लिये गए, स्कूल में नए बहाली को रोकने का प्रयास क्यो किया गया, बिहार के 2950 नये हाई स्कूल में 9वीं की पढ़ाई इस सेशन 2020 से ही शुरू करने का सरकार के द्वारा आदेश, तो बिना शिक्षक बहाली के नए स्कूल में पढ़ाई कैसे प्रारम्भ/प्राथमिक को मध्य, मध्य को हाई तथा हाई स्कूल को इंटर स्कूल में उत्क्रमित करने का आदेश, बिना शिक्षक बहाली के पढ़ाई कैसे प्रारम्भ हुआ, लॉक डाउन के कारण लाखों बेरोजगार युवकों को बिहार में ही रोजगार मिल जाता लेकिन शिक्षक बहाली रोकने का निर्णय क्यों, हाई स्कूल में रिटायर्ड शिक्षक से पुनः सेवा लेना क्यों जरूरी, कम से कम उतना नये युवकों को रोजगार मिल सकता, उच्च शिक्षा जैसी बर्बादी का षड्यंत्र प्राथमिक शिक्षा में भी और शिक्षा का राजनीति करण क्यों ?
बिहार सरकार जवाब दे कि प्राथमिक, मध्य, हाई, एवम इंटर स्कूल में शिक्षकों की बहाली कब तक होगी ?
सरकार से विनम्र निवेदन है की STET की परीक्षा रद्द करने का निर्णय गलत था।इसलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का सुविचारित मत है कि सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करें।क्योंकि जब कोर्ट का निर्णय 22 को आना था निर्णय के पूर्व रद्द किया जाना कोर्ट का अवमानना भी है।इस निर्णय से कई प्रश्न खड़े होते हैं की आखिर किन लोगो, पदाधिकारियों को लाभ पहुंचाने का प्रयास हो रहे हैं।प्रदेश मंत्री लक्ष्मी ने कही बिहार शिक्षा व्यवस्था-भ्रष्ट तंत्र के नतमस्तक हो गई है जिसका परिणाम है कि लाखों युवाओं के भविष्य की परवाह किये बिना परीक्षा रद्द करने का आत्मघाती निर्णय लिया गया ! आठ वर्षों के बाद STET की परीक्षा आयोजित हुआ।ढाई लाख से अधिक अभियर्थियों ने आवेदन दिया।प्रदेश के वेवश लाचार युवाओं को उनके बदहाली पर छोड़ने के लिए परीक्षा रद्ध करने का निर्णय हुआ।उन्होंने कहा सुनियोजित तरीके से एक तरफ 34000 पदों पर शिक्षकों की वहाली को लेकर अधिसूचना जारी की वही दूसरी ओर STET की परीक्षा रद्द किया।इस पर प्रकरण में गहरी साजिश प्रतीत हो रही है।सरकार निर्णय पर पुनर्विचार करें अन्यथा इस लॉक डॉन के समय विद्यार्थी परिषद रचनात्मक दृष्टि से विचार करते हुए।नहीं चाहती है की आंदोलन खड़ा कर कोई नया समस्या उत्पन्न हो।अन्यथा अभाविप कार्यकर्ता आंदोलन करने को बाध्य होंगे।इस अवसर पर नगर मंत्री कुणाल सिंह, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सतीश सिंह, सौरभ सिंह, ऋषि, शुभम, अभिषेक, निहारिका, सलोनी, ईशा, शालू समेत कार्यकर्ताओ ने काली पट्टी लगाकर निर्णय का विरोध किया।