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वैमनस्य।…

पटना डेस्क:-फिल्मी कहानियों में पंजाबियों को पागल बताया जाता हैं, मराठियों को कंजूस कहा जाता हैं, लाला को लुटेरा, पंडित को हवसी, पूर्वोत्तर वालों चिंकी, दक्षिण वालों के साथ रंगभेद, आदि पूरा षड्यंत्र के तहत किया गया खेल हैं, जिससे हम सभी के मध्य वैमनस्य पनपे और हम भाषा, जाति, ज़मीन के आधार पर आपस में लड़े।

स्वतंत्रता से पहले जब सारे राजा अलग अलग थे तो भाषा, ज़मीन, जल किसी के भी आधार पर भी कोई मतभेद या मनभेद नहीं था, यह सब 1950 के बाद ही क्यों शुरू हुआ ??? किसी भी जाति, वंश या विचारधारा को मानने वाले राजाओं ने मंदिर ही क्यों बनवाए ?? राजाओं के आपसी मतभेद हो सकते हैं लेकिन सब सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए एकजुट थे । कानून ही इस तरह बनाए गए कि वैमनस्य पनपे और सभी आपस में लड़े। मंथन कीजिए क्योंकि विजय तो सत्य की ही होगी।।।

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