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किशनगंज : स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की हुई एएनसी जांच

गर्भवती महिलाएं एवं अभिभावकों को प्रसव से संबंधित जोखिमों से अवगत रहना आवश्यक, नियमित अंतराल पर गर्भवती महिलाओं का होता है फॉलोअप 

किशनगंज, 09 नवंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गुरुवार को जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) की गई। इसमें सभी गर्भवती एवं धात्री महिलाओं की आवश्यक रूप से स्वास्थ्य परीक्षण एवं एएनसी जांच की गई। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि इसमें गर्भवती महिलाओं की जरूरी चिकित्सकीय जांच के साथ उन्हें जरूरी दवा व परामर्श नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया। अभियान के तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, हेल्थ सब सेंटर सहित अन्य संस्थानों में विशेष इंतजाम किये गये थे। आशा, एएनएम व आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से संबंधित पोषक क्षेत्र में अभियान से पूर्व ही गर्भवती महिलाओं को चिह्नित किया गया था। ताकि शत-प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की जांच संभव हो सके। एएनसी के दौरान गर्भवती महिलाओं का वजन, ब्लडप्रेशर, हीमोग्लोबिन, शुगर, एचआईवी एवं मलेरिया से बचाव को लेकर जांच की गई। ज़िले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर एएनसी के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं एवं उनके परिजनों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक आहार लेने के लिए विशेष रूप से सलाह दी गयी। इसके लिए उन्हें हरी सब्जियां, ताजे फल एवं नियमित तौर से आयरन की गोली खाने के लिए जागरूक किया गया। जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डा. मुनाजिम ने बताया कि जच्चा व बच्चा को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का संचालन किया जाता है। इसके तहत प्रत्येक महीने के 9 व 21 तारीख को सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों पर विशेष रूप से कैंप का आयोजन किया जाता है। जिसमें गर्भवती महिलाओं की सभी तरह की आवश्यक जांच की जाती है। इसके साथ ही प्रसव पूर्व होने वाली जांच के बाद आवश्यकतानुसार चिकित्सीय सलाह एवं दवाइयां निःशुल्क दी जाती हैं। इस दौरान गर्भवती महिलाओं व साथ में आने वाले अभिभावकों को भी प्रसव से संबंधित जोखिमों की जानकारियों से अवगत कराया जाता है। जांच के समय जटिल प्रसव वाली महिलाओं की पहचान अनिवार्य रूप से की जाती है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को होने वाली जटिलताओं से बचाना होता है। विशेष रूप से जटिलताओं के कारण जच्चा एवं बच्चा को होने वाली हानि कम करना है। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर आलम ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम के निरीक्षण के क्रम में बताया कि गर्भावस्था के दौरान मुख्य रूप से खून, रक्तचाप, एचआईवी संबंधी जांच जरूरी है। गर्भस्थ बच्चे की सही स्थिति, एनीमिया, एचआईवी सहित अन्य रोगों से बचाव ही नहीं, प्रसव संबंधी जटिल मामलों को चिह्नित करने के लिहाज से ये महत्वपूर्ण है। इसलिये सभी गर्भवती माताओं को गर्भधारण के तुरंत बाद, प्रथम तिमाही के दौरान प्रथम जांच की सलाह दी जाती है। इसके बाद गर्भावस्था के चौथे या छठे महीने में दूसरी, छठे या आठवें महीने में तीसरी व नौवें महीने में चौथी जांच करानी चाहिये। सदर अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सा पदाधिकारी डा. पूनम सिंह ने बताया कि प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत जांच करानी चाहिए। दरअसल, समय पर जाँच कराने से किसी भी प्रकार की परेशानी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाता और पता लगने पर ही उसे आसानी से दूर किया जा सकता है। इससे प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की अनावश्यक शारीरिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व 04 जांच कराना जरूरी है। महिलाओं की स्वास्थ्य जांच के लिए की गई यह व्यवस्था शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने की बेहतर व्यवस्था है। सरकार की यह व्यवस्था मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में अच्छी पहल है। इससे ना सिर्फ सुरक्षित प्रसव होगा, बल्कि शिशु-मृत्यु दर पर विराम लगेगा। इसके साथ ही जच्चा-बच्चा दोनों को अनावश्यक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। सभी गर्भवती महिलाओं को आयरन एवं कैल्सियम की गोली का उचित मात्रा में सेवन करना जरूरी है। तभी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं व उनके गर्भस्थ बच्चे का उचित शारीरिक व मानसिक विकास होता है।

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