बिहार में बेसहारा गोवंशीय पशुओं के संरक्षण हेतु जीविका के माध्यम से शुरू होगी अभिनव योजना – – श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग
त्रिलोकी नाथ प्रसाद/ श्रवण कुमार, माननीय मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार ने आज प्रेस वार्ता में बताया कि राज्य सरकार, बिहार की जनता को बेहतर नागरिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने और समावेशी विकास को गति देने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। राज्य सरकार द्वारा कृषि, पशुपालन तथा रोजगार सृजन के क्षेत्र में सतत पहल की जा रही है। इसी क्रम में बिहार के ग्रामीण इलाकों में जीविका समूहों के माध्यम से जीविकोपार्जन संवर्धन और महिला सशक्तीकरण का सफल मॉडल स्थापित किया गया है। अब इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मंत्रिमंडल ने “बिहार जीविका गोधन संरक्षण एवं प्रबंधन योजना” को स्वीकृति प्रदान की है । बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) इस योजना का क्रियान्वयन करेगी । इस योजना को राज्य के सभी प्रखण्डों में चरणबद्ध तरीके से लागू की जायेगी। योजना का उद्देश्य बेसहारा गोवंशीय पशुओं का संरक्षण, समुचित प्रबंधन और इसके माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं रोजगार के नए अवसर सृजित करना है।
श्री श्रवण कुमार, माननीय मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार ने आगे कहा कि अक्सर देखा गया है कि पशुपालक किसानों द्वारा उपयोगिता समाप्त हो जाने पर गोवंशीय पशुओं को बेसहारा छोड़ दिया जाता है। ये पशु ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आवागमन में बाधा पहुँचाते हैं, सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, कुपोषण एवं बीमारियों से पीड़ित रहते हैं तथा कई बार अवांछित वस्तुएँ खाने से उनकी मृत्यु हो जाती है। इससे सामाजिक, पर्यावरणीय और विधि-व्यवस्था संबंधी समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं। राज्य सरकार का मानना है कि गोवंशीय पशु एक महत्वपूर्ण आर्थिक संसाधन हैं। इनका संरक्षण एवं उपयोग कृषि विकास, जैविक खेती, वर्मी कम्पोस्ट, बायोगैस उत्पादन और अन्य पशुपालन आधारित गतिविधियों में किया जा सकता है। कई राज्यों ने इस दिशा में पहल की है, बिहार ने इसे जीविका समूहों की सक्रिय भागीदारी से सशक्त बनाने का निर्णय लिया है।
माननीय मंत्री ने यह भी कहा कि योजना के प्रथम चरण में प्रत्येक जिले के मुख्यालय के निकट एक प्रखण्ड का चयन कर “जीविका गोधन केन्द्र” स्थापित किया जायेगा। इसके लिए पाँच एकड़ भूमि जिला पदाधिकारी द्वारा चिन्हित की जायेगी और मनरेगा के माध्यम से आधारभूत संरचना विकसित की जायेगी। इसमें चाहरदीवारी, न्यूनतम 100 पशुओं के लिए शेड, चारा गृह, छोटा तालाब और छायादार वृक्ष लगाने जैसी व्यवस्थाएँ शामिल होंगी।
जीविका दीदियाँ जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग के सहयोग से बेसहारा गोवंशीय पशुओं को चिन्हित कर केन्द्र पर लायेंगी और उनका उचित प्रबंधन करेंगी। प्रत्येक पशु का इयर टैगिंग कर उसका रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जायेगा।
जीविका समूह इन पशुओं की चारा-पानी सहित देखभाल एवं केन्द्र संचालन की जिम्मेदारी निभायेंगे। इसके लिए प्रति पशु प्रतिदिन 50 रुपये की दर से अनुदान दिया जायेगा। साथ ही प्रत्येक गोधन केन्द्र को न्यूनतम 6 लाख रुपये प्रतिवर्ष प्रबंधन व्यय हेतु तथा 3 लाख रुपये रख-रखाव, परिवहन एवं विद्युत आदि व्यय हेतु उपलब्ध कराये जायेंगे। पेयजल एवं विद्युत की व्यवस्था, जिसमें सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जायेगा, हेतु 1 लाख रुपये प्रतिवर्ष अनुदान दिया जायेगा। इस योजना के प्रथम चरण में कुल ₹1073.50 लाख (दस करोड़ तिहत्तर लाख पचास हजार) का व्यय अनुमानित है। इसका वहन महिला सशक्तिकरण से संबंधित बजट शीर्ष से किया जायेगा। आवश्यकता पड़ने पर विभाग द्वारा वित्त विभाग की सहमति से राशि में वृद्धि की जायेगी।
ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार ने अंत में यह भी कहा है कि विकास पुरूष एवं धरती पुत्र के नाम से प्रसिद्वि प्राप्त बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में चल रही बिहार की सरकार को विश्वास है कि बिहार के ग्रामीण समाज और जीविका समूहों की सक्रिय भागीदारी से यह योजना न केवल बेसहारा पशुओं के जीवन की रक्षा करेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और जीविकोपार्जन के नए अवसर खोलते हुए आत्मनिर्भर बिहार के लक्ष्य की ओर महत्वपूर्ण कदम साबित होगी ।