एक शिक्षक ही ऐंसा व्यक्ति होता है जो छात्र के जीवन को एक नयी दिशा की और ले जाता है – ओम प्रकाश राय।….

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गुड्डु कुमार सिंह :-गड़हनी प्रखण्ड अंतर्गत उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय हदियाबाद, और प्राथमिक विद्यालय मन्दूरी में शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर बच्चो ने कार्यक्रम का आयोजन किया, दीप प्रज्जवलित करने के साथ साथ डॉ0सर्वपल्ली राधाकृष्णन के तैलचित्र पर माल्यापर्ण के साथ गुरू वंदना और पुष्पांजलि अर्पित किया गया, प्रधानाध्यापक सह संकुल संचालक व समन्वयक ओमप्रकाश राय ने डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके शिक्षकीय जीवन से लेकर राष्ट्रपति पद को सुशोभित करने तक पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रतिवर्ष भारत में 5 सितम्बर के दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दिन डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिन हा था और उन्ही के जन्म दिन को शिक्षक दिवस में रूप में मनाया जाता है, भारत के सभी शिक्षकों के लिए यह दिन समर्पित है क्योंकि एक शिक्षक ही ऐंसा व्यक्ति होता है जो छात्र के जीवन को एक नयी दिशा की और ले जाता है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्वत्रंत भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दुसरे राष्ट्रपति थे, इन्होने अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाये जाने की इच्छा व्यक्त की थी, शिक्षक दिवस अपने गुरुओं को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गावं में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, बचपन से ही डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने मद्रास के क्रिसिचियन कॉलेज से दर्शनशास्त्र का अध्यन किया।

1918 में उनकी न्युक्ति सहायक प्रध्यापक के तौर पर मैसूर महाविद्यालय में हुई, इसके बाद इसी कॉलेज में प्रध्यापक भी रहे, 1931 से 1936 तक ये आन्ध्र विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर भी रहे, 1936 में ऑक्सफ़ोर्ड युनिवर्सिटी के इन्हें Eastern religion and ethics (पूर्वी धर्म और नैतिकता) विषय पढ़ने के लिए बुलाया, 16 साल तक इन्होने यहाँ अध्यापन का कार्य किया।

1937 से 1941 तक इन्होने जार्ज पंचम कॉलेज जो की कलकत्ता विश्वविद्यालय के अंतर्गत था में भी प्रोफेसर रहे, 1939-48 तक यह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चांसलर भी रहे, 1946 में यूनेस्को में भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर भी शामिल रहे , 1952 में इन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया, 1953-62 तक यह दिल्ली विश्वविद्यालय के चांसलर रहे।

 डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु 17 अप्रैल 1975 को चेन्नई में हुई।

शिक्षक दिवस के दिन भारतीय स्कूलों में शिक्षकों को विश्राम दिया जाता है शिक्षकों के बदले छात्र ही एक शिक्षक के तौर पर छात्रों को पढ़ाते है, स्कूलों में शिक्षक दिवस के मौके पर कार्यक्रम किये जाते है, छात्रों के द्वारा शिक्षकों को कार्ड, पुष्प, और लेखन सामग्री जैसे पेन आदि उपहार देकर इस दिन को शिक्षकों के लिए खास बनाया जाता है।

5 सितम्बर को शिक्षक दिवस भारत में मनाया जाता है या यह भी कह सकतें है की यह राष्ट्रीय शिक्षक दिवस का दिन है लेकिन 5 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस भी मनाया जाता है, भारत में 5 सितम्बर को मनाये जाने वाले शिक्षक दिवस का महत्व इतना है की यह भारतीय शिक्षकों को साम्मान देने के लिए मनाया जाता है, जबकि 5 अक्टूबर को मनाये जाने वाले अन्तराष्ट्रीय शिक्षक दिवस का महत्त्व इतना है की इसे शिक्षा का महत्त्व, शिक्षा देने वाले शिक्षक की भूमिका आदि को मद्देनजर रखते हुए मनाया जाता है। बच्चों के द्वारा प्रश्नोतरी कार्यक्रम भी आयोजित किया गया …श्री प्रकाश ने बच्चों के बहुत से प्रश्नो के उतर बच्चों को देने के बाद उनके जीवन से शिक्षा लेने और उनके पद चिन्हों पर चलने की बात और आदर्शो को आत्सात करने को कहा. वहीं उपस्थित पूर्व साधन सेवी सर्वजीत कुमार सिंह के द्वारा बच्चों व उपस्थित सभी शिक्षक शिक्षिकाओं को डॉ0 राधाकृष्णन के विचारों को अमल में लाने और अपने जीवन में उतारने एवं बच्चों अनुकरण करने की बात कही गई ….बच्चे बहुत हीं उत्सुकता से हर्षोल्लास के साथ जयंती को मनाते हुए सभी शिक्षको से आशीर्वाद प्राप्त किये भिन्न भिन्न प्रकार के सांस्कृतिक व मनोरंजनात्मक कार्यक्रम भी बच्चों द्वारा प्रस्तुत किये गये..मौके पर हदियाबाद विद्यालय के शिक्षकों में प्रमोद कुमार, श्वेता कुमारी, अजीत कुमार, कुलदीप कुमार सिंह, मीरा कुमारी, रेणु कुमारी, धर्म शीला कुमारी,अशरफ अली, प्राथमिक मंदुरी विद्यालय पर छोटे कुमार, उमशंकर कुमार, जितेन्दर सिंह प्रियंका कुमारी आदि सहित सैकड़ों की संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहीं