किशनगंज : रमज़ान का पवित्र महीना केवल आत्मा को बल्कि शरीर को भी पवित्र करता है:-मो० कलीमुद्दीन

रोज़ा का मतलब हर बुराई से तौबा और गुनाहों के कामों से दुरी बनाना है:-निकहत प्रवीणकिशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, नगर परिषद उपाध्यक्षा श्रीमती निकहत प्रवीण एंव किशनगंज नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष मो० कलीमुद्दीन ने बुधवार को अपने आवास पर पवित्र महिना रमज़ानूलमुबारक के संबंध में एक विशेष वार्ता के दौरान कहा कि रमज़ान के महीने में पुरे महीने का रोज़ा उपवास रखना फर्ज है और यह रोज़ा इन्सान की ना केवल आत्मा बल्कि शरीर को भी पवित्र करता है।
उन्होने कहा कि यह महिना साल के बारह महिनों में सबसे अफज़ल है। इस महीना में पांच वक्त की नमाज़ के अलावा तराविह और अधीक नफील की नमाज़ पढी जाती है। पुरे साल की कमाई का ढाई प्रतिशत ज़कात निकाला जाता है ज़कात की यह राशी ग़रीबों, यतीमों, बेसहारों और ज़रूरत मंदों को दी जाती है और इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि जो रिश्तेदार गरीब हैं पहले उनका ख्याल रखा जाये। साथ ही रमज़ान के महीने में जहां अत्याधिक अल्लाह की ईबादत की जाती है वहीं मानव कल्याण के कार्यों को भी खूब से खूब किया जाता है। मो कलीमुद्दीन ने कहा कि इस महीने में अल्लाह अपनी रहमत का ख़ज़ाना खोल देते हैं और जो कोई अल्लाह कि राह में एक खर्च करता है उसके बदले अल्लाह की तरफ से उसे सत्तर मिलता है। उन्होने कहा कि इस्लाम अमन व शांति आपसी भाईचारगी और मानवता का संदेश देता है।
उन्होंने कहा कि कुरान ने एक इन्सान के नाहक हत्या पर पूरी इन्सानियत की हत्या करार दिया है इससे पता यह चला कि इन्सानियत को कितना अधिक महत्व इस्लाम में दिया गया है। श्रीमती निकहत प्रवीण ने कहा कि रोज़ा का मतलब सारी बुराईयों से तौबा और गुनाहों के कामों से दुरी बनाना है। रोजा का मतलब शरीर के हर हिस्से को बुराई से बचाना है। और रमज़ान के पवित्र महिने में जिस तरह अच्छे कामों का ट्रेनिंग लिया गया है उसे साल भर कायम रखना है। यही इस पवित्र महिने का उद्देश्य है ताकि एक अच्छे इंसान और एक अच्छे समाज का निर्माण हो।