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किशनगंज : एचआईवी पॉजिटिव लोगों को टीबी के संक्रमण का खतरा अधिक : सिविल सर्जन

एड्स के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय को जानना जरूरी।

  • संक्रमित गर्भवती महिलाओं से उनके गर्भस्थ शिशु को भी खतरा।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, एड्स एक लाइलाज बीमारी है। यदि इसमें सावधानी नहीं बरतते व समय से इलाज शुरू नहीं कराते हैं तो यह मृत्यु का कारण भी बन सकता। हालांकि एड्स से लोगों को बचाने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा भिन्न-भिन्न कार्यक्रम चलाकर लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। सरकारी संस्था के अलावा कई निजी संस्थान द्वारा भी एड्स से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा और लोगों को एड्स के कारण, लक्षण तथा बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने सोमवार को सदर अस्पताल परिसर में जानकारी देते हुए बताया कि यदि कोई गर्भवती महिला एचआईवी संक्रमित है तो इससे उसके बच्चे को भी एचआईवी पॉजिटिव होने का खतरा ज्यादा बन जाता। क्योंकि गर्भस्थ बच्चा अपने पोषण के लिए मां पर ही निर्भर होता है। ऐसे में उसके संक्रमित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। साथ ही मां का दूध भी संक्रमण का कारण बन सकता है। यदि थोड़ी सावधानी बरती जाए तो गर्भस्थ बच्चे को एचआईवी पॉजिटिव होने से काफी हद तक बचाया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को अधिक से अधिक पौष्टिक आहार लेना चाहिए। क्योंकि उन्हीं से ही उनके गर्भस्थ बच्चे को पोषक तत्व मिलता है। बच्चे को जितना पोषक तत्व मिलेगा बच्चा उतना ही स्वस्थ्य रहेगा। एसीएमओ डॉ सुरेश प्रशाद ने बताया कि एड्स को लेकर जिले में लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है, क्योंकि एड्स बीमारी की पहचान तत्काल नहीं हो पाती। इसके लिए लोगों को समय-समय पर जांच के लिए भी प्रेरित किया जाता है। खासकर वैसे लोग जो असुरक्षित तरीके से यौन संबंध बनाते हैं। एड्स के कारण, लक्षण एवं इससे बचाव के उपाय को जानना जरूरी है। एड्स की जांच के लिए जिला स्वास्थ्य समिति में सभी सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जाती है। साथ ही साथ एड्स पॉजिटिव पाए जाने के बाद मरीजों को प्रतिमाह 1500 रुपये प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है। इसके अलावा एड्स से जुड़ी सभी जांच एवं दवाइयां भी निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि एचआईवी व टीबी के बीच के संबंध से पहले लोगों को टीबी के विषय में जानना जरूरी है। टीबी के दो रूप होते हैं, एक सक्रिय और दूसरा निष्क्रिय। जिन लोगों में सक्रिय टीबी होता वे इसलिये बीमार हैं कि उनके शरीर में बहुत अधिक मात्रा में टीबी के जीवाणु सक्रिय होते। जिन लोगों में निष्क्रिय टीबी होती उनके शरीर में भी टीबी के सक्रिय जीवाणु होते हैं। लेकिन वे बीमार इसलिये नहीं पड़ते, क्योंकि टीबी के जीवाणु उनके शरीर में सोते रहते हैं। आमतौर पर ऐसे मरीजों पर टीबी के जीवाणु का प्रभाव पूर्व में हो चुका रहता है। इसलिये निष्क्रिय टीबी के मरीजों को भविष्य में सक्रिय टीबी हो सकता है, विशेषकर जब वे एचआईवी से संक्रमित हों।

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