किशनगंज : एक मिस्ड कॉल से मिलेगी टीबी से जुडी सभी तरह की जानकारी।

टोल फ्री सेवाएं मरीजों को टीबी नियंत्रण कार्यक्रम को सफल करेगी, टीबी मरीजों के लिये विश्वसनीय जांच व इलाज का है बेहतर इंतजाम
- इस तरह कारगर साबित हो रही है टोल फ्री नंबर–1800116666 की मिस्ड कॉल सेवा।
- ज्यादातर टीबी मरीज गरीब तबके से आते हैं। जानकारी के अभाव में भी साधारण टीबी के मामले जटिल रूप ले लेते हैं।
- मिस्ड कॉल सेवा की मदद से इन्हीं मरीजों की पहचान करने और चिकित्सा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
- नई सेवा स्वास्थ्य मंत्रालय को टीबी के कारण हो रहे दुष्प्रभावों के मामलों की शिनाख्त करने में भी सहायता करेगा।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार पहल की जा रही तथा नई-नई तकनीकों को जोड़ा जा रहा है। साथ ही सामुदायिक स्तर पर विशेष पहल कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। अब स्वास्थ्य विभाग ने नई पहल करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने क्षय रोग के मरीजो के लिए एक टॉल फ्री नंबर की शुरुआत की है। इससे टीबी से जुडी सभी तरह की जानकारी सिर्फ एक मिस्ड कॉल में मिल सकेगा। टीबी की अधिक जानकारी के लिए टॉल फ्री नंबर 1800-116666 जारी किया गया है। जिसपर कोई भी व्यक्ति मिस्ड कॉल करके टीबी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने गुरुवार को बताया की सरकार 2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए कटिबद्ध है। देश में टीबी अभी भी एक बड़ी चुनौती है। देश में ड्रग-रेजिस्टेंस टीबी मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसके लिए जनमानस में व्यापक तौर पर इस रोग के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है। लक्षण नजर आने के बावजूद अधिकांश लोग यह मानने को तैयार ही नहीं होते हैं कि उनको टीबी हो सकती है। ऐसे में उनकी भूमिका काफी अहम हो जाती जो टीबी से ग्रसित होने के बाद पूणर्तः ठीक हो चुके हैं। टीबी पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है। टीबी रोगियों को सरकार द्वारा निःशुल्क दवा दी जाती है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया जिले में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में टीबी रोगियों की सुविधा के लिए गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के साथ-साथ समाज के लोगों के बीच टीबी को लेकर मनोवैज्ञानिक, सामाजिक स्पोर्ट भी उपलब्ध करायी जा रही है। टीबी जागरूकता की विभिन्न गतिविधियां कराई जा रही हैं। इस दौरान हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) पर बड़ी जिम्मेवारी है कि, वो घर के दरवाजे से बाहर आ रहे लोगों को बेहतर ढंग से टीबी की जांच और इलाज के साथ-साथ इससे बचने के लिए लोगों को टीबी के लक्षण और सावधानियों के बारे में अच्छी तरह से जागरूक करें। साथ ही समय-समय पर चिह्नित इलाकों में सघन अभियान संचालित कर रोगी खोज अभियान का संचालन रोग नियंत्रण के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हुआ है। ईट-भट्ठा, झुग्गी-झोपड़ी, मलीन बस्तियां सहित अन्य संभावित स्थानों पर संचालित अभियान के क्रम में बड़ी संख्या में टीबी के छूपे मामले सामने आ रहे हैं।
टीबी के विश्वसनीय जांच के लिये सभी प्रखंड स्तरीय चिकित्सा संस्थानों में ट्रूनेट मशीन लगायी गयी हैं। इससे एमडीआर टीबी के भी मामले आसानी से चिह्नित कर उनका समुचित इलाज सुनिश्चित कराया जा रहा है। इतना ही नहीं टीबी नोटिफिकेशन के मामले में प्राइवेट चिकित्सकों से भी जरूरी मदद ली जा रही है। टोल फ्री से प्राप्त कॉल के आधार पर मंत्रालय की टीम कॉल करने वाले व्यक्ति के पास पहुंचेगी और उसकी टीबी के स्तर की जांच करके यह सुनिश्चित करेगी की उस व्यक्ति को सही निदान, मुफ्त दवाइयां और इलाज उपलब्ध कराने तथा अनुवर्ती कार्य के लिए इस कार्यक्रम के अंतर्गत शामिल किया जा सके। उन्होंने बताया कि टीबी नियंत्रण कार्यक्रम की एक सबसे बडी चुनौती टीबी मरीजों तक पहुंचना है। टोल फ्री सेवाएं मरीजों को टीबी नियंत्रण कार्यक्रम में शामिल करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, टीबी मुक्त भारत का विजन अर्जित करने के लिए जिले में नियमित टीकाकरण के अधीन बीसीजी (टीका) की 90 प्रतिशत कवरेज सुनिश्चित करेगा। इसमें दूर-दराज तक पहुंच बनाने, रोग के लक्षण सामने आने के दो सप्ताह के अंदर टीबी के सभी मामलों का निदान करना और नजदीकी जनस्वास्थ्य केंद्र तक भेजना और पूर्ण इलाज सुनिश्चित कराना भी शामिल है। मोबाइल फोन की अहमियत को जानते हुए स्वास्थ्य विभाग अब इसे कई बीमारियों से निबटने का “हथियार’ बनाने जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश की सबसे गंभीर बीमारी समझी जाने वाली टीबी (क्षय रोग) के इलाज में अब मोबाइल फोन की मदद लेने का फैसला किया है।