मैं अपने और राष्ट्र के बीच राष्ट्र को ही महत्व दूंगा डॉक्टर अम्बेदकर।।….

त्रिलोकी नाथ प्रसाद-सभी मनुष्य एक ही मिट्टी के बने हुए हैं और उन्हें यह अधिकार भी है। कि वह अपने साथ अच्छे व्यवहार की मांग करें परंतु जिस मिट्टी में पलकर हम बड़े हुए उसके लिए मरना शान की बात है इंसान में अगर यह अरमान है। तो राष्ट्र के लिए मरना शाम की बात है डॉक्टर भीम राव अम्बेदकर ने अपने अभिव्यक्ति मैं कहा था कि मैं अपने और राष्ट्र के बीच राष्ट्र को ही महत्व दूंगा डॉक्टर अम्बेदकर
एक साधारण मानव नहीं विशिष्ट प्रतिभा से संपन्न एक महामानव थे उन्होंने कहा था कि सही राष्ट्रवाद है।जाति भावना का परित्याग राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है।जब लोगों के बीच जाती नस्ल या रंग का अंतर भुला कर उनमें समाजिक मातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाए राष्ट्रीय एकता के लिए सभी के लिए एक भाषा होना जरूरी है वह है। हिंदी वह अपने लोगों में व्याप्त अंधविश्वास को मिटाना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने किसी एक जाति या वर्ग के लिए कार्य नहीं किया बल्कि संपूर्ण मानवता को समता और बराबरी का हक दिलाने के लिए और टूट संघर्ष किया था उन्होंने सदियों से सताए दलितों एवं सोची तो के पीछे जागृति का आदेश देते हुए शेष समाज को उनसे जुड़ने तथा उनके सुख-दुख में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया था डॉक्टर अम्बेदकर को लोकतंत्र में विश्वास था और धार्मिक दृष्टि से भगवान बुध का मत उन्हें अधिक आकर्षक लगता था उन्हें प्रगतिशील विचारों का ही यह प्रमाण है ।कि भारतीय संविधान द्वारा देश से जाति धर्म भाषा और स्त्री पुरुष के आधार पर सभी प्रकार के भेदभाव को सदा के लिए समाप्त कर दिया गया है। संविधान की एक-एक पंक्ति में उनकी संवैधनिक बिज्ञता विधि कुशलता उनकी दूरदर्शी तथा बुद्धिमता प्रतिविम्मीत है। डॉक्टर अम्बेदकर का पूरा नाम भीमराव रामजी अम्बेदकर था। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था इनका उपनाम सकपाल था। इन्हें बाबा साहब किस संज्ञा से अमिहित किया जाता है ।इनके पूर्वज महाराष्ट्र के निकाह स्थित है। डॉक्टर अम्बेदकर का निर्धन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुआ था डॉक्टर अम्बेदकर ने दो शादी किया था पाली शादी 9 वर्ष की उम्र में रमाबाई से 1905 में जिनकी मृत्यु 1935 में हो गया था दूसरी शादी ब्राह्मण कन्या शारदा कुबेर से 1948 में जिनका नाम उन्होंने बदलकर सविता
अम्बेदकर कर दिया था डॉक्टर अम्बेदकर ने प्रथम संपादकीय मूक नायक में लिखा था कि भारत को स्वतंत्र होने से पूर्व आर्थिक सामाजिक राजनीति एवं धार्मिक क्षेत्रों में समानता स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए उन्होंने स्टेट एंड मायनारिटाज ग्रंथ में जमीन के संबंध में अत्यंत महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।वह अर्थशास्त्री के नाते मात्थस के पक्षधर थे। डॉक्टरअम्बेदकर ने कहा था कि किसी समाज की प्रगति का अनुमान इस बात से लगता है ।कि उस समाज की महिलाओं की कितनी प्रगति हुई है। जातिवाद को तोड़ने के लिए वास्तविक समाधान अंतरजातीय विवाह है। डॉक्टर अम्बेदकर ने एक और समाज के लिए अहित कर रूढ़ियों और परंपराओं पर चोट की थी तो दूसरी ओर सदियों से सताए गए दलितों एवं कोशिशों के बीच जागृति का संदेश देते हुए से समाज को उनसे जुड़ने तथा उनके सुख-दुख में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया था।
डॉक्टरअम्बेदकर के संबंध में हिंदी अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं में अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुए हैं। जिसमें डॉक्टर अम्बेदकर लाइफ एंड मिशन दी पॉलीटिकल फिलॉसफी ऑफ डॉo बी आर अम्बेदकर स्टाउंड हॉट्स एंड ओपन हैंड्स भारत निर्माता डॉo अम्बेदकर तथा डॉo अम्बेदकर एक चिंतन आदि प्रमुख हैं।