किशनगंज : गर्भावस्था के दौरान 80% महिलाओं को रहता है एनीमिया का खतरा
स्वस्थ मां, स्वस्थ शिशु: एनीमिया नियंत्रण के लिए सजग हुआ स्वास्थ्य विभाग

किशनगंज,04नवंबर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, एक स्वस्थ गर्भावस्था केवल मां की नहीं, बल्कि पूरे परिवार की खुशहाली की नींव होती है। लेकिन इसी दौरान महिलाओं को सबसे बड़ा खतरा एनीमिया (रक्त की कमी) से होता है। यह ऐसी स्थिति है जो न केवल मां के जीवन को खतरे में डालती है, बल्कि गर्भस्थ शिशु के विकास को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एनीमिया गर्भवती महिलाओं में मातृ मृत्यु दर का प्रमुख कारण बन सकता है।
क्या है एनीमिया और क्यों है यह चिंताजनक
हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने वाला प्रमुख प्रोटीन है। इसकी कमी को ही एनीमिया कहा जाता है। सामान्यतः पुरुषों में हीमोग्लोबिन का स्तर 13.5 से 17.5 ग्राम/डीएल और महिलाओं में 12 से 15.5 ग्राम/डीएल के बीच होना चाहिए। जब यह स्तर कम हो जाता है, तो शरीर में कमजोरी, चक्कर आना, बाल झड़ना, थकावट और डिप्रेशन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन बताती हैं, “गर्भावस्था के दौरान लगभग 80% महिलाएं किसी न किसी रूप में एनीमिया की चपेट में आ जाती हैं। यह स्थिति प्रसव के समय जटिलता बढ़ा सकती है और गर्भस्थ शिशु के शारीरिक एवं मानसिक विकास पर प्रतिकूल असर डालती है। यदि हीमोग्लोबिन 7 ग्राम/डीएल से नीचे पहुंच जाए, तो स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।”
एनीमिया मुक्त भारत अभियान: महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच
एनीमिया की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने ‘एनीमिया मुक्त भारत अभियान’ के तहत सशक्त पहलें की हैं।
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि जिले में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर महिलाओं और किशोरियों को आयरन फोलिक एसिड (IFA) की गोलियां वितरित कर रही हैं। विद्यालयों में बच्चों को भी उम्र के अनुसार IFA की खुराक दी जा रही है। गर्भवती महिलाओं को VHSND, आरोग्य दिवस और उपस्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से आयरन और कैल्शियम की 180 गोलियां नि:शुल्क दी जाती हैं।
उन्होंने कहा, “HIMS डेटा के अनुसार पिछले माह जिले में गर्भवती महिलाओं को आयरन और कैल्शियम की 100 प्रतिशत से अधिक गोलियां वितरित की गईं, जो विभागीय सक्रियता का प्रमाण है।”
HSC स्तर पर हुई समीक्षा बैठकें
मंगलवार को जिले के विभिन्न हेल्थ सब-सेंटरों पर एनीमिया नियंत्रण को लेकर समीक्षा बैठकें आयोजित की गईं। इसमें आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को गर्भवती महिलाओं के फॉलोअप, हीमोग्लोबिन जांच और सप्लीमेंट वितरण में सक्रिय रहने का निर्देश दिया गया।
बैठक में किशनगंज, दिघलबैंक, टेढ़ागाछ और ठाकुरगंज ब्लॉक के आंकड़ों की समीक्षा की गई। विभागीय टीम ने निर्देश दिया कि गर्भवती महिलाओं की नियमित हीमोग्लोबिन जांच और पोषण परामर्श सत्र प्रत्येक VHSND दिवस पर अनिवार्य रूप से आयोजित हों।
पोषण और परामर्श से बनेगी सेहतमंद जिंदगी
सिविल सर्जन डॉ. चौधरी ने कहा, “एनीमिया का मूल कारण खानपान में पोषण की कमी है। इसका समाधान जागरूकता और संतुलित आहार से संभव है।” उन्होंने बताया कि हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, अनार, अमरूद, केला, गाजर, टमाटर, बादाम, किशमिश, खजूर, अंडा, मछली, चिकन और गुड़ का सेवन हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में सहायक है।
उन्होंने यह भी सलाह दी कि गर्भवती महिलाएं किसी भी प्रकार की थकावट, चक्कर आना या सांस फूलने जैसे लक्षण महसूस करें, तो तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल में जांच कराएं।
जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने कहा, “गर्भावस्था के दौरान एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है, लेकिन समय पर जांच, पौष्टिक आहार और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर इसे पूरी तरह रोका जा सकता है।” उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य विभाग की पहल, जनसहभागिता और जागरूकता ही एनीमिया मुक्त भारत की नींव हैं, क्योंकि एक स्वस्थ मां ही एक स्वस्थ पीढ़ी की जननी होती है।”


