नवेंदु मिश्र
मेदिनीनगर – भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष अमित तिवारी ने पलामू सांसद श्री विष्णु दयाल राम को लिखी चिट्ठी जिसमें उन्होंने चिआंकी में स्थित कृषि फॉर्म को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के रूप में अधिग्रहित करने की मांग की है। जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए पलामू के लोकप्रिय सांसद विष्णु दयाल राम ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखी और जिला अध्यक्ष श्री तिवारी की बातों का समर्थन किया और केंद्रीय कृषि मंत्री से मांग करते हुए यह चिट्ठी लिखा कि यह वाकई में जनता से जुड़ा हुआ बहुत अच्छा मुद्दा है। यदि इस पर कार्रवाई होती है और इसे केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त होता है तो यह वास्तव में कृषि क्षेत्र के लिए और पलामू के लिए मिल का पत्थर साबित होगा। श्री तिवारी ने निवेदन पूर्वक कहा है कि पलामू विकट जलवायु वाला ,परंतु परिश्रमि किसानों का क्षेत्र है, जहां की अर्थव्यवस्था आज भी 80% तक कृषि पर आधारित है। यह शहर न सिर्फ पलामू प्रमंडल वरन पड़ोसी राज्य बिहार के औरंगाबाद, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और छत्तीसगढ़ के बलरामपुर के निवासियों के लिए भी शिक्षा का केंद्र, बाजार आदि के लिए प्रयोग किया जाता है ।इस शहर के करीब स्थित चिआंकी में 1926 में स्थापित कृषि फार्म अपने पर्याप्त विस्तार गौरवशाली यात्रा और बेहतरीन अनुसंधान कार्यों के बावजूद समुचित सम्मान नहीं प्राप्त कर सका है। इस फॉर्म की गौरवशाली इतिहास के कुछ हिस्सों का सारांश प्रस्तुत करते हैं ताकि इसे समझने में और जानने में आसानी होगी।
स्थापना वर्ष 1926 में कृषि अनुसंधान केंद्र के रूप में हुआ। 1955 ईस्वी में संतरा अनुसंधान केंद्र के रूप में विकसित किया गया। 1968 ईस्वी में बेल, आंवला, आम को विकसित करने के लिए फल अनुसंधान केंद्र के रूप में बनाया गया। 1968 ईस्वी में ही बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का कृषि अनुसंधान केंद्र बनाया गया । 11वीं पंचवर्षीय योजना से 7 जिला इस फार्म के कार्य क्षेत्र में आ गए । यह अपने हर लक्ष्य को बखूबी प्राप्त करने का काम किया और अनवरत प्रयास रत भी है, परंतु जितनी इसकी क्षमता है उसके अनुरूप इसे व्यवस्था नहीं मिल पा रही है। इस केंद्र को अब अगर भारत सरकार अधिग्रहित करते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दे दे तो पलामू क्षेत्र कृषि के क्षेत्र में और भी महत्वपूर्ण योगदान देगा वरन राष्ट्र के उन्नति में भी अधिक योगदान देने में सक्षम हो सकेगा। माननीय प्रधानमंत्री महोदय हमारे देश के किसाने के कायाकल्प करने हेतु कई लाभकारी योजना चला रहे हैं जिससे किसानों की आय दोगुनी हो सके । यदि बिरसा कृषि अनुसंधान केंद्र को केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में अधिग्रहित किया जाता है तो यह एक मील का पत्थर साबित होगा, इसके लिए पलामू की जनता आपका सदा आभारी रहेगी । वैसे भी आज दलहन हम विदेशों से आयात करते हैं इस क्षेत्र में सुविधा देने से शायद इसकी आवश्यकता न पड़े।