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कभी-कभी ज्यादा योग्यता भी जान के लिए खतरनाक हो जाती है – नवेंदु मिश्र

नवेंदु मिश्र

एक राजा के राज सभा में एक अनजान व्यक्ति नौकरी मांगने के लिए आया। उससे उसकी योग्यता पूछी गई, तो वो बोला- मैं, आदमी हो चाहे जानवर, शक्ल देख कर उसके बारे में बता सकता हूँ।
राजा ने उसे अपने खास घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज बना दिया। कुछ दिनों बाद राजा ने उससे अपने सबसे महंगे और मनपसन्द घोड़े के बारे में पूछा। उसने कहा, महाराज, ये घोड़ा नस्ली नही हैं।
राजा को हैरानी हुई, उसने जंगल से तुरंत घोड़े वाले को बुला कर पूछा। उसने बताया, घोड़ा नस्ली तो है; पर इसकी पैदाइश पर इसकी मां मर गई थी, ये एक गाय का दूध पीकर उसके साथ पला है।
राजा ने अपने नौकर को बुलाया और पूछा तुमको कैसे पता चला कि घोड़ा नस्ली नहीं है? उसने कहा- जब ये घास खाता है तो गायों की तरह सर नीचे करके, जबकि नस्ली घोड़ा घास मुँह में लेकर सर उठा लेता है।
राजा उसकी योग्यता से अत्यंत प्रसन्न हुए, और नौकर के घर अनाज, घी, मुर्गे और अंडे बतौर पुरुस्कार भिजवा दिए और उसे अपने महल में तैनात कर दिया।
कुछ दिनों बाद, राजा ने उससे रानी के बारे में राय मांगी। उसने कहा, तौर तरीके तो रानी जैसे हैं लेकिन पैदाइशी नहीं हैं। राजा के पैरों तले जमीन निकल गई, उसने अपनी सास को बुलाया, मामला उसको बताया। सास ने कहा- वास्तविकता ये हैं कि आपके पिताजी ने मेरे पति से हमारी बेटी की पैदाइश पर ही रिश्ता मांग लिया था, लेकिन हमारी बेटी ६ माह में ही मर गई थी। इसलिए हमने आपके रजवाड़े से नजदीकी रखने के लिए किसी और की बच्ची को अपनी बेटी बना लिया।
राजा ने फिर अपने नौकर से पूछा-तुमको कैसे पता चला?उसने कहा, रानी साहिबा का नौकरों के साथ व्यहवार गंवारों से भी बुरा है। एक खानदानी व्यक्ति का दूसरों से व्यवहार करने का एक तरीका होता है, जो रानी साहिबा में बिल्कुल नहीं है।
राजा फिर उसकी पारखी नज़रों से खुश हुआ और बहुत से अनाज, भेड़-बकरियां बतौर पुरुस्कार दीं। साथ ही उसे अपने दरबार में तैनात कर दिया। कुछ समय बीता, राजा ने फिर नौकर को बुलाया और अपने खुद के बारे में पूछा।
नौकर ने कहा – जान की सलामती हो तो कहूँ। राजा ने वादा किया। उसने कहा-न तो आप राजा के बेटे हो और न ही आपका चलन राजाओं वाला है।
राजा को बहुत गुस्सा आया, मगर जान की सलामती का वचन दे चुका था, राजा सीधा अपनी मां के महल पहुँचा।
मां ने कहा- ये सच है, तुम एक चरवाहे के बेटे हो, हमारी औलाद नहीं थी तो तुम्हें गोद लेकर हमने पाला।
राजा ने नौकर को बुलाया और पूछा – बता,तुझे कैसे पता चला? उसने कहा- जब राजा किसी को इनाम दिया करते हैं, तो हीरे-मोती और जवाहरात की शक्ल में देते हैं,लेकिन आप भेड़, बकरियां, खाने-पीने की चीजें दिया करते हैं, ये रवैया किसी राजाओं का नहीं, किसी चरवाहे के बेटे का ही हो सकता है।राजा हैरान रह गया।
शिक्षा:-
किसी इंसान के पास कितनी धन-दौलत, सुख-समृद्धि, प्रसिद्धि, बाहुबल हैं; ये सब बाहरी दिखावा हैं। इंसान की असलियत की पहचान उसके व्यवहार और उसकी सोच से होती है।

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