जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना के तत्वावधान में संचालित सृजनी विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान में आवासित 03 (तीन) बच्चे, जिसमें 02 बालकों को सिवान (बिहार) तथा पुणे (महाराष्ट्र) एवं एक (01) बालिका, जो विशेष आवश्यकता वाली बालिका है, को मेघालय के दंपत्ति को जिला पदाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज दत्तक ग्रहण में दिया गया।

त्रिलोकी नाथ प्रसाद =पूर्व में दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया परिवार न्यायालय के माध्यम से पूर्ण होती थी, परंतु किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम, 2021 द्वारा दत्तक ग्रहण हेतु फाइनल ऑर्डर निर्गत करने के लिए जिलाधिकारी को प्राधिकृत किया गया है ताकि दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में हो रहे अनावश्यक विलंब से बचा जा सके।इन सभी बच्चों को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी दत्तक ग्रहण मार्गदर्शिका 2022 के प्रावधानों के आलोक में जिलाधिकारी के समक्ष शारीरिक उपस्थिति के माध्यम से दत्तकग्रहण की प्रक्रिया पूर्ण की गई lइस अवसर पर , श्री उदय कुमार झा, सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई पटना , श्री मुकुल कुमार, बाल संरक्षण पदाधिकारी तथा अन्य कर्मी उपस्थित थे।
जानिए दत्तकग्रहण के क्या नियम हैं-
कोई भी ऐसा दंपत्ति, जिसकी शारीरिक एवं मानसिक स्थिति सुदृढ़ हो, बच्चा गोद लेने के लिए पात्र हो सकता है, यदि उन्होंने कम से कम दो वर्ष का स्थिर वैवाहिक जीवन व्यतीत किया हो तथा दत्तक ग्रहण हेतु दोनों की आपसी सहमति जरुरी है। अलग-अलग उम्र वाले दंपत्ति को अलग – अलग उम्र के बच्चे की पात्रता होती है। बच्चा गोद लेने के लिए केन्द्रीय दत्तकग्रहण संसाधन प्राधिकरण के वेबसाइट www.cara.nic.in पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है । जांचोपरांत बच्चा गोद लेने के पात्र माता -पिता को बच्चा गोद दिया जाता है । एकल पुरूष अभिभावक को केवल लड़का गोद दिया जा सकता है जबकि एकल महिला अभिभावक लड़का एवं लड़की दोनों को गोद ले सकती है । देश में किसी अन्य माध्यम से बच्चा गोद लेना और देना कानूनी अपराध है ।