गुम एवं चोरी का मोबाइल का आईएमईआई नंबर बदल देते हैं दुकानदार…

बड़ी-बड़ी ब्रांडेड कंपनिया महंगी-मंहगी मोबाइल, लैपटॉप और आई पैड आईएमईआई नंबर से सुरक्षा का दावा करके ग्राहकों को बेच रही है।ग्राहक भी किमत के बजाय सुरक्षा को प्राथमिकता देकर इसलिए खरीद रहे हैं की मोबाईल चोरी, छिनैती या गुम हो जाने पर आईएमईआई नंबर से टैक करके मोबाइल पाताल से भी खोज निकाला जाता है।बहुचर्चित सुशासन एवं कानून का राज स्थापित है का दावा करने वाली सरकार एवं पुलिस विभाग का मुख्यालय पटना में इन दिनों मोबाइल चोरों का आतंक एवं पुलिस की लापरवाही की वजह से चोरों एवं जालसाज दुकानदारों का बाजार गर्म है।25 से 50 हजार तक का मोबाइल ग्राहक इसी दृष्टिकोण से खरीदते हैं ताकि वह निश्चिंत होकर मोबाइल का इस्तेमाल कर सके।देश के सभी महानगरों में पुलिस की चौकसी की वजह से चोर एवं मोबाइल दुकानदार किसी भी कंपनी का आईएमईआई नंबर को डीजिट करके नया आईएमईआई नंबर चढ़ा देता है लेकिन पुलिस विभाग की मुस्तैदी एवं ट्रैक्टर सिस्टम से चोर के गलत मंसूबे को धर दबोचती है और सलाखों के पीछे धकेल देती है।मोबाइल कंपनी भी अपने मोबाइल सेट का नंo और आईएमईआई नंबर को कैच करके उस चोरी या गुम हुए मोबाइल का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता को पकड़ सकती है कि उसकी कंपनी का मोबाइल कौन और कहां इस्तेमाल हो रहा है उसका टावर लोकेशन सहित गूगल के माध्यम से उस व्यक्ति तक पहुंच जाती है।बताते चलें कि गुम या चोरी की मोबाइल का सनहा एवं प्राथमिकी दर्ज करने के लिए भी पुलिस की मेहरबानी का मोहताज होना पड़ता है तथा पुलिस बस इस मोबाइल के गुम या चोरी होने के बाद आप किसी कानूनी पचड़े में नहीं पड़े भर से ही सारोकार रखती है जबकि वह अपने थाना क्षेत्र के चोर एवं चोरमंडी की पूरी जानकारी के बाद भी उसको पकड़ने के बजाय ग्राहक/उपभोक्ता को समझा-बुझाकर वापस भेज देती है।अगर हकीकत में पुलिस इस दृष्टिकोण से जांच करती है तो चोर कभी भी कोई इलेक्ट्रॉनिक्स सामान को बहुत अधिक दिनों तक इस्तेमाल करने पर पकड़ा जा सकता हैै।राजधानी पटना का सबसे बड़ा कॉलोनी का थाना कंकड़बाग थाना, पत्रकार नगर, रामृकष्णा नगर और जक्कनपुर थाना क्षेत्र में चोरों का गिरोह काफी सक्रिय है तथा दुकानदार भी आईएमईआई नंबर को बदलकर उसको नया करके बाजार में बेच देते हैं या वहीं चोर उस फोन का इस्तेमाल करता है।सूत्र यहां तक बताते हैं की चोरों के गिरोह के साथ पुलिस की भी मिलीभगत रहती है जिसकी वजह से चोरी गया मोबाइल को भी गुम हो गया का आवेदन लिखवाकर ग्राहक को नया मोबाइल खरीदने का रास्ता बता देती है।अगर चोर एवं चोरी के सामान का बाजार करने वाले गिरोह पुलिस के नेटवर्क से बहुत बड़ा है ? क्या चोर से मजबूत साफ्रटवेयर पुलिस के पास नहीं है ? क्या आईएमईआई नंबर को बदला जा सकता है ? क्या कंपनी अपने मोबाइल सेट के नंo से ट्रेस नहीं कर सकती की उसके उस सेट में कौन सा सिम काम कर रहा है ? क्यों कंपनी आईएमईआई नंबर का हवाला देकर ग्राहकों को गुमराह एवं धोखाधड़ी करके मोबाइल बेच रही है ? सरकार जब मोबाइल की सुरक्षा की गारंटी ही नहीं लेगी तो सीएसटी और जीएसटी क्यों लेती है ? पुलिस विभाग अगर मोबाइल का ट्रेस नहीं कर पाती तो अपराधी को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जायेगा ? हाइटेक संसाधनों से लैश पुलिस अगर मोबाईल को भी ट्रेस करने में विफल होती है तो उपभोक्ता फॉर्म ऐसी नामी-गिरामी कंपनियों को ग्राहकों को गुमराह एवं धोखाधड़ी करने वाली कंपनी के विरूद्ध क्यों नहीं दडात्मक कार्रवाई करती है।गौरतलब है कि दिनांक 19 मई 2019 को समय लगभग 11-20 से 11-50 के बीच में कंकड़बाग थाना के पोस्टल पार्क स्थित काली मंदिर रोड के पास एक पत्रकार के हाथ से मोबाइल निकालकर स्वीच ऑफ कर लिया जाता है।मोबाईल का मॉडल नंo रेडमी मिक्स-2, आईएमईआई नंबर-869033026974486 है। इसकी प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है जिसका कंकड़बाग थाना कांड संख्या-476/2019 है और अनुसंधानकर्त्ता सब इंस्पेक्टर विजय कुमार सिंह को बनाया जाता है।अब देखना है की दारोगा विजय कुमार सिंह इस मोबाईल को खोजकर चोर को सलाखों के पीछे धकेल पाते हैं या चोर पुलिस को मात देने में कामयाब होकर पुलिस विभाग के आई सेल को ठेंगा दिखाने में सफल हो जाता है।सूत्र बताते हैं की चोरों के गिरोह में पटना के कई दुकानदार भी शामिल होते हैं जिसकी वजह से ग्राहकों को बहुत परेशानी होती है।पुलिस की आइटी सेल की लापरवाही की वजह से चोर धड़ल्ले से अपना कारोबार कर रहे हैं और मोबाइल कंपनियों पर भरोसा करके महंगी मोबाइल खरीदने वाले ग्राहक मुंह ताकते रह जाते हैं की आईटी की दुनिया में पुलिस से अधिक हाईटेक चोर हैं और इसको पुलिस विभाग को स्वीकार कर लेना चाहिए की सिर्फ बात बनाने एवं साधारण लोगों को अपमानित करने एवं सनहा दर्ज करने के अलावा पुलिस के हाथ में कुछ भी नहीं है।अगर ऐसे ही पुलिस अनुसंधान करती रही तो चोरों का मनोबल सातवें स्थान पर होगा और आईटी सेल पंगु होने का दंश झेलती रहेगी और आम जनता खुद को ठगा हुआ महशूस करके कंष्ट झेलने को मजबूर हो जायेगी।किसी के एटीएम से बिना कार्ड का पैसा निकाल लेना और एटीएम का सीसीटीवी कैमरा लगे रहने के बाद भी कुछ भी पता नहीं चलना लापरवाही एवं स्थानीय प्रशासन एवं बैक की मिलीभगत होने की संभावना से कैसे इंकार किया जा सकता है।कांड संख्या 476/2019 के आईओ विजय कुमार सिंह की सक्रियता का सवाल है की यह इसे कितना चुनौती पूर्ण लेते हैं।
रिपोर्ट-अमित कुमार गुड्डू