अल्पसंख्यक मुस्लिम किसान के तीनों के तीनों बेटा फौज में शामिल

मोहमद परवेज आलम-आइए आपको मिलवाते हैं एक ऐसे मुस्लिम परिवार से, जो देश सेवा की मिसाल है। इस परिवार के सदस्यों में भारतीय सेना में भर्ती होने का जुनून है। इस बात का अंदाजा इससे लगा सकते हो कि अकेले के इस परिवार से तीनों बेटा फौजी बन चुके हैं। किसका है ये फौजियों वाला परिवार बबुरा, धनकुण्ड, बांका के जिस परिवार के सदस्यों की रगों में देश भत्तिफ़ का ऽून दौड़ रहा है, वो गांव बबुरा के मोहम्मद रियाज का परिवार है। बबुरा गांव के मुस्लिम परिवार में देश सेवा का अनूठा जज्बा, तीनों के तीनों भाई सेना में बांका के गांव बबुरा में एक परिवार में देश सेवा का अटूट जज्बा है। गांव के किसान मोहम्मद रियाज ने अपने तीनों बेटों को सेना में भेजा। प्रस्तुत है मोú परवेज आलम की रिपोर्ट:-
बांका जिला के बबुरा गांव के एक ही परिवार के तीनों के तीनों भाई भारतीय सेना में भर्ती होने का गौरव प्राप्त किया। देश और मातृभूमि की सेवा करने का जुनून किस हद तक इस परिवार के बेटों में भरा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बांका जिला के धोरैया प्रऽंड के अंतर्गत धनकुण्ड थाना के बबुरा गांव के किसान मोú रियाज का परिवार एक मिसाल है। इस परिवार के तीनों बेटा भारतीय सेना में हैं । अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के इस किसान के परिवार में कुल आठ बेटी और तीन बेटा सहित कुल तेरह सदस्य है। सात बेटियों की शादी हो चुकी है। हाल ही में सबसे छोटे पुत्र मोú अजहर महमूद उर्फ चांद ने सेना में भर्ती होकर अपने तीनों भाइयों को सेना में भर्ती होने का क्षेत्र की युवाओं को मिसाल दिया है तथा क्षेत्र के युवाओं को भी देश सेवा हेतु फौज में भर्ती होने हेतु प्रेरित किया है। इस परिवार से सेना में शामिल होने वाले पहले सदस्य मोú परवेज आलम जो सबसे बड़ा बेटा हैं। जिन्होंने सन् 2008 में आर्मी में भर्ती हुए। वह अभी हवलदार के पद पर कार्यरत है। दूसरे पुत्र अशफाक 2012 में आर्मी में भर्ती हुए और अभी नायक के पद पर कार्यरत हैं । तीसरे पुत्र चांद अभी रिक्रयूट के पद पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है । परवेेज ने अपने छोटे भाई मोú अशफाक आलम को प्रेरित कर एनसीसी करवाया और सेना में वर्ष 2012 में भर्ती करवाया। अपने दोनों बड़े भाई से प्रेरित होकर अंततः सबसे छोटा भाई मोú अजहर महमूद उर्फ चांद भी इस वर्ष सेना में शामिल हो गया । बड़ा भाई मोú परवेज आलम बैंगलोर में तथा दूसरा मोú अशफाक आलम हैदराबाद में पदस्थापित हैं एवं सबसे छोटा भाई चांद नासिक में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है। मोú परवेज आलम तेरह वर्षों से एवं अशफाक नौ वर्षों से भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं । तीनों भाई की प्रारंभिक हाई स्कूल तक की शिक्षा लारण उच्च विद्यालय काठवनगांव बबुरा से हुई उसके बाद उच्च स्तर की शिक्षा टी-एन-बी- कॉलेज भागलपुर से करी है। परवेज आलम ने स्नातकोत्तर नालंदा ऽुला विश्वविद्यालय पटना से किया। तीनों भाई का सेना में भर्ती होने की ये तस्वीर क्षेत्र व राज्य के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं । परवेज आलम कहते है कि एक तरफ जहां हमारे समुदाय के कुछेक युवाओं को बहला फुसलाकर असमाजिक व देशद्रोही तत्वों द्वारा गलत रास्तों पर ले जातें हैं वहीं अल्लाह का शुक्र है कि हम तीनों के तीनों भाई को देश सेवा का मौका मिला है। समय आने पर जरूरत पड़ेगा तो देश और मातृभूमि के लिए हम तीनों भाई सर्वाेच्च बलिदान व जान भी देने को तैयार है । परवेज आगे कहते हैं कि गांव व क्षेत्र के युवाओं को विशेषकर इस बात से प्रेरणा मिलेगा और सेना में भर्ती होकर मातृभूमि की सेवा करने का प्रयास करेंगे। लगभग सत्तर वर्षीय वृध्द किसान मोú रियाज तीनों सैन्य पुत्रें के पिता व मां रफिला ऽातुन के जज्बे को सलाम है कि अपने तीनों बेटों को देश सेवा में लगा दिया। मोú रियाज कहते हैं कि अगर उन्हें बेटियों की जगह और भी बेटे होते तो उन्हें भी इसी तरह की देश सेवाओं में लगातें।आगे कहते हैं कि वतन व मातृभूमि से प्यार इस्लाम में ईमान का हिस्सा है। मोहम्मद रियाज किसान हैं । ऽेती बाड़ी करते है , मगर तीनों बेटों को देश सेवा के संस्कार दिए। वे आशा करते हैं कि उसी परम्परा को आगे भी उनके पोता-पोती अनाया, आतिफ व अनस भी बढ़ाऐगे।
फौजी का बेटा फौजी ही बनेगा:- आिऽर आपके परिवार से तीनों बेटा फौजी कैसे या किसान का बेटा फौजी कैसे ? इस सवाल का मोहम्मद रियाज बेहतरीन जवाब देते हैं। कहते हैं कि जैसे अमिताभ बच्चन का बेटा अभिषेक बच्चन भी पिता की तरह अभिनेता ही बना। या फिर किसी डॉक्टर का बेटा डॉक्टर ही बनता है। इसी तरह से हमारे परिवार में भी फौजी बनने की परम्परा आगे भी पोता व पोती द्वारा बड़ी शिद्दत से निभाया जायेगा।
हमें गर्व है इस परिवार पर:- धोरैया के वर्तमान विधायक भूदेव चौधरी बताते हैं कि करीब एक हजार घरों की आबादी वाले इस गांव की जनसंख्या करीब पांच हजार लोग है। इनमें मोहम्मद रियाज का परिवार फौजियों वाला है। गांव के एक ही परिवार से तीनों पुत्रें का फौजी होना हम सबके लिए गर्व की बात है। सनद रहे कि देश को सर्वाधिक फौजी राजस्थान का झुंझुनूं जिला देता है। वहां के घर-घर में फौजी और गांव-गांव में शहीद प्रतिमाएं इस बात का सबूत हैं कि झुंझुनूं के लोग देश सेवा में सबसे आगे हैं।शायद बिहार के बांका जिला का बबुरा गांव में ऐसी लहर चलें आशा की जा रही है।