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किशनगंज : जिले में यक्ष्मा उन्मूलन के लिए निश्चय पोर्टल पर एक दिवशीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन।

निश्चय पोर्टल से प्रशासनिक स्तर पर ऑनलाइन निगरानी, आभा कार्ड जेनरेट करने का निर्देश

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में यक्ष्मा उन्मूलन के लिए निश्चय पोर्टल पर एक दिवशीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सदर अस्पताल परिसर में किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले में टीबी रोग के उन्मूलन को लेकर जिले में किये जा रहे प्रयासों पर विस्तृत चर्चा की गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रशिक्षक सह जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने कहा जिला की वस्तुस्थिति एवं उन्मूलन में आ रही चुनौतियों को लेकर सभी एसटीएस, एसटीएलएस, एलटी को निर्देश दिया कि निश्चय पोर्टल पर प्रतिदिन टेस्ट लिस्ट मॉनिटरिंग करें। साथ ही नियमित रूप से अपडेट भी करते रहें। लापरवाही नहीं बरतने की बात कही गई। जिला के टीबी नोटिफिकेशन में और सुधार करने का निर्देश सभी एसटीएस-एसटीएलएस को दिया। सभी पंजीकृत टीबी रोगियों का घर भ्रमण कर संपर्क में रहने वाले 5 वर्ष तक के बच्चों एवं वयस्कों में टीबी की स्क्रीनिंग करने का निर्देश दिया गया तथा योग्य बच्चों की लाइन लिस्टिंग करवाने का निर्देश दिया गया। वही टीबी के 2017 से 2025 की रणनीति के अनुसार भारत को टीबी मुक्त देश और टीबी से मृत्यु को जीरो करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं प्राइवेट डॉक्टरों से अपील करते हुए डॉ देवेन्द्र कुमार ने कहा कि वैसे मरीज जो उनके पास टीबी के इलाज के लिए आते हैं उन्हें यूएसडीटी, एचआईवी और ब्लड शुगर की जांच कराने सरकारी अस्पताल में जरूर भेजें। वहीं टीबी मरीजों की पहचान करने पर प्राइवेट चिकित्सकों को भी पांच सौ रुपए दिए जाएंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के सभी सीएचओ, लैब टेक्निशियन, एसटीएस, एसटीएलएस मौजूद रहे। सिविल सर्जन डॉ किशोर ने कहा कि टीबी पर प्रभावी नियंत्रण और उन्मूलन के लिए सरकार ने एक नई योजना शुरू की है। इसका उद्देश्य क्षय रोग से मुक्ति पाना है। नई योजना के तहत सारथी के तौर पर निश्चय पोर्टल बनाया गया है। इसके माध्यम से प्रशासनिक स्तर पर ऑनलाइन निगरानी की जा रही है। पोर्टल के माध्यम से टीबी मरीजों और उनके इलाज से संबंधित सूचनाएं और इलाज से स्वास्थ्य में सुधार की जानकारियां दर्ज हो रही हैं । प्रतिदिन पोर्टल अपडेट किया जा रहा है। इसमें सुझाव और शिकायत को लेकर भी सुविधाएं दी गई हैं। जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी एवं यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि जिले में गत वर्ष कुल 1629 यक्ष्मा रोगियों की पहचान की गई है। जिसमें मरीजों की पहचान 1499 सरकारी अस्पतालों में तथा 130 मरीजों की पहचान प्राइवेट अस्पतालों के द्वारा की गई है। जिसे मरीजों को निश्चय योजना का लाभ तथा उपचार के लिए सरकारी अस्पतालों में रेफर किया गया। सभी सरकारी चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत पदाधिकारी एवं कर्मियों का विवरण निश्चय पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी का आभा जेनरेट कर आईडी कार्ड को डीटीसी ग्रुप में शेयर करना है। साथ ही वर्तमान में दवा खा रहे मरीजों को डोनर के माध्यम से राशन सामग्री उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। इसके लिये इच्छुक मरीजों से कॉन्सेप्ट फॉर्म जून माह के अंत तक प्राप्त कर अपलोड कराने का निर्देश दिया गया।

टीबी मरीजों की पहचान होते ही गृह भ्रमण करें:
वही प्रशिक्षक सह जिला कार्यक्रम समन्वयक यक्ष्मा विभाग अभिनाश कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया की यक्ष्मा रोग एक जटिल रोग है। इसे जल्द से जल्द पहचान कर इलाज शुरु किया जाना चाहिए, ताकि दूसरों व्यक्तियों में यह संक्रमित बीमारी न पहुंचे। वहीं बैठक के दौरान सभी एसटीएस को यह भी निर्देश दिया कि यक्ष्मा रोग की पहचान होते ही एसटीएस उसके घर का भ्रमण जरूर करें। गृह भ्रमण के दौरान छह वर्ष तक की उम्र के बच्चों को जेएनएच की गोली देना सुनिश्चित करें। वहीं अगर गृह भ्रमण के दौरान उनके घर के किसी व्यक्ति में भी टीबी के लक्षण पाए जाते हैं तो शीघ्र ही उनके बलगम जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।

एमडीआर-टीबी हो सकता है गंभीर, रहें सतर्क-
जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी एवं यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि एमडीआर-टीबी होने पर सामान्य टीबी की कई दवाएं एक साथ प्रतिरोधी हो जाती हैं। टीबी की दवाओं का सही से कोर्स नहीं करने एवं बिना चिकित्सक की सलाह पर टीबी की दवाएं खाने से ही सामान्यतः एमडीआर-टीबी होने की संभावना है। मरीजो की सुविधा के लिए जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में दावा का भण्डारण किया गया है जिससे मरीजो को दावा प्राप्त करने में आसानी होगी।

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