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किशनगंज : जिले में डायरिया से बचाव को लेकर सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा को ले समन्वय समिति की बैठक आयोजित, आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर करेंगी ओआरएस पैकेट का वितरण

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में मानसून सत्र का आगमन हो गया है। इस दौरान जिले में आगामी 15 जुलाई से 30 जुलाई तक सघन दस्त पखवाड़ा का आयोजन किया जायेगा। इसके लिए जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा समन्वय समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में यूनिसेफ के एसएमसी एजाज अफजल ने पीपीटी माध्यम से बताया की सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का मुख्य उद्देश्य जिले में दस्त के कारण हने वाले शिशु मुर्त्यु का शून्य स्टार प्राप्त करना है साथ ही डायरिया से होने वाले मुर्त्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग द्वारा डायरिया से होने वाले मृतुको टाला जा सकता है। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान अन्तर्विभागीय समन्वय द्वारा दस्त के उपायों, दस्त होने पर ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग, दस्त के दौरान उचित पोषण तथा समुचित इलाज के पहलुओ पर क्रियान्वयन किया जान है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह नोडल पदाधिकारी ने कार्यशाला के दौरान बताया की मानसून सत्र के दौरान सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन कराने का निर्देश प्राप्त हुआ है। जिसे हर हाल में सफल बनाने को लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक और जरूरी निर्देश दिए गए हैं। साथ ही अपने-अपने स्तर से एक्शन प्लान तैयार कर उक्त पखवाड़ा के सफल संचालन के लिए सारी तैयारियाँ पूरी करने को कहा गया है। ताकि हर हाल में निर्धारित समय पर पखवाड़े का शुभारंभ और सफलतापूर्वक समापन सुनिश्चित हो सके। वहीं, उन्होंने बताया, मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। जिसके कारण जहाँ सर्दी-खाँसी, जुकाम समेत अन्य मौसमी बीमारी आम हो गई है। वहीं, इसके साथ डायरिया की भी संभावना बढ़ गई है। ऐसे में हमें विशेष सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। डायरिया से बचाव को लिए लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। दरअसल, बदलते मौसम में डायरिया के प्रकोप में आने का प्रबल संभावना हो जाती है। जिसके दायरे में कोई भी यानी सभी आयु वर्ग के लोग आ सकता है। डायरिया के कारण अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएँ बढ़ जाती है और उचित प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो जाता है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ मुनाजिम ने बताया की टट्टी (पैखाना) की अवस्था बदलाव या सामान्य से ज्यादा बार, ज्यादा पतला या पानी जैसी होने वाली टट्टी ही डायरिया (दस्त) का पहला लक्षण है। इसके अलावा बच्चा बेचैन व चिड़चिड़ा है, अथवा सुस्त या बेहोश है। बच्चे की ऑखें डाउन हो रही हैं। बच्चे को बहुत ज्यादा प्यास लगना अथवा पानी ना पाना। चिकोटी काटने पर पेट के बगल की त्वचा खींचने पर धीरे-धीरे पूर्वावस्था में आना अर्थात त्वचा के ललीचेपन में कमी आना आदि डायरिया का ही कारण और लक्षण है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की डायरिया होने पर लगातार 14 दिनों तक जिंक का सेवन करें। 02 माह से 06 माह तक के बच्चों को जिंक की 1/2 गोली 10 मि०ग्रा० पानी में घोलकर या माँ के दूध के साथ घोलकर चम्मच से पिलाएं। 06 माह से 05 साल के बच्चों को एक गोली साफ पानी के साथ माँ के दूध में घोलकर पिलाएं। जबकि, दो माह से कम आयु के बच्चों को 05 चम्मच ओआरएस प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं। 02 माह से 02 वर्ष तक बच्चे को 1/4 ग्लास से 1/2 ग्लास प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं। 02 से 05 वर्ष तक के बच्चों को 1/2 से ग्लास प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं। जिंक सेवन से दस्त और तीव्रता दोनों कम होता है। तीन महीने तक दस्त का खतरा नहीं के बराबर रहता है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जबकि, ओआरएस से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है एवं दस्त के खतरे से बचाव करता है। बदलते मौसम में ना सिर्फ मौसमी बीमारी का आशंका रहती है। बल्कि, डायरिया समेत अन्य बीमारियों की भी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की जरूरत है और खानपान का विशेष ख्याल रखना चाहिए। पौष्टिक आहार का सेवन पर बल देना चाहिए। क्योंकि, पोषण युक्त खाना संक्रामक और मौसमी बीमारियों से बचाव में काफी हद तक सहयोग करता है।

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