भारत देश में अनेकों प्राचीन मंदिर है।हर मंदिर के निर्माण से जुडी अपनी एक कहानी है। इनमे से अनेक कहानियां ऐसी है जो हैरान करने वाली है।आज हम आपको ऐसे ही 5 भव्य मंदिरों के निर्माण की कहानी बता रहे है।इनके बारे में मान्यता है की इनका निर्माण एक ही रात में हुआ था।लेकिन,इन मंदिरों को देखने के बाद इस बात पर विश्वास कर पाना बड़ा मुश्किल होता है क्योंकि ये मंदिर इतने विशाल हैं कि इस तरह के मंदिर बनवाने शुरू करें तो वर्षों लग जाएंगे।लेकिन कथाएं और मान्यताएं तो यही कहती हैं कि एक चमत्कार की तरह यह मंदिर रातभर में बनकर तैयार हो गए।उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में एक शिव मंदिर स्थापित है,जिसका नाम है हथिया देवाल।इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि एक हाथ वाले शिल्पकार ने एक रात में ही इस मंदिर का निर्माण कर दिया था।रात्रि में शीघ्रता से बनाये जाने के कारण शिवलिंग का अरघा विपरीत दिशा में बना दिया गया था।बस इसी के चलते रातो रात स्थापित हुये इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती।
यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, भगवान भोलेनाथ का दर्शन करते हैं,मंदिर की अनूठी स्थापत्य कला को निहारते हैं और पुनः अपने घरों को लौट जाते हैं। यहां भगवान की पूजा नहीं की जाती।मध्यप्रदेश के मुरैना जिला से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर एक प्राचीन शिव मंदिर है ककनमठ।कच्छवाहा वंश के राजा कीर्ति सिंह के शासन काल में बने इस मंदिर को लेकर एक किंवदंती है कि यह मंदिर एक रात में बना है जिसका निर्माण भोलेनाथ के गण यानी भूतों ने किया है।इस मंदिर में एक कमाल की बात यह भी है कि इसके निर्माण में गाड़े या चूने का प्रयोग नहीं है।पत्थरों पर पत्थर इस तरह रखे गए हैं कि उनके बीच संतुलन बना हुआ है और आंधी तूफान भी इसे हिला नहीं सकते।भगवान श्री कृष्ण की लीला
स्थली वृंदावन में गोविंद देव जी का मंदिर है।इस मंदिर के निर्माण की कथा भी कृष्ण की लीला की तरह अद्भुत है।कहते हैं कि यह मंदिर एक रात में बनकर तैयार हुआ है।इस मंदिर को करीब से देखने पर अधूरा सा लगता है।कहते हैं कि भूतों ने या दिव्य शक्तियों ने पूरी रात में इस मंदिर को तैयार किया है।सुबह होने से पहले ही किसी ने चक्की चलानी शुरु कर दी जिसकी आवाज से मंदिर का निर्माण करने वाले काम पूरा किए बिना चले गए।भोजपुर मध्य प्रदेश कि राजधानी भोपाल से 32 किलो मीटर दूर स्तिथ है।भोजपुर से लगती हुई पहाड़ी पर एक विशाल,अधूरा शिव मंदिर हैं।यह भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं।भोजपुर तथा इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई०–1055 ई०) द्वारा किया गया था।इसका निर्माण अधूरा क्यों रखा गया इस बात का इतिहास में कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है पर ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में निर्मित होना था परन्तु छत का काम पूरा होने के पहले ही सुबह हो गई,इसलिए काम अधूरा रह गया।इस मंदिर
कि विशेषता इसका विशाल शिवलिंग हैं जो कि विश्व का एक ही पत्थर से निर्मित सबसे बड़ा शिवलिंग हैं।सम्पूर्ण शिवलिंग कि लम्बाई 5.5 मीटर (18 फीट) व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट) तथा केवल लिंग कि लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट) है।
अपना देश भारत एकमात्र ऐसा देश हैं जहां पर हर वस्तु और हर जगह आश्चर्य और चमत्कार से भरी हुई है।इस देश के हर राज्य के हर शहर के कोने-कोने में कोई न कोई अदुभुत जगह मौजूद है।ऐसी ही एक जगह है भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर जो की अपनी एक अनोखी विशेषता के कारण प्रसिद्ध है।इस मंदिर की विशेषता यह है की यह मंदिर बारिश होने की सुचना 7 दिन पहले ही दे देता है। तो आईये जानते हैं इसका रहस्य और विशेषता।यह मंदिर भगवान जगन्नाथ का मंदिर है।यह मंदिर कानपुर जनपद के भीतरगांव विकासखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर पर बेंहटा गांव में स्थित है।ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की खासियत यह है कि बरसात से 7 दिन पहले इसकी छत से बारिश की कुछ बूंदे अपने आप ही टपकने लगती है हालांकि इस रहस्य को जानने के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं पर तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी मंदिर के निर्माण तथा रहस्य का सही समय पुरातत्व वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके।बस इतना ही पता लग पाया कि मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था।उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया जैसी जानकारियां आज भी अबूझ पहेली बनी हुई हैं,लेकिन बारिश की जानकारी पहले से लग जाने से किसानों को जरूर सहायता मिलती है।