किशनगंज : संभावित बाढ़ प्रभावित इलाकों में किया जाएगा मेडिकल कैंप आयोजित, जरूरी दवाओं का किया जाएगा वितरण

प्रभावित प्रखंडों में मेडिकल कैंप के संचालन को लेकर गठित किये गये हैं विशेष टीम, संभावित संक्रमण के खतरों से निपटने के लिये ब्लीचिंग पाउडर व चूना का होगा छिड़काव।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले भारी बारिश के कारण जिले में बाढ़ का संकट गहरा चुका है। दो दर्जन से अधिक पंचायत इससे प्रभावित हैं। जहां आम जनजीवन पर इसका व्यापक असर देखा जा सकता है। रिहायशी इलाकों में जलजमाव की वजह से जलजनित बीमारी व संक्रामक रोगों का खतरा काफी बढ़ गया है। इस पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर इन इलाकों में स्वास्थ्य विभाग ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के आदेश के आलोक में सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर के दिशा निर्देश पर प्रभावित इलाकों में नियमित रूप से मेडिकल कैंप आयोजित किये जाने को ले टीम का गठन किया जा चुका हैं। प्रभावित लोगों के बीच ओआरएस, जिंक सहित संबंधित अन्य दवाएं वितरित की जाने की योजना हैं। वहीं वैसे इलाके जहां बाढ़ का पानी उतर रहा है। उन इलाकों में संक्रामक रोग के खतरों को कम करने के लिये ब्लीचिंग पाउडर व चूना का छिड़काव किया जा रहा है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने शनिवार को जानकारी देते हुए बताया कि संभावित बाढ़ के खतरों को देखते जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के निर्देश पर पूर्व में ही सभी जरूरी तैयारियां की गयी हैं। प्रभावित इलाकों में बेहतर चिकित्सकीय सेवा बहाल किये जाने को लेकर अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। नियमित रूप से इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। जरूरी 23 तरह की दवाएं सभी बाढ़ ग्रसित सभी पीएचसी में उपलब्ध हैं। आशा व एएनएम की मदद से संबंधित क्षेत्र में प्रसव पीड़िता, गंभीर रोग से ग्रसित मरीज, बुजुर्ग जिन्हें विशेष चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत है उन्हें चिह्नित किया गया है।अधिकारियों को हर हाल में उन तक जरूरी चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों तक जरूरी चिकित्सकीय सुविधाओं की उपलब्धता बनाये रखने के लिए जिले में विशेष चिकित्सकीय टीम का गठन किया गया है। जानकारी देते हुए सिविल सर्जन ने कहा कि बाढ़ प्रभावित सभी प्रखंडों के सभी स्थानों पर विशेष मेडिकल कैंप आयोजित किये जाने की जानकारी उन्होंने दी। उन्होंने बताया कि आवश्यक पड़ने पर टीम की संख्या बढ़ायी जा सकती है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में डायरिया, चिकनगुनिया, डेंगू, टायफाइड, गैस्ट्रोइंट्रोटाइटिस, मलेरिया, नेत्र व चर्मरोग जैसी बीमारियों का खतरा अधिक होता है। इससे बचाव को लेकर लोगों को विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है। इसके लिये जरूरी है कि पानी हमेशा उबाल कर पीयें, गर्म व ताजा भोजन का उपयोग करें, पेयजल को शुद्ध बनाने के लिये क्लोरिन का इस्तेमाल करें। जहां तक संभव हो सके गीले कपड़ों से परहेज करें।