मकर संक्रांति के दिन एनआइटी घाट के समीप हुई नौका दुर्घटना की जांच को ले आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत के नेतृत्व में गठित जांच टीम ने मंगलवार को पतंगोत्सव स्थल का निरीक्षण किया।बाद में जांच टीम ने इनलैंड वाटरवेज ऑथिरिटी (आइडब्ल्यूए) के अधिकारियों से भी बातचीत की।इसके अलावा पंतगोत्सव के आयोजन से संबंधित दस्तावेजों की भी पड़ताल की गई।जांच टीम ने स्थल निरीक्षण के क्रम में यह देखा कि जिस जगह लोगों को पतंगोत्सव में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था वह जगह आयोजन के लिए मुफीद थी या नहीं।आयोजकों ने खुद स्थल निरीक्षण किया था या नहीं।जांच कमेटी ने वैसे तो शनिवार से ही अपनी जांच शुरू कर दी थी पर सोमवार को जांच कमेटी गठित किए जाने की अधिसूचना के बाद अब सब कुछ ऑन रिकार्ड चल रहा है।पंतगोत्सव के स्थल निरीक्षण के क्रम में जांच कमेटी ने वहां मौजूद कुछ लोगों से बातचीत भी की।आयोजन के दौरान डयूटी पर रहे दंडाधिकारियों व पुलिस अधिकारियों के बयान भी रिकार्ड होंगे।आम लोगों से बातचीत के लिए जांच कमेटी लोगों को एक तय तारीख पर आमंत्रित कर सकती है।स्थल निरीक्षण के बाद शाम में जांच कमेटी आइडब्ल्यूए के दफ्तर गयी।
आइडब्ल्यूए के स्टीमर को पंतगोत्सव में गए पर्यटकों को लाने के काम में लगाया गया था।जांच का बिंदु यह है कि उन्हें आयोजकों की ओर से किस तरह का निर्देश था।स्टीमर को आखिर रोक क्यों दिया गया और इस बारे में संबंधित अधिकारियों को सूचित किया गया या नहीं।प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण हुआ हादसा,प्रशासनिक अव्यवस्था और लोगों का अति उत्साह मकर संक्रांति पर बड़े हादसे का कारण बन गया।मकर संक्रांति पर पर्यटन विभाग ने पतंगोत्सव का आयोजन किया था।मुफ्त में पतंगें बांटी जा रही थीं।घाट पर काफी भीड़ थी।पतंग लेने की होड़ में पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा।वहीं,गंगा पार कर दियारा जानेवालों की भी लंबी कतार लगी थी।निजी नावों पर क्षमता से अधिक लोगों को ढोया जा रहा था।विभागीय स्तर पर एक स्टीमर की व्यवस्था की गई थी,जो पर्याप्त नहीं थी।बड़े हादसे से फिर गम में डूबा एक त्योहार पटना छठ,दशहरा और अब मकर संक्रांति।यह त्योहार भी मौतों के नाम हो गया।प्रकाशोत्सव के शानदार आयोजन के बाद प्रशंसा बटोर रहे जिला प्रशासन ने फिर वही लापरवाही दिखाई,जो 2012 और 2014 में हुई थी।पटना में 2012 में छठ के दौरान भगदड़ हुई थी।2014 में दशहरा के समय भी।अतीत के हादसों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने तैयारी की होती तो शायद 21 जिंदगियां गंगा की धारा में दम नहीं तोड़तीं। कहां तो पतंगोत्सव की तैयारी थी और शाम होते-होते गिनती होने लगी लाशों की।उन परिवारों के लिए तो मकर संक्रांति अब हर साल काले दिन के रूप में दर्ज हो ही गया,बिहार के लिए भी।घटना-दुर्घटना पर किसी का नियंत्रण नहीं,पर संभावित परिस्थितियों को नजरअंदाज कर दिया जाए तो इसे लापरवाही कहते हैं।पटना में यही हुआ।प्रकाश पर्व जैसा सफल आयोजन करने वाला प्रशासन यहां चूक कैसे गया ? सवाल उठना स्वाभाविक है।इस दुर्घटना ने तो दियारा में पर्यटन की संभावना की तलाश के पहले कदम पर ही जख्म दे दिया।वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने घटना पर शोक जताया है।मुख्यमंत्री ने घटना के जांच के आदेश दिए हैं।कहा कि सभी मृतकों के आश्रितों को अविलंब चार-चार लाख अनुग्रह राशि का भुगतान करें।मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत,पटना के डीआइजी व डीएम,पटना संजय अग्रवाल को राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया।घटना की पूरी जांच होगी। पटना के गांधी घाट के पास गंगा में शनिवार शाम नाव डूबने से 21 लोगों की मौत हो गई।नाव पर 100 से अधिक लोग सवार थे।मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है।मकर संक्रांति पर पटना शहर के सबलपुर दियारा में पतंगोत्सव और पिकनिक में शामिल होकर लौट रहे लोगों की नाव घाट के पास आते-आते पलट गई।घाट पर न तो सुरक्षा के इंतजाम थे, न ही बचाव के।आधे घंटे के बाद बचाव कार्य शुरू हो पाया।घाट से पीएमसीएच तक अफरातफरी मची।मरनेवालों की संख्या देर रात तक बढ़ती रही।नाव पर सौ से अधिक लोगों के सवार थे।पहले तो अफरातफरी रही।फिर बचाव कार्य शुरू हुआ।एनडीआरएफ की टीम ने गंगा से 50 से अधिक लोगों को निकाला।भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि सरकारी तंत्र की अकर्मण्यता के कारण गंगा में नाव हुई है।यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है।इससे पहले पटना में ही छठ पर्व और दशहरा में हुई ओं से भी राज्य सरकार ने सबक नहीं लिया।त्योहार पर तीसरा हादसा 2012 में पटना में ही छठ के दौरान भगदड़ में 18 लोग मरे थे। 2014 में दशहरा के दौरान गांधी मैदान में भी भगदड़ मची थी,जिसमें 33 लोग मारे गए थे।मकर संक्रांति पर हादसा तीसरी बड़ी घटना है।