अस्तपताल प्रसाशन की लापरवाही से गई यूवक की जान,बीन देखे डाक्टर ने यूवक को कर दिया था मृत घोषित…..
इलाज के दौरान युवक की मौत पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बहादुरगंज में आक्रोशित लोगों ने जमकर बवाल काटा व तोड़-फोड़ की। परिजनों व आक्रोशित लोगों ने आगजनी भी की। बवाल काट रहे उग्र लोगों का सीधा आरोप था कि समुचित इलाज किए बगैर बिजली का करंट लगे युवक को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। हालांकि सिविल सर्जन डॉ परशुराम प्रसाद ने पीएचसी में डाक्टरों के द्वारा लापरवाही बरतने से इंकार करते हुए कहा कि युवक को नाजुक स्थिति में भर्ती कराया गया था।इलाज के दौरान मरीज ने दम तोड़ दिया।जीवित को मृत घोषित करने की बात सरासर गलत है।जानकारी के अनुसार घटना नप क्षेत्र के वार्ड संख्या 11 से जुड़ा हुआ है।बुधवार को वार्ड संख्या सात निवासी वरुण कुमार दास का 22 वर्षीय पुत्र गोबिंद कुमार एक शिक्षक के घर ग्रिल की रंगाई कर रहा था इसी दौरान वो अचनाक बिजली के चपेट में आ गया।घर वालों द्वारा हो-हल्ला करने पर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे व घायल युवक को आनन फानन में तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया।परिजनों का आरोप था कि डॉक्टरों ने घायल गोबिंद को मृत घोषित कर दिया। निराश हतोत्साहित परिजनों ने रोते-रोते पीड़ित युवक को लेकर जब अस्पताल से बाहर निकल रहा था।इतने में पीड़ित लड़के में हरकत आने लगी।इतना में आक्रोशित लोगों ने डॉक्टरो की लाहपरवाही के विरोध नारेबाजी करते हुए अस्पताल में तोड़ फोड़ करना शुरू कर दिया एवं मौके पर ही प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.सोहेल अहमद खान की प्लसर मोटर साइकिल आग के हवाले कर दिया।वहीं मौके पर अस्पताल की कुर्सी,टेबुल,खिड़की,किवाड़,कंप्यूटर सहित का तोड़ फोड़ करते हुए आक्रोशित लोगों ने बहादुरगंज दिघलबैंक सड़क को घंटों जामकर दिया एवं अस्पताल व्यवस्था के विरोध में जमकर नारेबाजी की।उधर सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस प्रशासन घटना स्थल पर पहुंचकर जामकर रहे आक्रोशित लोगों को किसी तरह समझा-बुझा जाम को तोड़वाया।युवक के शरीर में हरकत को देख हुए परिजनों ने बेहतर इलाज के लिए किशनगंज ले जाने लगे,लेकिन पीएचसी से बाहर निकलते ही महज कुछ ही क्षण बाद युवक की सांसें थम गई।केवल सच ने जब इसका गहराई में जाकर पता किया तो पता चला की डाक्टर ने बिन देखे ही मृत घोषित कर दिया ।किन्तु यूवक उस समय जीवित था ।कुछ ही देर बाद यूवक उठ बैठा और तीन ग्लास दूध भी पिया,कुछ देर बाद यूवक की मृतु हो गया ।आम लोगो का कहना था की अगर उस वक्त डाक्टर मरीज को ठीक से देख लेते तो आज ये मरीज जीवित होता ।इसमें डाक्टर की लापरवाही से यूवक का जान गया है ।एक और गौर करने वाली बात यही है की प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बहादुरगंज में एक दो डाक्टर है वो अपना निजी क्लिनिक चलाते है और उसी में व्यस्थ रहते है हॉस्पिटल से कोई लेना देना नहीं है अगर कोई जांच या जिले के वरीय अधिकारी का दौरा होता है तो ये लोग मुस्तैद रहते है ।ऐसे इनका दर्शन पाना,नाक से लोहे का चना चवाने के बराबर है ।यहाँ तक की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.सोहेल अहमद खान ने भी बीन देखे यूवक को मृत घोषित कर दिया था किन्तु उस वक्त यूवक जीवित था…..।।
बहादुरगंज प्रार्थमिक स्वास्थ्य केंद्र में उस समय लोगों ने जमकर बवाल काटा एवं तोड़-फोड़ के साथ आगजनी किया।जब डॉक्टरों ने एक करंट लगे युवक को बिना इलाज के ही मृत घोषित कर दिया,जबकि युवक वास्तव में जीवित था,घटना नगर पंचायत वार्ड नंबर 11 की है जब वार्ड नंबर-7 निवासी वरुण दास का 22 वर्षीय पुत्र गोविन्द कुमार एक शिक्षक के घर पर ग्रिल पेंट कर रहा था तभी बिजली करेंट की चपेट में आ गया,आनन-फानन में लोगों ने बहादुरगंज अस्पताल ले गया जहां मौजूद डॉ.ने मरीज को मृत घोषित कर दिया।निराश होकर जब परिजन मृत को अस्पताल से बाहर लाये तभी मृत युवक के शरीर में हरकत देखा।बस क्या था डॉक्टरों की लापरवाही के मद्देनजर लोग आक्रोशित हो उठे एवं अस्पताल में तोड़ फोड़ करना शुरू कर दिया।मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सोहेल अहमद खान की पल्सर बाइक को आग के हवाले कर दिया एवं अस्पताल के कंप्यूटर,कुर्सी,टेबुल,खिड़की-कबाड़ सहित अन्य सामानों को क्षतिग्रस्त कर दिया।मामले के तहत लोगों ने बहादुरगंज-दिघलबैंक रोड को घंटों जामकर दिया एवं जमकर नारेबाजी की।आक्रोशित लोगों को शांत करने के लिए पुलिस प्रशासन को घंटों मशक्कत करनी पड़ी।कभी-कभी भीड़ को नियंत्रित करने के लिये पुलिस को लाठी भी भांजनी पड़ी।मौके पर एसडीओ मो.शफीक बीडीओ शशि भूषण सुमन, इंस्पेक्टर रणधीर सिंह,थानाध्यक्ष आफताब अहमद, सीओ सहदुल हक़ सहित अन्य अधिकारी लोगों को शांत करने में लगे रहे।एसडीएम मो.शफीक द्वारा दोषी डाक्टर पर कारवाई करने का आश्वासन देने के बाद लोगों ने जाम हटाया।वही बहादुरगंज पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए किशनगंज भेज दिया है ।
रिपोर्ट:-धर्मेन्द्र सिंह