शराब मिलने पर सिर्फ थानेदार हीं दोषी क्यों बल्कि वरीय अधिकारियों पर भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए:-बिहार पुलिस एसोसिएशन (अध्यक्ष) मृत्युंजय कुमार सिंह ।

जब प्रशंसनीय कार्य में वीरता पदक वरीय अधिकारी लेते हैं तो फिर शराबबंदी में भी तो जवाबदेही तय होनी चाहिए।
गृह विभाग ने सारी जवाबदेही कनीय अधिकारी यानी दारोगा और इंस्पेक्टर पर तय कर दी है जो नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है।
बिहार पुलिस एसोसिएशन (अध्यक्ष) मृत्युंजय कुमार सिंह।
पटना नीतीश सरकार के फरमान पर बिहार पुलिस एसोसिएशन ने सवाल उठा दिया हैं।एसोसिएशन ने कहा है कि शराब मिलने पर सिर्फ थानेदार हीं दोषी क्यों बल्कि वरीय अधिकारियों पर भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।जब प्रशंसनीय कार्य में वीरता पदक वरीय अधिकारी लेते हैं तो फिर शराबबंदी में भी तो जवाबदेही तय होनी चाहिए।शराब मिलने पर सिर्फ थानेदार को हीं जिम्मेदार नहीं बल्कि उसके वरीय अधिकारी यानि डीएसपी-एसपी पर भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने आज इस मुद्दे को बिहार के डीजीपी के समक्ष उठाया है।साथ हीं मांग किया है कि गृह विभाग की तरफ से जारी किए गए इस आदेश से पुलिस कर्मियों में क्षोभ है।एसोसिएशन ने सवाल उठाया कि सभी पदाधिकारियों के पदस्थापन में एक मापदंड अपनाई जानी चाहिए।लेकिन गृह विभाग ने सारी जवाबदेही कनीय अधिकारी यानी दारोगा और इंस्पेक्टर पर तय कर दी है जो नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है।आपको मालूम हो कि दरअसल बिहार सरकार ने थानाध्यक्षों के लिए अहर्ता तय कर दिया है।गृह विभाग ने इस संबंध में अपना आदेश जारी कर दिया है।थानाध्यक्ष एवं अंचल पुलिस निरीक्षक पद पर पदस्थापन के लिए विशेष अहर्ता जरूरी है।सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि यह आवश्यक है कि स्वच्छ सेवा वाले अधिकारी हीं इस पद पर पदस्थापित किए जायें।गृह विभाग ने अपने संकल्प में बताया है कि किसी थानाध्यक्ष के क्षेत्र अंतर्गत शराब निर्माण, बिक्री, परिचालन, अथवा उपभोग में उसकी शिकायत या संलिप्तता की बात प्रकाश में आती है या क्षेत्र अंतर्गत मद्ध निषेध में उनके स्तर से कर्तव्यहीनता बरती जाती है तो उक्त पुलिस पदाधिकारी को अगले 10 सालों तक थानाध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा।इसी आदेश से पुलिस एसोसिएशन गुस्से में है और डीजीपी से मिलकर इसे बदलने की मांग कर दी है।