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भ्रामक सूचना के चलते बिहार सरकार की हुई किरकिरी…

मुजफ्फरपुर 14-04-2019 को दैनिक समाचार पत्रों यथा हिंदुस्तान में प्रकाशित समाचार शिर्षक-बन्दी माँ-बेटी के यौन उत्पीड़न में फंसे जेल अधीक्षक”एव दैनिक अखबार में प्रकाशित शिर्षक-मुजफ्फरपुर जेल में कराया जाता है यौन शौषण” की खबरों को मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित/प्रसारित किया गया था।उक्त मामलो की जांच जिला पदाधिकारी, मुजफ्फरपुर से कराई गई।जिला पदाधिकारी  मुजफ्फरपुर द्वारा पाँच सदस्यीय जिलास्तरीय आंतरिक समिति का गठन किया गया था।जिलास्तरीय आंतरिक समिति ने अपनी जांच में उक्त आरोपों को बेबुनियाद पाया है।उक्त जाँच प्रतिबेदन से परिलक्षित होता है कि आरोप पत्र में अंकित परिबाद का बिंदु यधपि मंजू देवी एव काजल कुमारी के बिषय में है, परन्तु उपलब्ध साक्ष्यो एव लिए गए फर्द बयानों से प्रतीत होता है कि आरोपी पत्र मंजू देवी द्वारा दिया ही नही गया है।मंजू देवी द्वारा अपने बयान में स्प्ष्ट रूप से ऐसी किसी घटना, शिकायत या आवेेदन देने से स्पष्ट इंकार किया गया है।परिबाद में अंकित शोषन के सम्बंध में लगाये गए आरोप भी प्रथम दृष्टया भ्रामक प्रमाणित होते नज़र आये है।पूरे घटना कर्म से साबित होता है की दुर्भाबना से ग्रसित होकर किसी अन्य ब्यक्ति द्वारा मंजू देवी का नाम इस्तेमाल करते हुए इस प्रकार का परिवाद विभन्न स्तरों पर प्रेषित किया गया हैं।जाँच दल द्वारा पाया गया हैं कि पूर्व में कारा में संसीमित मंजू देवी का हस्ताक्षर पूरी तरह से भिन्न प्रतीत होता है।इसी आधार पर परिबाद पत्र पर अंकित तथाकथित आवेदिका मंजू देवी का हस्ताक्षर पूरी तर्ज से भिन्न प्रतीत होता है।इसी आधार पर परिवाद पत्र को झूठा एव छदमनामी तथा पाँच सदस्यीय जाच समिति द्वारा परिवाद पत्र में उलेखित तथ्यों को भी बेबुनियाद एव मंगठन्त पाया गया है।उलेखनीय है कि ऐसे भ्रामक एव झूठे आरोपो से कारा प्रसासन तथा कारा कर्मियों के मनोबल को चोट पहुचाने की सुनियोजित कोर्सिस की गई हैं।जाँच से अंततः पता चला है कि उपरोक्त असत्य एवं दुर्भाबना से प्रेरित होकर किसी साज़िश के तहत लगाए गए हैं।इसलिए जिला स्तरीय जांच समिति के जाच प्रतिवेदन दिनांक 14-04-2019 को दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का कारा प्रसासन द्वारा खण्डन किया गया है।

रिपोर्ट-श्रीधर पांडे

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