किशनगंज : जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में विश्व यक्ष्मा दिवस पर आज कार्यशाला का किया जायेगा आयोजन।

टीबी के नए मरीजों की खोज और उपचार पर दिया जा रहा जोर, प्राइवेट चिकित्सक को नए मरीज खोजने पर मिलेंगे 500 रुपए।
- एमडीआर-टीबी हो सकता है गंभीर, रहें सतर्क।
- निश्चय पोर्टल से मरीजों की जा रही निगरानी।
- गत वर्ष में कुल 1629 रोगियों की हुई पहचान।
- निश्चय पोर्टल से प्रशासनिक स्तर पर ऑनलाइन निगरानी।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, विश्व यक्ष्मा दिवस 24 मार्च को मनाया जाता है। इस अवसर पर जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में विश्व यक्ष्मा दिवस पर आज कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। सीडीओ डॉ देवेन्द्र कुमार ने कहा की टीबी से जिले और देश को 2025 मुक्त बनाने के लिए नए टीबी रोगियों की खोज और उनके तुरंत उपचार को प्राथमिकता दी जा रही है। भारत सरकार का लक्ष्य है कि पूरे देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है। जिसके लिए टीबी हारेगा, देश जीतेगा का नारा भी दिया गया है। उन्होंने कहा प्राइवेट और सरकारी चिकित्सक मिलकर टीबी रोगियों की खोज कर उसे सरकारी अस्पताल में इलाज एवं जांच के लिए प्रेरित करें। पीपीटी के माध्यम से प्राइवेट प्रैक्टिशनर को जिले मे टीबी कार्यक्रम की पूर्ण जानकारी के साथ वस्तुस्थिति से भी अवगत कराया गया है। कहा कि टीबी के 2017 से 2025 की रणनीति के अनुसार भारत को टीबी मुक्त देश और टीबी से मृत्यु को जीरो करने का लक्ष्य रखा गया है वही प्राइवेट डॉक्टरों से अपील करते हुए डॉ देवेन्द्र कुमार ने कहा कि वैसे मरीज जो उनके पास टीबी के इलाज के लिए आते हैं उन्हें यूएसडीटी, एचआईवी और ब्लड शुगर की जांच कराने सरकारी अस्पताल में जरूर भेजें।
वहीं टीबी मरीजों की पहचान करने पर प्राइवेट चिकित्सकों को भी पांच सौ रुपए दिए जाएगें। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि टीबी को हराने के लिए सबसे पहले हमारे समाज को आगे आने की जरूरत है। वहीं गरीबी और कुपोषण टीबी के सबसे बड़े कारक हैं। इसके बाद अत्यधिक भीड़, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी, डायबिटीज, एचआईवी, धूम्रपान भी टीबी के कारण होते हैं। टीबी मुक्त करने के लिए सक्रिय रोगियों की खोज, प्राइवेट चिकित्सकों की सहभागिता, मल्टीसेक्टरल रिस्पांस, टीबी की दवाओं के साथ वैसे समुदाय के बीच भी पहुंच बनानी होगी जहां अभी तक लोगों का ध्यान नहीं जा पाया है। सिविल सर्जन डॉ किशोर ने कहा कि टीबी पर प्रभावी नियंत्रण और उन्मूलन के लिए सरकार ने एक नई योजना लागू की है। इसका उद्देश्य क्षय रोग से मुक्ति पाना है। नई योजना के तहत सारथी के तौर पर निश्चय पोर्टल बनाया गया है। इसके माध्यम से प्रशासनिक स्तर पर ऑनलाइन निगरानी की जा रही है। पोर्टल के माध्यम से टीबी मरीजों और उनके इलाज से संबंधित सूचनाएं और इलाज से स्वास्थ्य में सुधार की जानकारियां दर्ज हो रही हैं।
प्रतिदिन पोर्टल अपडेट किया जा रहा है। इसमें सुझाव और शिकायत को लेकर भी सुविधाएं दी गई हैं। गत वर्ष में कुल 1629 रोगियों की हुई पहचान – जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी एवं यक्ष्मा नियंत्रण डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि जिले में गत वर्ष कुल 1629 यक्ष्मा रोगियों की पहचान की गई है। जिसमें मरीजों की पहचान 1499 सरकारी अस्पतालों में तथा 130 मरीजों की पहचान प्राइवेट अस्पतालों के द्वारा की गई है। जिसे मरीजों को निश्चय योजना का लाभ तथा उपचार के लिए सरकारी अस्पतालों में रेफर किया गया। जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी एवं यक्ष्मा नियंत्रण डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि एमडीआर-टीबी होने पर सामान्य टीबी की कई दवाएं एक साथ प्रतिरोधी हो जाती हैं। टीबी की दवाओं का सही से कोर्स नहीं करने एवं बिना चिकित्सक की सलाह पर टीबी की दवाएं खाने से ही सामान्यतः एमडीआर-टीबी होने की संभावना है।