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किशनगंज : आईपीएस कुमार आशीष के प्रयास से 54 देशों में फैल रही है छठ की गूंज

आस्था का महापर्व छठ की महिमा निराली है। ये त्यौहार सदियों से बिहारवासियों के मन में अपनी मिटटी और संस्कृति के प्रति लगाव और महान आस्था का संगम है।

यह पर्व उन तमाम बिहारवासियों के लिए और खास हो जाता है जो इस वक्त देश-विदेश के किसी और हिस्से में होते हैं। ऐसी ही कुछ निराली बात बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी कुमार आशीष के साथ सन 2006-2007 में यहां से 9000 किलोमीटर दूर फ्रांस में हुई थी।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, बिहार के जमुई जिला के सिकंदरा के निवासी आईपीएस ऑफिसर कुमार आशीष के अनुसार 14 साल पहले जब वो फ्रांस में स्टडी टूर पर गए थे। तब वहां एक संगोष्ठी में कुछ फ्रेंच लोगों ने उनसे बिहार के बारे में कुछ रोचक और अनूठा बताने को कहा तो उन्होंने बिहार के महापर्व छठ के बारे में विस्तार से उनलोगों को समझाया।फ्रेंच लोग इससे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कहा कि इस विषय पर फ्रांस के साथ फ्रेंच बोलने-समझने वाले अन्य 54 देशों तक भी इस पर्व की महत्ता और पावन संदेश पहुंचाना चाहिए। स्वदेश लौटने के बाद आशीष ने इस पर्व के बारे में और गहन अध्ययन एवं बारीकी से शोध कर छठ पर्व को पूर्णत: परिभाषित करनेवाला एक लेख “Chhath Pouja: l’adoration du Dieu Soleil” लिखा जोकि भारत सरकार के अंग भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् दिल्ली के द्वारा फ्रेंच भाषा में “rencontre avec l’Inde” नामक किताब में 2013 में प्रकाशित हुई।

लेख में क्या है ?

इस लेख में आशीष ने छठ पर्व के सभी पहलुओं का बारीकी से विश्लेषण कर फ्रांसीसी भाषा के लोगों के लिए इस महापर्व की जटिलताओं को समझने का एक नया आयाम दिया है। शुरुआत में वे बताते हैं कि छठ मूलत: सूर्य भगवान् की उपासना का पर्व है। चार दिनों तक चलनेवाले इस पर्व में धार्मिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक एवं आचारिक-व्यावहरिक कठोर शुद्धता रखी जाती है। ‘छठ’ शब्द सिर्फ दिवाली के छठे दिन का ही द्योतक नहीं है बल्कि ये इंगित करता है की भगवान् सूर्य की प्रखर किरणों की सकारात्मक ऊर्जा को हठ योग के छह अभ्यासों के माध्यम से एक आम आदमी कैसे आत्मसात कर सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो सकता है ? इस पर्व के हर छोटे से छोटे विधान की योगिक और वैज्ञानिक महत्ता है, मसलन, साल में दो बार क्यों मनाया जाता है यह पर्व ? सूर्य की उपासना के वक़्त जल में खड़े रहने का आधार है ? डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे का विचार है ? सूप और दौरे का पूजा में क्या महत्व है ? यह पूजा ऋग्वेद काल से शुरू हुई, महाभारत में धौम्य ऋषि के कहने पर द्रौपदी ने पांचो पांडवों के साथ छठ पर्व कर सूर्य की कृपा से अपना खोया राज्य वापस प्राप्त किया था। बिहार में इसका प्रचलन सूर्यपुत्र अंगराज कर्ण से शुरू होना माना जाता है।

कौन हैं कुमार आशीष

आशीष भारतीय पुलिस सेवा के 2012 बैच के अधिकारी हैं और वो मधेपुरा तथा नालंदा में एसपी के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं। वर्तमान में वे किशनगंज के एसपी रूप में तैनात है। कुमार आशीष सामुदायिक पुलिसिंग के विभिन्न सफल प्रयोगों के लिए बिहार सहित पूरे देश में जाने जाते हैं। जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से उन्होंने फ्रेंच भाषा में स्नातक, स्नातोकोत्तर तथा पीएचडी भी किया है। पुलिसिंग के साथ पठन-पाठन और लेखन में भी उनकी व्यापक रूचि रही है और अबतक कई लेख विभिन्न जगहों से प्रकाशित हो चुके हैं। IPS कुमार आशीष बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड रहने वाले हैं।

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