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*सीजेआई पर हुए हमले पर नीतीश कुमार, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी मौन क्यों हैं? — सांसद तनुज पुनिया*

*सर्वोच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. आर. गवई पर जूता फेंकने की शर्मनाक कोशिश : तनुज पूनिया*

*भारत के संविधान, सामाजिक न्याय और दलित अस्मिता पर सीधा प्रहार है: सांसद तनुज पूनिया*

मुकेश यादव/प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में लोकसभा सांसद तनुज पूनिया ने आज संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।

सांसद तनुज पूनिया ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने हमें कलम की ताकत दी थी,आज जब एक दलित उस ताक़त का इस्तेमाल कर के देश की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी पर बैठा है तो ये हमें जूते से डरा रहे है ।आरएसएस–भाजपा मानसिकता से प्रेरित लोग लगातार मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ ज़हर उगल रहे हैं।
हम इसकी कठोर निंदा करते हैं।
“यह जूता भारत की संवैधानिक अस्मिता पर फेंका गया है,बाबा साहेब के आदर्शों पर मारा गया है,
और देश के दलितों के आत्मसम्मान पर मारा गया है।”
शर्मनाक है कि नीतीश कुमार, जीतन राम मांझी और चिराग पासवान जैसे नेता,जो दलितों के वोट से राजनीति में पहुंचे,आज जब एक दलित और वंचित समाज के सर्वोच्च प्रतिनिधि का अपमान हो रहा है,तब ये सब चुप हैं।उनकी यह चुप्पी राजनीतिक नहीं, नैतिक दिवालियापन की निशानी है।

बिहार में दलितों पर ग़रीबी का वार, भ्रष्टाचार अपार
जेडीयू सरकार द्वारा 7 नवम्बर 2023 को जारी कास्टवाइज़ सोशल-इकोनॉमिक रिपोर्ट ने बिहार की सच्चाई उजागर की।
इस रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार के 94.42 लाख परिवार — यानी हर तीसरा परिवार — 200 रुपये प्रतिदिन या उससे भी कम पर गुजर-बसर कर रहा है।

1. कुल 2.76 करोड़ परिवारों में से 64% आबादी गरीबी और अभाव की गहरी खाई में धकेल दी गई है।
2. अनुसूचित जातियों में मुसहर (54.5%), भुइयां (53.5%), और डोम (53.1%) जातियाँ सबसे अधिक गरीब हैं।
3. अनुसूचित जनजातियों में बिरहोर (78%), चेरो (59.6%), सौरिया पहाड़िया (56.5%), और बंजारा (55.6%) गरीबी में हैं।
इसका सीधा अर्थ यह है कि बिहार के संसाधन दलितों गरीबों तक नहीं पहुँचे,बल्कि भ्रष्टाचार और सत्ता की लूट में गायब हो गए।
दलितों के आरक्षण पर वार, निजीकरण की तलवार

मोदी सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री के जरिये दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के संवैधानिक आरक्षण अधिकार पर हमला किया है।

तनुज पुनिया ने कहा
“केंद्र सरकार द्वारा जब पब्लिक सेक्टर बेचे जा रहे हैं,
तब यह साफ़ है कि निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं रहेगा।
यह सामाजिक न्याय की रीढ़ पर सीधा प्रहार है।”

सेन्ट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज़ेज़ में कुल 10.31 लाख कर्मचारी हैं,
जिनमें एससी–1.81 लाख, एसटी–1.02 लाख और ओबीसी–1.97 लाख,
यानी कुल 4.8 लाख आरक्षित पद निजीकरण के बाद समाप्त हो जाएंगे।
दलितों की खेती–किसानी पर वार, आमदनी जार–जार
बिहार में 19 लाख 15 हजार दलित परिवार खेती करते हैं,
जो लगभग सभी स्मॉल और मार्जिनल किसान हैं।
NSS रिपोर्ट नं. 587 के अनुसार,
इनकी औसत मासिक आय ₹7542 — यानी ₹50 प्रति व्यक्ति प्रतिदिन रह गई है।
राज्य में एपीएमसी मंडी कानून नहीं होने के कारण
इन किसानों को अपनी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य तक नहीं मिलता,
फलस्वरूप दलित किसान सबसे अधिक शोषण का शिकार हैं।
दलितों पर अपराध का दमन, लूट लिया चैन-अमन
एनसीआरबी 2023 की रिपोर्ट बताती है कि
बिहार देश में दलितों पर अत्याचार के मामलों में दूसरे स्थान पर है —पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश है।
साल 2023 में 7221 दलित उत्पीड़न के मामले दर्ज हुए।
यह न केवल कानून-व्यवस्था की विफलता है,
बल्कि यह दिखाता है कि बिहार में दलित असुरक्षित और उपेक्षित हैं।
तनुज पुनिया का सवाल:
“क्या दलितों के वोट सिर्फ़ सत्ता की सीढ़ी हैं?
जब दलितों पर हमला होता है, तब आपकी ज़ुबान क्यों सिल जाती है?”
कांग्रेस पार्टी देश के संविधान, सामाजिक न्याय और समान अवसर के लिए संघर्ष जारी रखेगी।
हम संकल्प लेते है राहुल गाँधी जी के स्वप्न को साकार करेंगे और दलितों पिछड़ों अति पिछड़ों आदिवासियों शोषितों को उनका अधिकार देंगे ।

संवाददाता सम्मेलन का संचालन राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे ने किया।

संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़, प्रवक्ता डॉ स्नेहाशीष वर्धन पाण्डेय, ज्ञान रंजन सहित नदीम अख्तर अंसारी, निखिल कुमार मौजूद रहें।

 

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