राज्य

देश का सबसे बड़ा राजनीतिक पार्टी जब सत्ता के लिए अपना अस्तित्व व पहचान खो दें तो अन्य राजनीतिक पार्टियों के विरुद्ध कुछ भी कहना बेईमानी साबित होगा।

बंगाल को हिंसा- प्रतिहिंसा की आग में झोकने के लिए आखिर जबाबदेह कौन ?

सता की बागडोर जब ममता के हाँथों में नहीं हैं तो ममता से सवाल क्यों?

ममता पर जो आरोप टीबी चैनल के एंकर लगा रहे है यह आरोप राज्यपाल व चुनाव आयोग पर क्यों नहीं लगना चाहिए। बुद्धिजीवी

गुण्ड़ो की बदौलत सत्ता पर काबीज होगे / होना चाहेंगे तो हिंस्सा प्रतिहिंसा का दौर चलेगा।

पहले खुद समहले फिर दूसरे पर आरोप बीजेपी नेता लगाये यह देशहित के लिए भी बेहतर होगा। आलोक

सवालों का ला जबाब उतर ,

अनिल कुमार मिश्र :-टीएमसी सांसद ने एंकर का सवालों का ला – जबाब प्रतिउतर दिया है और यह हकियत भी हो सकता है। सता की बागडोर अभी भी राज्यपाल और चुनाव आयोग के हाथों में है तो ममता जीम्मेवार कैसे है।आरोप- प्रत्यारोप से हिंस्सा के लिए टीएमसी के ममता अगर जबाबदेह है तो टीएमसी के कार्यकर्ताओं के हत्या के लिए आखिर जबाब देह कौन हैं और भाजपा जबाब देह क्यों नहीं हैँ।टीएमसी से बीजेपी मे आये नेता जब उत्पात मचायेगे और जब बेजेपी के नेता उन्हे समहाल नही पायेगे तो टीएमसी कैसे समहाल पायेगा। धैर्य तो दोनो तरफ से रखना होगा।

ईट का जबाब अगर पथर से मिल रहा हो तो बीजेपी में हाय तौबा क्यों।

सारे गुण्ड़े को एकत्रित कर सता अपनाने का खेल खेलने वाले बीजेपी नेताओ में आखिर हाये तौबा क्यों है और सबसे पहले टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हमला कौन किया था और उस समय बंगाल की हिंसा पर घडियाली आसूं बहाने वाले ऐ एंकर कहाँ थे। जब टीएमसी के कार्यकर्ताओं को गोली से भुन दिया गया था उस समय बीजेपी वाले टीएमसी कार्यकर्ताओं के लिए घड़ियाली आसू क्यों नहीं बहा रहे थे।

कोई भी राजनीतिक दल के लोग जब सता को अपनाने के लिए किसी भी सत्तासीन सरकार अथवा राजनीतिक दल के बाहुबलियों , चोर, उचक्के को अपने पार्टी में लाकर सत्ता हासिल करने का प्रयास करेंगे और हिंसा प्रतिहिंसा की आग मे आम अवाम को झोकर सता को हासिल करना चाहेगे तो हिंसा की आग भड़केगा और उसमें भले- बुरे सभी लोग जलेगे ।इनहलातो में एक राजनीतिक दल द्वारा फिर दूसरे राजनीतिक पार्टियों के संबंध में हिंसा पर कुछ भी कहना देशहित में बेमानी नही तो और क्या होगा।

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